सदस्य वार्ता:RK Jangid Dabli
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अन्य रोचक कड़ियाँ
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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 07:47, 3 अगस्त 2020 (UTC)
गरबी (कानूडा़ लोकगीत)[संपादित करें]
गरबी (लोक गीत) गरबी का अर्थ होता है गौरव या गर्व करना। गरबी शब्द एक विशेष प्रकार के लोकगीत के लिए प्रयुक्त होता है जिसे राजस्थान और गुजरात के ग्रामीण अंचलों में हरियाली अमावस्या से लेकर कृष्ण के जन्माष्टमी तक महिलाओं द्वारा बड़ी उमंग उत्साह के साथ ढोल की ताल व तालियों के लय पर गाया जाता है। उत्पत्ति--->गरबी लोकगीत की उत्पत्ति राजस्थान और गुजरात के अंचलों में राजा महाराजा के समय से गाई जा रही है लेकिन गुजराती साहित्य के कवि दयाराम के समय से(१७/१८वी सदी) से इनको लिखित रुप मिला तब से मानी जाती है दयाराम भगवान श्री कृष्ण के पुष्टिमार्गीय संत थे दयाराम का नाम नरसी मेहता व मीराबाई के साथ लिया जाता है। गरबी लोकगीत की रचनाओं के बोल मारवाड़ी और गुजराती मिश्रित है यह मारवाड़ गोड़वाड़ व गुजरात के क्षेत्रों में फली-फूली और यहीं की संस्कृति के कण कण में समा गई। विस्तृत जानकारी------> गरबा लोकगीत और गरबी लोकगीत में काफी अंतर है गरबा लोकगीत शक्ति या देवी की आराधना के लिए गाया जाता है जबकि गरबी लोकगीत ग्रामीण संस्कृति में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना के साथ-साथ पूरी ग्रामीण संस्कृति क को सजीव रुप में निरूपित किया गया है। गरबी लोकगीत भगवान श्री कृष्ण के जीवन लीलाओं पर आधारित है इसमें कृष्ण की जीवनी के साथ-साथ सामाजिक सांस्कृतिक और राजनीतिक मूल्यों का भी समावेश किया गया है। गरबी लोकगीत वीर रस और श्रृंगार रस से ओतप्रोत हैं इसमें विरह का वर्णन व बारहमासा का भी उल्लेख है। यदि आप राजस्थानी गुजरात के ग्रामीण अंचल की सांस्कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक व राजनीतिक विरासत को समझना चाहते हैं तो यहां की गरबी लोक गीतों को सुनकर समझ सकते हैं । वर्षा ऋतु में यदि आप गुजरात और राजस्थान के ग्रामीण अंचलों का दौरा करोगे तो आपको गरबी लोकगीत अवश्य सुनने को मिलेंगे। कृष्णा जन्माष्टमी के दिन यह गरबी लोकगीत अपने चरम पर होते हैं भगवान श्री कृष्ण के जन्म से लेकर के मूर्ति विसर्जन तक ग्रामीण अंचलों में महिलाओं द्वारा उपवास करके भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के सामने पूरी पूरी रात ढोल की ताल पर गरबी लोकगीत प्रस्तुत किया जाता है।(एक ढोली को इसी शर्त पर बुलाया जाता है कि तू सारी रात नींद नहीं लेगा) गरबी गीतों की रचनाओं में गुजराती साहित्य का बड़ा योगदान रहा इसलिए इनके शब्द ज्यादातर गुजराती राजस्थानी मिश्रित है गरीबी गीतों की शुरुआत में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से शुरू होकर राधा के प्रेम का वर्णन श्री कृष्ण की लीलाओ के साथ पूरा ग्रामीण परिवेश माखन मिश्री,पनिहारी, कुआं, बावड़ी,नदी किनारे,गोप गोपियों,गाये, व बांसुरी आदि का वर्णन मिलता है फिर धीरे-धीरे गरबी लोकगीत अपने ग्रामीण परिवेश में उतरता है वहां की सामाजिक साहित्यिक सांस्कृतिक पारिवारिक मूल्यों में प्रवेश कर लेता है। गरबी लोकगीत में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन ग्रामीण परिवेश पर आरोपित करके गाया जाता है इसमें पूरे ग्रामीण परिवेश का वर्णन मिलता है। गरबी लोकगीत में विरहा के वर्णन को इतने मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है कि यदि कोई भी विरहणी इसको सुन लेती है तो वह चिहर उठती है। विरह वर्णन को प्रस्तुत करने की ऐसी सजीवता दूसरे लोकगीतों में कम ही मिलती है। गरबी लोकगीत श्रृंगार रस के साथ-साथ वीर रस का भी भंडार है। पुराने समय में राजदरबार में आश्रित कवियों द्वारा अपने राजा महाराजा की प्रशंसा में उनके साहसिक कार्यों पर भी गरबी गीतों की रचनाएं की जाती थी। गरबी लोकगीतों में साहसिक कार्यों का वर्णन जैसे युद्ध व परोपकार इत्यादि कार्य का वर्णन भी बहुतायत से मिलता है । युद्ध के समय में भी वीरों का उत्साह वर्धन करने के लिए गरबी गाई जाती थी। गरबी गीतों में ज्यादातर ग्रामीण अंचल की संस्कृति वहां के रीति रिवाज आदि का वर्णन है। गरबी लोकगीतों का गायन सर्वप्रथम पुरुषों में था लेकिन धीरे-धीरे यह महिलाओं ने अपना लिया और एकाधिकार जमा लिया फिर भी कई जगहों पर पुरुष और महिलाएं इनको साथ-साथ गाते हैं। प्रमुख गरबी लोकगीत----} १-कान्हा गढ़ स्यू ग्वालन उतरी २-गांव गांव गरबी वापरी, वेरण चाकरी ३-समदरियो हिलोळा गाय ४-ठाकर भवसिंह जी ५-कानुडा़ वाली गोपियां ६-कटे घड़िया बाजोट ७-मानसरोवर रमता ताली पड़े ८-कानूड़ो रमे गेंदे ९-वणजारी १०-मालीड़ो ११-मालाणी में मोरली १२-बारह वरसो स्यू बाईजी आविया १३-वावड़ली १४-पांच पणिहारी १५-मोरूड़ो १६-पूनम केरो चांद १७-आया आया कानूड़ा रा झाड़ा १८-ढेंबे धरणीधर रा थान १९-पोनड़ी २०-छोटा-मोटा मरुआ केरा पौनड़ा इसी प्रकार के मारवाड़ व गुजरात के ग्रामीण अंचलों में कई प्रकार के गरबी लोकगीत प्रचलित है।
>✍️ रमेश कुमार जांगिड डाबली
गुड़ामालानी, बाड़मेर
+919460132899 2401:4900:3103:7F0B:E04D:39B4:377C:7410 (वार्ता) 11:17, 4 अगस्त 2020 (UTC)