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बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर[संपादित करें]

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर, एक मानसिक विकार है, जिसमे व्यक्ति अपनी काल्पनिक या छोटी छोटी शारीरिक कमियों के बारे में सोचता रहता है। इन कमियों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। इस कारण पीडित अपने आपको कुरुप और बाहरी दुनिया के हिसाब से अयोग्य मानता हैं। व्यक्ति अपने आप शरीर के एक या अधिक हिस्सों के बारे में चिन्तित रहता है। ऐसा भी होता है कि पहले व्यक्ति किसी एक अंग को छोड कर कोई दूसरा अंग उसकी परेशानी का कारण बन जाता है।

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर के लक्षण[संपादित करें]

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर के लक्षण कुछ इस प्रकार है- दिनचर्या का एक बडा हिस्सा शीशों में देखना, तैयार होना और फिर भी संतुष्ट न होना। ऐसे लोगों का मानना है कि अन्य लोग उनकी कमियों पर विशेष ध्यान देते है और व्यक्ति के सामने या पीठ पीछे बुराई करते है। अपनी तुलना अन्य लोगो के साथ करते रहते है और खुद को कमतर मानकर तनावगस्त और बैचेन कहो जाते है।मेडिकल विशेषज्ञों और ब्यूटीशियन आदि से अपनी कमी के बारे में सलाह लेते रहते है। बाहर न जाने के बहाने ढूढते रहते है, लोगो से मिलना पसन्द नहीं करते और यदि सामाजिक कार्यक्रमों में जाते है तो बहुत दबाव महसूस करते है। कुछ लोग तो अपनी एक कमी के बारे में इतनी चिंता करते है कि उनके नीजि जीवन पेशवर जीवन पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पडता है। बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर होने पर व्यक्ति शर्म महसूस करता हैं और इस ही वजह से बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर का जाँच के द्वारा पता लगाना मुश्किल होता है। डाक्टर के अनुसार बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर से ग्रसित कई लोग डाक्टर और अन्य लोग के सामने नहीं आते। शर्म और डर के कारण ऐसे लोग डाक्टर को अपने लक्षण और आदते बताने से भी कतराते है। यहीं कारण है कि अकसर यह विकार काफी समय बाद भी पकड़ मे नहीं आता। व्यक्ति की कुछ हरकतो, जैसे शरीर के किसी हिस्से को बेहतर करने के लिए प्लासिटिक सर्जरी या अन्य उपायो की बात करना बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर क सन्केत बन सकता है।

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर के कारण[संपादित करें]

आजकल के महौल में जहाँ व्यक्ति के रंग रुप की बहुत अहमियत है, बॉडी डिस्मोबॉडी डिस्मोर्फिक के मामले बढ गये है। परिवार में किसी सदस्य या किसी मित्र के बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर से पीडित होने के कारण व्यक्ति अपने शरीर के प्रति वैसी भावनाऔ को सोचने लगता है। कभी कभी जीवन के कटु अनुभाव जैसे बचपन में सदमा, किसी द्वारा रुप को लेकर प्रताडित करना भी इस बीमारी को जन्म दे सकता है।

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर का इलाज[संपादित करें]

बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर का इलाज मनोरोग विशेषज्ञो द्वारा किया जाता है। व्यक्ति की सोच में से नकारात्मकता हटाने और छोटी कमी को बडे अनुमाप में देखने की उसकी आदत छुडाने पर जोर दिया जाता है। साइकोथेरेपी द्वारा व्यक्ति की सोच को बदलने की कोशिश की जाती है। इसके लिए काग्निटिव थेरेपी और बीहेवियर थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। उसके व्यहवार को सकारात्मक बनाया जाता है।कुछ एंटी डिप्रेसेटं दवाएं भी बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर के उपचार मे कारगर है। परन्तु कभी एक सीमा से अधिक बॉडी डिस्मोर्फिक डिसऑर्डर में स्थिति बिगड जाती है और व्यक्ति स्वयं को नुकसान पहुँचाने की चेष्टा करता है। ऐसे में पीड़ित को साईकिएट्रिक अस्पाताल में भर्ती करवाना पड़ सकता हैं।

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  1. http://healthsetu.com/mental-disease/symptoms-of-body-dysmorphic-disorder-in-hindi/
  2. https://www.lifealth.com/hindi/mind-body-and-soul/mental-health/know-more-about-body-dysmorphic-disorder/4202/