सदस्य वार्ता:Neems.pramo/WEP 2018-19

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चलचित्र आलोचना[संपादित करें]

चलचित्र की रील

चलचित्र आलोचना का मतलब है - चलचित्रों के तुलना, विश्लेषण, व्याख्या और मूल्यांकन करना। इसे चलचित्र समीक्षा भी कहते है। जो लोग चलचित्र आलोचना का काम करते हैं, उन्हें चलचित्र आलोचकों या समीक्षकों के नाम से बुलाये जाते हैं। चलचित्र आलोचक आमतौर पर एक चलचित्र का अर्थ की व्याख्या, उसकी सरंचना और शैली का विश्लेषण, अन्य चलचित्रों के साथ तुलना करके उसकी लायकता का निर्माण और दर्शकों पर इसके संभावित प्रभाव का आकलन प्रधान करते हैं। चलचित्र सिद्धांत (जैसे नारीवादी, आधुनिकतावादी आदि) अक्सर चलचित्रों के विश्लेषण को सूचित करते हैं। चलचित्र आलोचक किसी विशेष चलचित्र का जांच कर सकता है, या उसे एक ही शैली के चलचित्रों के साथ तुलना कर सकता है, या एक निर्देशक या अभिनेता के किए गए अन्य चलचित्रों के साथ भी तुलना कर सकते हैं। [1] चलचित्र आलोचना के तीन रूप होते हैं - शास्त्रीय आलोचना, ऑनलाइन आलोचना और पत्रकारियता सम्बन्धी आलोचना। [2]

शास्त्रीय आलोचना[संपादित करें]

शास्त्रीय आलोचक चलचित्रों का का गहरा, विस्तृत अध्ययन करते हैं। वे ऐसे चीज़ों का विश्लेषण करते है की एक चलचित्र क्यों काम करता है या नहीं करता है, उसका विशेष गन क्या है, उसने दर्शकों को कैसे प्रभावित किया आदि। वे आमतौर पर विद्वान पत्रिकाओं और ग्रंथों में प्रकाशित होते हैं, जो विश्वविद्यालय प्रकाशनों से संबद्ध होते हैं। बरद्वाज रंगन, अनुपमा चोपड़ा आदि भारत के प्रमुख शास्त्रीय आलोचकों के उदहारण हैं।

ऑनलाइन आलोचना[संपादित करें]

प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ, इंटरनेट ने शौकिया चलचित्र आलोचकों के लिए अपने विचार व्यक्त करने और अधिक दर्शकों तक पहुंचने के लिए एक मंच बनाया है। इन आलोचकों को ऑनलाइन आलोचक कहते हैं। ऑनलाइन आलोचना के लिए यह आवश्यक नहीं है की उन्होंने चलचित्रों के बारे में गहराई से पढ़े हो। अगर वे चलचित्रों में रूचि रकते हैं, और उनके पास प्रकट करने के लिए विचार है, वहीँ पर्याप्त है। ऑनलाइन आलोचना दर्शकों के लिए आलोचकों के साथ संपर्क स्थापित करना और अपने विचारों के बारे में उनके साथ चर्चा करना आसान बनता है।

पत्रकारियता सम्बन्धी आलोचना[संपादित करें]

पत्रकारिता सम्बन्धी आलोचक वे होते हैं जो . समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, प्रसारण मीडिया आदि में काम करते हैं। वे अधिकतर नए चलचित्रों के आलोचना करते हैं जो उस समय सिनेमाघरों में चल रहे हैं। उनके मुख्य उद्देश्य होते हैं गर्शकों को सूचित करने की कोई एक चलचित्र देखने की लायक है की नहीं। वे अपने विचारों को समाप्त करने के लिए रेटिंग देते हैं।

कठिनाइयों[संपादित करें]

चलचित्र आलोचकों को भी अक्सर आलोचना का सामना करना पड़ता है। जब भी किसी दर्शक का विचार आलोचक के साथ नहीं मिलते, तब वह आलोचक में अपनी विश्वास खो गेता है, और वह उस आलोचक का ही आलोचना करना शुरू करता है। चलचित्र आलोचना से सम्बंधित एक और समस्या है भुगतान की समीक्षा। कभी-कभार ऐसा होता है की कोई एक चलचित्र का निर्माता, निर्देशक या अभिनेता किसी चलचित्र आलोचक को पैसे गेकर उनके चलचित्र का प्रशंसा करने को कहते है। पैसों से आकर्षित होकर कई चलचित्र आलोचकों उनके अनुकूल समीक्षा देते है। इससे आम जनता को सभी चलचित्र आलोचकों में विश्वास नष्ट हो जाते हैं , जिसके वजह से ईमानदारी से काम करने वाले चलचित्र आलोचकों को भी अविश्वसनीय दृष्टि से देखा जाते है। [3]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. https://researchguides.uvm.edu/c.php?g=290200&p=3481769. गायब अथवा खाली |title= (मदद)
  2. http://libguides.dickinson.edu/criticism/film. गायब अथवा खाली |title= (मदद)
  3. https://www.dissentmagazine.org/article/the-problem-with-film-criticism. गायब अथवा खाली |title= (मदद)