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                                                            हैदराबादी निकाह
मुस्लिम विवाह

प्रक्रिया[संपादित करें]

इस दुनिया में कहीं प्रकार के धर्म हैं। अलग-अलग धर्मों के अनेक प्रकार के रसम रिवाज, त्योहार, प्रथायें होती हैं। मुस्लिम धर्म में उनके अलग-अलग प्रथायें हैं। उनके त्योहार, रसम रिवाज, आदि अलग हैं। मुस्लिम धर्म मे विवाह भी बाकी धर्मों से एक दम अलग हैं। मुसलमान विवाह को निकाह कहतें हैं। लेकिन हर देशों के मुसलमानो के विवाह एक दम एक जैसी नही होती हैं, उन्के तारीके थोड़े अलग हैं। हैदराबाद एक प्रदेश हैं जो हिंदुस्तान में हैं, यहाँ निकाह थोड़ा सा अलग हैं । हैदराबाद में शादी चार दिन की होती हैं, शुक्रवार से लेकर सोमवार तक। शुक्रवार को दुलाह और दुल्हन को हल्दी लगती हैं। उन दोनों को उनके रिश्तेदार के सारी औरतें उनको हल्दी लगाती हैं और उनको दुआ देतीं हैं। शनिवार को "साँचक" होता हैं। इस दिन दुल्हन के घर पर दुलाह और दूल्हे वाले दुल्हन और दुल्हन वालों केलिए तौफे और मिठाइयाँ लाते हैं। और उस दिन संगीत का कार्यक्रम भी होता हैं।

इस्लामी तरीका[संपादित करें]

रविवार को निकाह पढ़ायी जाती हैं। इस्लाम मे विवाह एक कानूनी अनुबंध के आधार पर होती हैं। हैदराबादी निकाह में भी एक औरत और एक आदमी संपर्क पर हस्ताक्षर करके एक दूसरे के जीवन साथी बनते हैं। वह अनुबंध, जिस पर दुलाह और दुल्हन हस्ताक्षर करते हैं वह मौखिक या लिखित अनुबन्द होनी चाहिये, तबही इस्लाम मे उसको विवाह माना जाता हैं। तीन लोग यह निकाह करवाते हैं, उनमे से एक वकील या काज़ी होते हैं और बाकी दो लोग गवाह होते हैं। काज़ी साब निकाह पढ़ाते हैं और वह दो गवाह निकाह होने के दौरान वहाँ मौजूद होते हैं। वह तीनों दुलाह और दुल्हन के पास अलग अलग जाकर उनका हस्ताक्षर लेते हैं। यह इसलिए होता हैं क्योंकि हैदराबाद में सारे औरत और मर्द विवाह में एक साथ नही बैठ सकते हैं और उनके बीच ने पर्दा लगाया जाता हैं।

स्वीकृति[संपादित करें]

वकील उनके पास जाकर पुछते है कि क्या उनको यह निकाह कुबूल है, और दुलाह और दुल्हन उसका जवाब कुबूल हैं- "कुबूल हैं - क़ुबूल है" बोलकर देते हैं। अगर दुलाह या दुल्हन कह दे कि उनको यह निकाह कुबूल नही हैं तो विवाह किसी भी हालत में नही हो सकती हैं।

लेन-देन कि प्रक्रिया[संपादित करें]

दूल्हे वाले दुल्हन को महर देते हैं जो कि पैसे या ज़ेवर होते हैं और दुल्हन वाले दहेज देते हैं। दुल्हन का शादी का जोड़ा दूल्हे वाले खरीदते हैं और दूल्हे के शादी का जोड़ा दुल्हन वाले। हैदराबाद के शादी के दावतों को श्रेष्ठ और आलिशान दावत माना जाता हैं। हैदराबाद में निकाह का दावत दुल्हन वाले देते हैं निकाह के दावत में हर प्रकार के सब्ज़ी, रोटी, मिठाई, फल, आदि होती हैं।

हैदराबादी मुसलमान शादियों में मासाहारी पक्वान सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध हैं और उन में से हैदराबादी बिरयानी को हिंदुस्तान में अव्वल माना जाता हैं। निकाह के दूसरे दिन यानि सोमवार को वलीमा होता हैं। वलीमा का दावत दूल्हे वाले देते हैं। इस दिन कुछ खास नही होता हैं बस सभी अतिथि दुलाह और दुल्हन को बधाई और तौफे देने आते हैं। इस प्रकार एक हैदराबादी निकाह सम्पन्न होती हैं।

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  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Islamic_marital_practices
  2. https://www.culturalindia.net/weddings/regional-weddings/muslim-wedding.html
  3. https://mvslim.com/7-beautiful-muslim-wedding-customs-around-world/