सदस्य वार्ता:Nirbanrajputs
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अन्य रोचक कड़ियाँ
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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 07:22, 10 मार्च 2018 (UTC)
निर्वाण अथवा निर्बाण राजपूत[संपादित करें]
निर्वाण अथवा निर्बाण
राजस्थान के शेखावाटी में रहने वाले चौहान राजपूतों की इस निरबाण शाखा का प्रादुर्भाव कैसे हुआ ? ये शेखावाटी में कहाँ से आये ? इस संबंध में राजस्थान के मूर्धन्य इतिहासकार स्व.सुरजन सिंह जी झाझड़ ने अपनी पुस्तक “शेखावाटी प्रदेश का प्राचीन इतिहास” में बहुत ही बढ़िया व विस्तृत शोधपरक ऐतिहासिक जानकारी दी है| कर्नल नाथू सिंह शेखावत ने भी अपनी पुस्तक “अदम्य यौद्धा-महाराव शेखाजी” में महाराव शेखाजी के जन्म स्थान “गढ़ त्योंदा” के ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए चौहानों की निरबाण शाखा की ऐतिहासिक जानकारी दी है|
कर्नल नाथू सिंह शेखावत के अनुसार- “निरबाण चौहानों की एक मुख्य खांप है| नाडोल (पाली) के राजा आसपाल की पटरानी वांछलदेवी से माणकराव, मोकळ, अल्हण और नरदेव नामक चार पुत्र हुए| इनमे सबसे छोटा नरदेव महत्वाकांक्षी, दूरदर्शी व शौर्यवान था| वह जानता था कि सबसे छोटा होने के कारण पिता के राज्य से कोई बहुत बड़ा ठिकाना मिलने की संभावना नहीं थी, अत: नरदेव ने पिता के राज्य में मिलने वाला हिस्सा त्याग कर, अन्यत्र अपना राज स्थापित करने के उद्देश्य से, अपने विश्वस्त साथियों के साथ कूच किया| उस समय खंडेला पर कुंवरसिंह डाहिल राज करता था| नरदेव ने ने कुंवरसिंह डाहिल पर वर्तमान उदयपुरवाटी के पास वि.स. ११४२ (सन १०८५ई.) में आक्रमण कर उसे परास्त किया तथा खंडेला पर अपना अधिकार कर लिया| इस अप्रत्याशित जीत व पिता के राज में हिस्से के प्रति त्याग से प्रसन्न होकर राजा आसपाल ने नरदेव को आशीर्वाद स्वरूप “निरबाण” की उपाधि से सम्मानित किया| तब से नरदेव निरबाण के नाम से विख्यात हुआ और उसकी संताने निरबाण उपनाम से जानी जाने लगी| अन्य भाइयों की संताने देवरा पुत्र अर्थात देवड़ा कहलाती है|”
अकबर काल में निरबाणों पर मुग़ल दरबार में उपस्थित होने हेतु निरंतर दबाव पड़ता रहा पर इन्होने न तो कभी अकबर की अधीनता स्वीकार की, न कभी उसे कर दिया, न कभी मुग़ल दरबार में ये नौकरी करने गये| अकबर ने इसे अपनी तौहीन समझी पर इनपर कभी मुग़ल सेना नहीं भेजी कारण साफ था उस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में निरबबाणों की छापामार युद्ध प्रणाली के आगे इन्हें हराना बहुत कठिन था| कई बार पड़ताली मुग़ल दस्ते गये पर उन्हें निरबाणों ने हराकर या लूटकर वापस भगा दिया|
(Nirbanrajputs (वार्ता) 08:11, 10 मार्च 2018 (UTC))राजपूत