सदस्य वार्ता:Kavita Singh Chauhan/प्रयोगपृष्ठ
एम.के. ईदिरा[संपादित करें]
मंदेगछे कृष्णराव इंदिरा कन्नड़ भाषा की एक प्रसिद्ध भारतीय लेखिका हैं। उनका जन्म 5 जनवरी 1917 में हुआ था। उन्होंने कई उपन्यास लिखें हैं जैसे कि फ़ान्यामम जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले। उन्होंने पैंतालीस की उम्र में उपन्यास लिखना शुरू किया था। उनका निधन 15 मार्च, 1994 में हुआ था।[1]
प्रारंभिक जीवन-[संपादित करें]
इंदिरा का जन्म 5 जनवरी, 1917 को अंग्रेज़ी सामराज्य के थिर्थहल्ली, मैसूर राज्य के एक समृद्ध कृषक और बनशंकराम्मा, टी. सूर्यनारायण राओ के घर हुआ था। उनका मूल गाँव चिकमगलूर जिले के नरसिंहागारापूर में था। बारह वर्ष की आयु में विवाह होने के कारण उनकी औपचारिक शिक्षा सात साल तक ही चल सकी। उनका विवाह एम. कृष्ण राओ के साथ हुआ था। उन्होंने कन्नड़ कविता का अध्ययन किया था और हिंदी भाषा में भी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने अपनी पुस्तकों में से एक में लेखिका त्रीवेणी से मुलाकात का ज़िक्र किया था। त्रीवेणी के लेखक कौशल से प्रेरित होकर, इंदिरा ने कहानियाँ और उपन्यास लिखना शुरू किया और उन्हें प्रिंट मीडिया के द्वारा प्रकाशित किया। उन्होंने पैंतालीस की उम्र में उपन्यास लिखना शुरू किया था। वह सतत्तर की उम्र में चल बसीं।
व्यावसायिक जीवन[संपादित करें]
1963 में इंदिरा की सबसे पहली उपन्यास तुंगभद्रा प्रकाशित हुई थी। उसके पश्चात उन्होंने कई उपन्यास लीखें जैसे की सदानंद (1965), गीजू पूजे (1966) और नवरत्न (1967)। 1969 में निर्देशक पुट्टना कनागल ने गीजू पूजे पर फिल्म बनाई। हालाँकि, उनकी अबतक की सबसे प्रसिद्ध कार्य फ़ान्याम्मा है जो 1976 में प्रकाशित हुई थी। फ़ान्याम्मा उपन्यास एक बाल-विधवा की ज़िंदगी पर आधारित है। यह एक विधवा की वास्तविक कहानी है। जिसे इंदिरा अपने बचपन मे जानती धी। इंदिरा यह कहानी अपने मातेश्री से सुनी थी जब उसी विधवा ने उनको अपनी कहानी सुनाई थी।[2] यह उपन्यास नारीवाद से संबंधित कई पुरस्कार मे चर्चा का विषय रही है। फ़न्यम्मा पर निर्देशिका प्रेमा कारंत ने फिल्म बनाई। इस फिल्म ने कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते। इंदिरा की पूर्वापरा उपन्यास पर भी फिल्म बनी। इंदिरा ने लगभग 40 उपन्यासों को लिखा है।
पुरस्कार[संपादित करें]
इंदिरा के उपन्यास, तुंगभद्रा, सदानंद, नवरत्न और फ़ान्याम्मा ने उन्हें कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार जीतवाया है।[3] साहित्य में उनके योगदान को ध्यान रखते हुए, इंदिरा के नाम पर एक पुरस्कार का घटन किया गया और वह सर्वश्रेष्ठ लेखिकाओं को दिया जाता है।[4] तेजस्वनी निरंजना को फ़ान्याम्मा को अंग्रेज़ी में अनुवाद के लिए भारतीय अकादमी पुरस्कार के साथ साथ कई पुरस्कार मिले।
==कार्यों की सूची== [5]
- सदानंद
- तुंगभद्रा
- जज्जे पूजे
- फनियम्मा
- गिरी बाले
- मधुवन
- मन तुम्बीडा मदादि
- हैन्नीना आकांक्षी
- तापडिंदा टैंपिगे
- ब्रह्मचारी
- कलादर्शी
- हंटीधामा
- नवरत्न
- अम्बरदा अप्सरे
- नागाबेकु
- नवजीवन
- पवाडा
- कल्पना विलासा
- दशावतार
- सुस्वागतः
- टू -लेट
- कठगरा
- आभरणा
- मने कोट्टु नोदु
- कन्याकुमारी यरिगे
- रसवाहिनी
- नागवीना
- आत्मसखि
- डॉक्टर
- तपोवनदल्ली
- चिडविलासा
- जाती कट्टवालु
- सूखन्ता
- यारू हितवारु
- हूँ बना
- पुट्टण्णा कनगल
- वारणलीले
- हाशिवु
- बीडीज चन्द्रमा दोनकु
- कूपा
- कुछु भत्ता
- जाला
- गुंडा
- मुसुकु
- कवलु
- मोहनमाले
- अनुभवकुंजा
- नूरांदु बागीलु
- टेग्गीनमाने सीट