सबाईन्स साम्राज्य
सबाइयों का साम्राज्य Saba’ (𐩪𐩵𐩱𐩩) | |||||||||
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8वीं सदी ईसा पूर्व–3वीं सदी ईस्वी | |||||||||
Status | साम्राज्य | ||||||||
राजधानी | मरिब | ||||||||
प्रचलित भाषा(एँ) | सबाई भाषा (सेमिटिक) | ||||||||
धर्म | प्राचीन अरब धर्म | ||||||||
सरकार | राजतंत्र | ||||||||
राजा | |||||||||
• 8वीं सदी ईसा पूर्व | यथा-अमर वाटर | ||||||||
• 7वीं सदी ईसा पूर्व | करिब’इल वाटर | ||||||||
इतिहास | |||||||||
• स्थापित | 8वीं सदी ईसा पूर्व | ||||||||
• अंत | 3वीं सदी ईस्वी | ||||||||
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सबाई लोग, जिन्हें ग्रीक में "साबाई" (Σαβα~ιοι) और लैटिन में "साबाई" (Sabaei) कहा जाता है, प्राचीन यमन की एक प्रमुख जनजाति थी। इनका मुख्य केंद्र सबा’ था, जो कालांतर में एक साम्राज्य में विकसित हुआ। सबाई साम्राज्य ने दक्षिण अरब में 8वीं सदी ईसा पूर्व से लेकर 3वीं सदी ईस्वी तक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक भूमिका निभाई।
इतिहास और उद्भव
[संपादित करें]सबाइयों की उत्पत्ति और पहचान का मुख्य आधार उनकी सेमिटिक भाषा सबाई और उनके देवता अलमकाह की पूजा थी। प्रारंभिक समय में, यह साम्राज्य मरिब शहर के आसपास विकसित हुआ। मरिब का प्रसिद्ध बाँध (Marib Dam) और अाव्वाम मंदिर जैसे स्थापत्य चमत्कार, उनकी समृद्धि और वास्तुकला कौशल के उदाहरण हैं।[1]
सबाई साम्राज्य का चरमोत्कर्ष यथा-अमर वाटर और करिब’इल वाटर के शासनकाल के दौरान हुआ। इन शासकों ने व्यापक विजयों के माध्यम से साम्राज्य को मजबूत किया और इसे दक्षिण अरब का प्रमुख व्यापारिक केंद्र बनाया।[1]
आर्थिक और सांस्कृतिक योगदान
[संपादित करें]सबाई लोग मसाले, लोबान, और गंधरस जैसे उत्पादों के व्यापार में शामिल थे, जो मेसोपोटामिया, दक्षिण लेवांत, और अन्य क्षेत्रों में निर्यात किए जाते थे। इस व्यापार ने उन्हें अपार धन और प्रभाव प्रदान किया। सबाई सभ्यता अपने जल प्रबंधन, कृषि प्रणाली, और मंदिर निर्माण के लिए प्रसिद्ध थी।[2]
पतन और हुमायराइटों का उदय
[संपादित करें]2वीं से 3वीं सदी ईस्वी में, सबाई साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगा। हाशिद और बाकील जैसी जनजातियों के प्रभाव ने उच्चभूमि क्षेत्रों में एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण को जन्म दिया। लेकिन 3वीं सदी के अंत में, हुमायराइट साम्राज्य ने सबाई क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया।[2]
धार्मिक और साहित्यिक प्रभाव
[संपादित करें]सबाई सभ्यता का उल्लेख कुरान में दो बार हुआ है। सूरा 27 (चींटी) में इसे परोक्ष रूप से और सूरा 34 (सबाई) में स्पष्ट रूप से मरिब के बांध और उसकी समृद्धि के संदर्भ में वर्णित किया गया है। सबाईयों की पहचान को "सबाइयों" (Sabaeans) से अलग करना चाहिए, जिनका कोई संबंध हरण के सैबियन या दक्षिणी इराक के सैबियन समुदाय से नहीं है।[1]
विरासत
[संपादित करें]सबाई साम्राज्य की विरासत उनके स्थापत्य, जल प्रबंधन और व्यापारिक गतिविधियों में झलकती है। मरिब का बाँध और अाव्वाम मंदिर आज भी प्राचीन यमन की महानता के प्रतीक हैं।[1]
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ ई "Sabaean | Religion, Alphabet, & Kingdom | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-21.
- ↑ अ आ Schiettecatte, Jérémie (2016), "Sabeans", The Encyclopedia of Ancient History (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, पपृ॰ 1–1, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4443-3838-6, डीओआइ:10.1002/9781444338386.wbeah30170, अभिगमन तिथि 2025-01-21