सदस्य वार्ता:Sureshkrshukla

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मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

सुरेश जी,

आपका हिन्दी विकि में हार्दिक स्वागत है! आपको यहाँ देखकर अपार हर्ष हो रहा है। इससे आपकी हिन्दी को आगे बढ़ाने की तड़प का आभास मिल रहा है।

आइये मिलकर हिन्दी दिवस तक हिन्दी विकि में लेखों को चालीस हजार के पार कर दिया जाय। स्वयं लिखिये और दूसरों को भी लिखने के लिये प्रेरित कीजिये।

अनुनाद सिंह १४:४५, २९ अगस्त २००९ (UTC)

लेखों में स्रोत[संपादित करें]

नमस्ते सुरेश जी, आपका विकिपीडिया पर पुनः स्वागत है। मैं आपके योगदान देखते समय यह देख पा रहा हूँ कि आप पिछले कुछ समय से अपने योगदान दे रहे हो लेकिन उनमें एक समरूपता पायी गयी कि जो भी स्रोत आपने दिये हैं वो विश्वविद्यालय प्रकाशन के ही हैं। इसके अतिरिक्त आपने विभिन्न लेख ऐसे निर्मित किये हैं जिनकी उल्लेखनीयता भी अस्पष्ट है। क्या आप ऐसे उचित स्रोतों के साथ लेखों को सुसज्जित कर सकते हैं जो निष्पक्ष हों और अलग-अलग एवं विश्वसनीय हों? ऐसा नहीं होने की स्थिति में लेखों को शीहहहेच नामांकित किया जायेगा और जिसका परिणाम भी सामान्यतः लेख की स्थिति और उसमें उपलब्ध स्रोतों के आधार पर ही होगा। ☆★संजीव कुमार (✉✉) 05:13, 8 सितंबर 2023 (UTC)[उत्तर दें]

६. कई हिंदी प्रकाशकों ने ISBN की शिकायत की है। ISBN देने से पाठक किताब को नहीं खोज पाएगा। इसलिए प्रकाशकों की वेबसाइट का सीधा लिंक देना पड़ता है। इसे प्रचार नहीं समझना चाहिए।
७. मोबाइल के फैलने के बाद से - ज्ञानवर्धक पुस्तकों का, आध्यात्मिक पुस्तकों का चलन बहुत ही कम हो गया है। अगर सुविधा भी नहीं रहेगी तो और बुरी स्थिति होगी।
८. मुझे अंदेशा है कि मेरे लिखे लेख भी कुछ ज्यादा नहीं पढ़े जाते होंगे। गंभीर विषयों से लोग कम रुचि लेते हैं। सुरेश शुक्ल 06:54, 8 सितंबर 2023 (UTC)
१. समरूपता होनी ही चाहिए, क्योंकि आध्यात्मिक विषय़ के लेख हैं। जिनकी मेरी दृष्टि में भयंकर कमी है। अंग्रेजी विकि के मुकाबले भी कमी है।
२. पुस्तक किसी न किसी प्रकाशक के यहां ही छपती है। जहां तक मेरी कोशिश है, ज्यादा से ज्यादा स्रोत देता हूं। तिब्बती संतो के लिए सारनाथ से ही मुख्यतः छपता है। पद्मविभूषण गोपीनाथ जी के लेख मुख्यतः बिहार के सरकारी संस्थान और विश्वविद्यालय प्रकाशन से छपे।
३. इसमें मेरा कोई हाथ नहीं है। मैं इस संस्था से किसी भी तरह से नहीं जुड़ा हूं। स्पष्ट रूप से किसी भी वित्तीय लाभ को नहीं ले रहा हूं।
४. आपके संदेह का कोई आधार नहीं है। संदर्भ दिए हैं। मैं एक शोधकर्ता मात्र हूं।
५. अगर आप विषय के जानकार हैं तो आप अपनी जानकारी जोड़ दीजिए। निष्पक्षता में कमी होगी तो अपने आप दूर हो जाएगी।
मेरा ईमेल sureshkrshukla@gmail.com आप मुझसे बात करना चाहें तो कर सकते हैं। सुरेश शुक्ल 06:45, 8 सितंबर 2023 (UTC)
आपके सभी लेखों में केवल एक ही स्रोत होना उचित नहीं है, जबकि वो उल्लेखनीय भी नहीं है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 14:23, 9 सितंबर 2023 (UTC)[उत्तर दें]
आपकी बात का आशय समझ नहीं पाया। "एक ही स्रोत", "उल्लेखनीय भी नहीं" - दोनों ही नहीं समझ पाया।
संजीव जी, कुछ नापसंद नाराजगी जैसी बात तो नहीं?आप ईमेल भेजें तो फोन नंबर दे दूंगा। यहां नंबर नहीं लिख सकता। सुरेश शुक्ल 10:20, 10 सितंबर 2023 (UTC)

नमस्कार, आपके द्वारा बनाए पृष्ठ चित्र:तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि पुस्तक कवर.jpeg को विकिपीडिया पर पृष्ठ हटाने की नीति के मापदंड व7 के अंतर्गत शीघ्र हटाने के लिये नामांकित किया गया है।

व7 • साफ़ प्रचार

इसमें वे सभी पृष्ठ आते हैं जिनमें केवल प्रचार है, चाहे वह किसी व्यक्ति-विशेष का हो, किसी समूह का, किसी प्रोडक्ट का, अथवा किसी कंपनी का। इसमें प्रचार वाले केवल वही लेख आते हैं जिन्हें ज्ञानकोष के अनुरूप बनाने के लिये शुरू से दोबारा लिखना पड़ेगा।

यदि आप इस विषय पर लेख बनाना चाहते हैं तो पहले कृपया जाँच लें कि विषय उल्लेखनीय है या नहीं। यदि आपको लगता है कि इस नीति के अनुसार विषय उल्लेखनीय है तो कृपया लेख में उपयुक्त रूप से स्रोत देकर उल्लेखनीयता स्पष्ट करें। इसके अतिरिक्त याद रखें कि विकिपीडिया पर लेख ज्ञानकोष की शैली में लिखे जाने चाहियें।

यदि यह पृष्ठ अभी हटाया नहीं गया है तो आप पृष्ठ में सुधार कर सकते हैं ताकि वह विकिपीडिया की नीतियों पर खरा उतरे। यदि आपको लगता है कि यह पृष्ठ इस मापदंड के अंतर्गत नहीं आता है तो आप पृष्ठ पर जाकर नामांकन टैग पर दिये हुए बटन पर क्लिक कर के इस नामांकन के विरोध का कारण बता सकते हैं। कृपया ध्यान रखें कि शीघ्र हटाने के नामांकन के पश्चात यदि पृष्ठ नीति अनुसार शीघ्र हटाने योग्य पाया जाता है तो उसे कभी भी हटाया जा सकता है।

--SM7--बातचीत-- 18:41, 14 सितंबर 2023 (UTC)[उत्तर दें]

महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज जी को जिस पुस्तक तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि के लिए 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और पद्मविभूषण (1964) भी मिला।
उसका एकमात्र हिंदी अनुवाद आपको उल्लेखनीय क्यों नहीं लगता ?
सदस्य:अनुनाद_सिंह क्या आप कुछ प्रकाश डाल सकते हैं? क्या कमी रह गई? सुरेश शुक्ल 06:52, 15 सितंबर 2023 (UTC)[उत्तर दें]
हिंदी अनुवाद का प्रकाशन बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् ने किया है। यह बिहार राज्य सरकार का चलाया संस्थान है, कोई व्यापारिक संस्थान नहीं।
यह अपने आप में ही पुस्तक को उल्लेखनीय बनाने के लिए पर्याप्त है। सुरेश शुक्ल 07:26, 15 सितंबर 2023 (UTC)

जब संवाद चल रहा हो तो ब्लाक करना कहां तक उचित है?[संपादित करें]

संजीव कुमार से संवाद चल ही रहा है, तब तक एक पुरानी किताब के लेख को लेकर क्या जल्दीबाजी शुरू कर दी गई। ऐसा क्या आसमान टूट पड़ रहा है। - पेज पर टैग, सदस्य को ब्लाक। - शालीनता का जवाब क्या ऐसे दिया जाता है ? सुरेश शुक्ल 06:59, 15 सितंबर 2023 (UTC)

सदस्य खाता संजीव कुमार और SM7 ने अवरुद्ध कर दिया गया है।[संपादित करें]

विकिमीडिया कॉमन्स से हरी अथवा लाल घड़ी का आयकन
इन अवरोधित सदस्य(यों) के अवरोध मुक्त करने के अनुरोध को प्रबन्धक द्वारा अस्वीकृत किया गया है। अन्य प्रबन्धक भी इस अवरोध का पुनरीक्षण कर सकते हैं, लेकिन उचित कारण के बिना निर्णय को नहीं पलट सकते (अवरोध नीति देखें)। अवरोध हटाने के पुनरीक्षण को न हटायें क्योंकि आप अवरोधित हैं।

Sureshkrshukla (अवरोध सूचीसक्रिय अवरोधवैश्विक अवरोधस्वतःअवरोधयोगदानहटाये गये योगदानदुरुपयोग फिल्टर सूचीनिर्माण सूचीअवरोध स्थिति बदलेंअवरोध मुक्त करें)


अनुरोध का कारण:

महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज जी को जिस पुस्तक तांत्रिक वाङ्मय में शाक्त दृष्टि के लिए 1964 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और पद्मविभूषण (1964) भी मिला। इसका एकमात्र हिंदी अनुवाद का प्रकाशन बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् ने किया है। यह बिहार राज्य सरकार का चलाया संस्थान है, कोई व्यापारिक संस्थान नहीं।

यह भी अपने आप में ही पुस्तक को उल्लेखनीय बनाने के लिए पर्याप्त है। यह गंभीर आध्यातमिक पुस्तक है, जो ज्ञान का भंड़ार है और बहुत उपयोगी है।

यह एकमात्र हिंदी अनुवाद सदस्य:संजीव कुमार और SM7 को उल्लेखनीय क्यों नहीं लगता ?

सुरेश शुक्ल 07:07, 16 सितंबर 2023 (UTC)

अस्वीकृत कारण:

अवरोध केवल एक सप्ताह का था जो स्वतः ही हट चुका है। ☆★संजीव कुमार (✉✉) 13:56, 4 दिसम्बर 2023 (UTC)[उत्तर दें]

यदि आप इसके बाद भी अवरोध मुक्त करने के लिए अनुरोध करना चाहते हैं तो कृपयाअ पहले अवरोध मुक्त करने के दिशानिर्देश पढ़ें और उसके बाद {{unblock}} साँचा पुनः लगायें। यदि आपने अविश्वस्थ अथवा विध्वंशकारी अवरोध मुक्ति के अनुरोध करके इस प्रक्रिया का दुरुपयोग किया तो आपको इस पृष्ठ के सम्पादन से भी प्रतिबन्धित कर दिया जायेगा क्योंकि आप अवरोधित हैं।

नमस्ते Sureshkrshukla जी, कृपया उल्लेखनीयता नीति ध्यानपूर्वक पढ़ें। विकिपीडिया पर उन्हीं विषयों पर लेख निर्मित करें जिनके बारे में अन्यत्र तटस्थ एवं विश्वसनीय स्रोतों पर पर्याप्त एवं सविस्तार चर्चा पहले से उपलब्ध हो।
अवरोध एक सप्ताह का है और निवारक है ताकि आप इस तरह के कार्य न करें कि कोई समस्या चिह्नित कर रहा हो तो उसके संपादन पूर्ववत कर दें, बिना समस्या का समाधान किये। संवाद आप यहाँ जारी रख सकते हैं, आपका यह वार्ता पृष्ठ खुला है।
जहाँ तक संदर्भों का प्रश्न है, कोई एक ही स्रोत चुनकर उसे सर्वत्र प्रयोग में लाने की बजाय विषय पर केंद्रित होकर उस विषय से संबंधित यथासंभव सभी उपलब्ध स्रोत उद्धृत करें तो बेहतर होगा। वर्तमान शैली ऐसी प्रतीत हो रही जैसे आप संदर्भों में उपयोग द्वारा स्रोत पुस्तक पर ही विशेष ध्यान केंद्रित कर रहे। --SM7--बातचीत-- 09:29, 18 सितंबर 2023 (UTC)[उत्तर दें]
उल्लेखनीयता नीति की पहली लाइन है -
"अगर किसी विषय पर स्वतन्त्र और विश्वसनीय स्रोत उपलब्ध है, जिनमें इस विषय को महत्वपूर्ण उल्लेख मिला है तो यह विषय एक लेख या सूची में शामिल करने के उल्लेखनीयता मानदंडों को पूरा करता है।"
संजीव कुमार और SM7 को १. साहित्य अकादमी २. केन्द्र सरकार का पद्मविभूषण ३. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् - स्वतन्त्र और विश्वसनीय स्रोत क्यों नहीं लगते ?
मूल प्रश्न यही है। इसका उत्तर देने से बचने की कोशिश न करिए। सुरेश शुक्ल 10:38, 18 सितंबर 2023 (UTC)
'स्रोत' का मतलब है जहाँ संबंधित विषय के बारे में सविस्तार लिखित सामग्री उपलब्ध हो, जिसका संदर्भ आप दे सकें। उपरोक्त चीजें स्रोत कैसे हैं? कृपया पूरी नीति ध्यानपूर्वक पढ़ें और नीति और उसका मंतव्य समझने के बाद चर्चा करें।
दूसरी बात, आपको मैंने - यानी SM7 ने, अवरुद्ध किया है दो लोगों ने नहीं और आप अवरोध हटाने का अनुरोध कर रहे हैं, इसलिए अनुभाग का शीर्षक बदल कर उसी अनुसार रखें तो बेहतर है। --SM7--बातचीत-- 18:28, 20 सितंबर 2023 (UTC)[उत्तर दें]
तीन संदर्भ तो मैनें दे दिए हैं।
आपके और संजीव कुमार की संतुष्टि क्यों नहीं हो रही है - यह अब जाँच का विषय है।
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मैंने चौपाल पर आप दोनों के बारे में पढ़ लिया हैं। अनुभाग का शीर्षक उचित है, यही रहेगा। यह मेरा पेज है, यहां मैं अपनी ही बात रखूंगा। सुरेश शुक्ल 06:23, 21 सितंबर 2023 (UTC)