सदस्य वार्ता:Kjee020

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 19:49, 24 जून 2015 (UTC)[उत्तर दें]

आपके सम्पादन[संपादित करें]

सोनिया गांधी के लेख में शायद आपने कुछ पाठ ठीक जोड़ा था। पर उनके रंगीले मिज़ाज और माधव राव सिंध्या से अवैध सम्बंध की जो बातें आपने कही हैं, वह पूर्णतः स्रोतहीन हैं और अज्ञानकोशीय हैं। कृपया ऐसी बातें मत लिखिए। --मुज़म्मिल (वार्ता) 19:56, 2 जुलाई 2015 (UTC)[उत्तर दें]

भारत स्वाभिमान दल (रजि०)[संपादित करें]

भारत स्वाभिमान दल परिचय

भारत स्वाभिमान दल (रजि.) एक गैर सरकारी, सामाजिक, आध्यात्मिक संगठन हैं। इसकी स्थापना सनातन संस्कृति संघ विश्वजीत सिं अनंत ने की थी इसका मुख्य उद्देश्य भारत व सनातन हिन्दू संस्कृति की रक्षा एवं सम्वर्द्धन करना तथा सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व आध्यात्मिक सभी प्रकार की व्यवस्थाओं का परिवर्तन कर स्वस्थ, समृद्ध, शक्तिशाली एवं संस्कारवान भारत का पुनर्निर्माण करना हैं। यह संगठन संसार के जन कल्याणार्थ मानवीय, नैतिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों को निजी, व्यवसायिक तथा सार्वजनिक जीवन में बढ़ावा देने के लिए कार्यरत हैं। इसके सात मुख्य उद्देश्य है :- (1)कृषि (2)शिक्षा (3)स्वास्थ्य (4)पर्यावरण (5)रोजगार (6)धर्म जागरण (7)स्वदेशी जागरण यह संगठन जिन क्षेत्रों में शिक्षायें एवं प्रशिक्षण दे रहा हैं, वे है- धर्मतंत्र जागरण, राष्ट्र जागरण, मूल्यनिष्ठ शिक्षा, चरित्र निर्माण, आपदा प्रबन्धन, विश्व-बंधुत्व, सम्पूर्ण स्वास्थ्य, योग प्रशिक्षण, स्वदेशी स्वाभिमान, गौवंश एवं ग्राम आधारित अर्थतंत्र की व्यवस्था, पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जागृति, व्यक्तित्व विकास, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक पुनर्निर्माण, नशीले पदार्थो से मुक्ति, अन्धविश्वास एवं कुप्रथा निवारण, सकारात्मक चिंतन, वैज्ञानिक- आध्यात्मिक अनुभूति तथा जीने की कला। भारत व सनातन संस्कृति की रक्षा व सम्वर्द्धन की दिशा में हमारे वैयक्तिक व संगठनात्मक दायित्व के द्वारा वैभवशाली व शक्तिशाली भारत, विश्वगुरू भारत एवं विश्व की महाशक्ति के रूप में भारतवर्ष की सनातन संस्कृति को पुनः प्रतिष्ठित करने या आर्यावर्त देश को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व आध्यात्मिक रूप से विश्व के एक आदर्श राष्ट्र में स्थापित करने के लिए हमारी दो कार्ययोजनाएं है । एक देश की आध्यात्मिक उन्नति तथा दूसरी आर्थिक उन्नति । दोनों प्रकार की उन्नति का आधार है स्वस्थ शरीर व स्वस्थ मानसिकता । राष्ट्र का नैतिक, चारित्रिक व आध्यात्मिक विकास करने में हम पूर्ण स्वतंत्र और ये तो हमें पूर्ण पूरूषार्थ से करना ही हैं । इसके लिए संगठन की पाँच सूत्रीय योजना निम्नलिखित हैं:- (क) शिक्षा व्यवस्था - 1. हम योग आदि प्राचीन भारतीय विद्याओं का क्रियात्मक व व्यवहारिक प्रशिक्षण विद्यालयों में जाकर देंगे तथा बच्चों के मन में बचपन से ही अपने देश की राष्ट्रभाषा, मातृभाषा एवं संस्कृतभाषा, स्वदेशी भोजन, औषधि, संगीत व अभिवादन, संस्कृति एवं संस्कारों के प्रति आत्म गौरव का भाव जागृत करेंगे एवं भारत के गौरवशाली स्वर्णिम अतीत के बारे में बच्चों को बताकर उनमें स्वाभिमान का भाव भरेंगे । 2. मूल्यों पर आधारित संस्कारों के साथ भारतीय भाषाओं में सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था बनानी है । विज्ञान, गणित, तकनीकि, प्रबंधन, अभियांत्रिकी, चिकित्सा व प्रशासकीय आदि सभी प्रकार की शिक्षा राष्ट्रभाषा व अन्य प्रादेशिक भारतीय भाषाओं में ही होनी चाहिए । इस सम्पूर्ण व्यवस्था को हम क्रमबद्ध तरीके से लागू करवायेंगे । ऐसा होने पर एक गरीब मजदूर व किसान का पुत्र - पुत्री भी डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, आई.ए.एस, आई.पी.एस. व अधिकारी बन सकेगे व देश के सभी लोगों को समान रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिल सकेगा । 3. विद्यालयों में चरित्र निर्माण शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा व सैन्य शिक्षा अनिवार्य करायेंगे । 4. भारत में चल रही शिक्षा पद्धति का प्रारूप 200 वर्ष पूर्व टी. बी. मैकाले द्वारा भारत को सदियों तक गुलाम रखने के लिए किया गया था । मैकाले इस सत्य को भली - भांति जानता था कि हीन चरित्र के लोग कभी भी उच्च चरित्र के लोगों को गुलाम नहीं बना सकते । मैकाले जानता था कि भारत में लागू की गई अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से पढ़कर निकलने वाले विद्यार्थी रंग, रक्त व शरीर से भारतीय और विचार, आचरण, मान्यताओं व आत्मा से अंग्रेज हो जायेगें । मैकाले द्वारा निर्मित भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में भारतीयों के स्वाभिमान व आत्मसम्मान को नष्ट करने के लिए तथा देश के बच्चों का नैतिक व चारित्रिक पतन करने हेतु हम भारतीयों के मन मस्तिष्क में बचपन से ही अपने पूर्वजों के ज्ञान, जीवन व चरित्र के बारे में एक षड़यन्त्र के तहत झूठी, मनगढंत, निराधार व अपमानजनक बातें पढ़ाई जा रही है, जिससे हम भारतीय हर बात में विदेशी लोगों के विचार, दर्शन और संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ मानकर स्वयं से व अपने पूर्वजों से घृणा करने लगते है । सत्ता-हस्तांतरण के इन 67 वर्षो के बाद भी यह घृणित व अपमानजनक षड़यन्त्र हमारी शिक्षा व्यवस्था में एक कलंक की तरह आज तक जारी है । हम इस षड़यन्त्र को पूरी तरह समाप्त कराकर सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था का भारतीयकरण करायेंगे । 5. तथ्यों के आलोक में भारतीय इतिहास का पुर्नलेखन कराकर ताजमहल, कुतुबमीनार आदि प्राचीन भवनों के वास्तविक निर्माताओं को उनका श्रेय देकर भारत का सुप्त स्वाभिम Kjee020 (वार्ता) 18:35, 11 अप्रैल 2016 (UTC)[उत्तर दें]