सदस्य वार्ता:Mohammed saad shaikh
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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 14:09, 19 फ़रवरी 2018 (UTC)
हजरत सुब्हानशाह वाली, रहमतुल्लाह अलैह, भोरी आळी, पुणे[संपादित करें]
हजरत सुब्हानशाह सरकार रहमतुलाः अलैह की पैदाइश कानपुर में हुई। आप की पैदाइश का जमाना निहायत अफरातफरी ओर बदअमनी का था। जान व माल, इज्जत व आबरू का हर वक्त ख़ौफ़ रहता था। आप के वालिद बुजुर्गवार बड़े परहेजगार व मुत्तकी थे। हर खास व आम में इज्जत की निगाह से देखे जाते थे। आप की कम उम्र मे ही आप के वालिदा का इंतकाल कर गयी। तब आप की परवरिश एक अमीर व कबीर ख़ानदान की नेक खातून ने की। जो आप के वालिद के शागिर्दों में से थी। इस खातून के वालिद हाकिमे वक्त के सिप्पेसालार थे। निहायत नेक सीरत व परहेज़गार थे।
हजरत सुब्हानशाह रहमतुलाः अलैह सात साल की उम्र से ही अपने वालिद के साथ नमाज पढ़ने के लिए बड़े शौक से जाया करते थे। आप ने क़ुरआन पाक हिफ़्ज़ करना शुरू किया और आप उम्र के १५ साल में हाफिजे क़ुरआन बने। इसके अलावा कई दिनी किताबों का मुताअला किआ। जब आप की उम्र २० साल हुए तब उनके वालिद का भी सारा उठ गया। आप के वालिद का मजार कानपूर में हैं। आप हमेशा इबादते इलाही में मसरूफ रहा करते थे। मेहनत व मुशक्कत की हलाल कमाई से गुजर बसर किआ करते थे ओर गुरबा व मसाकीन, यतीम व बेवाओं की इमदाद भी करते।
जब आप कानपुर से दिल्ली तशरीफ ले गये। वहा से हजरत शेख सलाउद्दीन चिश्ती रहमतुलाः अलैह के साथ पूना तशरीफ़ लाये। ओर लोगो को अपने फैज व बरक़त से मुस्तफीज़ करने लगे। आप हजरत शेख सलाउद्दीन चिश्ती रहमतुलाः अलैहि के मशिरो ओर असहाब खास में थे।
हजरत सुब्हानशाह रहमतुलाः अलैह के मुरीदों में से चंद साहब के नाम - १) हज़रत अज़ीज़ रहमतुलाः अलैह. २) हज़रत अब्दुल सत्तार साहब रहमतुलाः अलैह. ३) हज़रत मौला बख्श रहमतुलाः अलैह. ४) हजरत कमर अली शाह रहमतुलाः अलैह. ५) हजरत खुर्शीद हुसैन रहमतुलाः अलैह.
इनमेसे चंद असहाब आप के इंतकाल के वक्त मौजूद थे। आप के जनाजे में शहर के बुजुर्ग हर कौम व फ़िरक़े के लोग शामिल थे। (बहवाला औलिया ऐ पूना)
बहम्ब तआला आज भी आप का मज़ार मुकद्दस ज़ियारत खास व आम हैं। आप का मज़ार पाक पूना शहर में रविवार पेठ, ओर शुक्रवार पेठ के दरमियान मौजूद है। माह रब्बिउल अव्वल की ३ तारीख को आप का संदल होता है और ७-८ रोज तक बड़े तुज्क व एहतेशाम से उर्स की तकरिबात मनाई जाती है। आप के मजार पाक के करीब एक छोटी सी खूबसूरत मस्ज़िद भी हैं। इस मे पंज वक्ता नमाज बा जमात ओर जुम्मा वैगरा के साथ सहाबा व बुजुर्गाने दिन के अय्याम आराज भी मुनक़्क़ीद होते हैं।
(Mohammed saad shaikh (वार्ता) 06:43, 20 फ़रवरी 2018 (UTC)) मोहम्मद साद शेख नूरी।
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