सदस्य वार्ता:Dayaramofficial

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क्योंकि उनकी सेवा ही परमात्मा की प्राप्ति का साधन है। इस्लाम कहता है 'भूखे को भोजन दो, भटके को रास्ता बताओ। हिन्दू धर्म कहता है सबकी सेवा करो।' दान दो, पुण्य करो। ईसाई धर्म भी दीन-दुखियों की सेवा कर आगे बढ़ रहा है। जैन धर्म तो दूसरों के लिए त्याग की प्रेरणा देता है। संसार में ये ही पुरुष महान कहलाए है जिन्होंने प्राणी मात्र की सेवा की या सेवा का संकल्प लिया। महात्मा गांधी ने हरिजन कल्याण और दीन दुखियां की जीवन भर सेवा की। फलोरेन्स नाइट एगल मरीजों के लिए देवदूत थी। मन्दिरों में लाखों का चढ़ावा चढ़ाने वाले व हीरे जवाहारात भेंट करने वाले अपने को भगवान का भक्त भले ही समझे पर यह

निबंध लेखन[संपादित करें]

अलग अलग विषयोंपर निबंध लेखन का कार्य । Dayaramofficial (वार्ता) 06:01, 23 मार्च 2023 (UTC)[उत्तर दें]

जन सेवा ही सर्वोत्तम भक्ति है।[संपादित करें]

मनुष्य आदि काल से परमात्मा को प्राप्त करने की कोशिश करता आ रहा है। इस कोशिश का नाम ही भक्ति है। इस भक्ति के नाना स्वरूप है। कोई झांझ और किरताल बजा कर प्रभु को प्राप्त करना चाहता है तो कोई अन्य तरीके से कोशिश करता है । क्योंकि उनकी सेवा ही परमात्मा की प्राप्ति का साधन है। इस्लाम कहता है 'भूखे को भोजन दो, भटके को रास्ता बताओ। हिन्दू धर्म कहता है सबकी सेवा करो।' दान दो, पुण्य करो। ईसाई धर्म भी दीन-दुखियों की सेवा कर आगे बढ़ रहा है। जैन धर्म तो दूसरों के लिए त्याग की प्रेरणा देता है। संसार में ये ही पुरुष महान कहलाए है जिन्होंने प्राणी मात्र की सेवा की या सेवा का संकल्प लिया। महात्मा गांधी ने हरिजन कल्याण और दीन दुखियां की जीवन भर सेवा की। फलोरेन्स नाइट एगल मरीजों के लिए देवदूत थी। मन्दिरों में लाखों का चढ़ावा चढ़ाने वाले व हीरे जवाहारात भेंट करने वाले अपने को भगवान का भक्त भले ही समझे पर यह न तो भक्ति है न सेवा। सच्ची भक्ति तो जन सेवा ही है। Dayaramofficial (वार्ता) 06:09, 23 मार्च 2023 (UTC)[उत्तर दें]

सांचौर जिला का राजनैतिक दृष्टिकोण[संपादित करें]

"बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं।

टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं"॥

सबसे पहले मैं सभी को सांचौर ज़िला बनने की बधाई देने की औपचारिकता पूरी कर देता हूँ…! औपचारिकता इसलिए क्योंकि जिस प्रकार ज़िला बनने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है मानो अब तो आम लोगों की सारी समस्याओं का निस्तारण हो गया हो…! मैंने चालीस बसंत देख लिए हैं मगर मुझे तो कभी भी ज़िला मुख्यालय से कोई सरोकार नहीं रहा। मुझे क्या किसी भी आम व्यक्ति को शायद ही कोई काम पड़ा हो…? तो फिर इतना ताम-जाम क्यों..! पुरे  नैहड. क्षेत्र में पुरी रबी सीज़न में एक क्युसेक पानी नहीं मिला जिससे किसानों को लाखों रुपये का नुक़सान हो गया मगर इस पर भाजपा के चाहे कार्यकर्ता हो या नेता  कोई बात नहीं कर रहा है मगर बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह सभी ज़िला बनने की ख़ुशी में ख़ुश हो रहे हैं। अब ज़िला कैसे बना क्यों बना इस पर भी विश्लेषण कर लेते ..! कल कांग्रेस की पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था मगर तमाम भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे और तर्क दे रहे हैं कि यह तो धन्यवाद सभा थी..? ग़ज़ब का तर्क,धन्यवाद लेने वाले ने ही सभा का आयोजन किया और कहा आओ और मुझे धन्यवाद दो..? सभी को पता था कि यह एक चुनावी सभा हैं, धन्यवाद सभा महज़ बहाना है..और स्वभाविक है कि कोई भी राजनेता अपने कार्यकाल में हुए सार्वजनिक काम को भुनाएगा तो ज़रूर मगर भाजपा के कार्यकर्ता बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तर्ज़ पर क्यों ख़ुश हो रहे थे..?

सभी को पता है कि सन् १९७१ की जनगणना के अनुसार सांसद सीटों को निर्धारित किया था,कई बार आवाज़ उठी की १९९१ या २००१ की जनगणना के अनुसार संसदीय क्षेत्र बनाया जाए मगर

सुरसा की तरह मुंह की बाएँ खड़ी संसद भवन में बैठने की सीमित सीटें की समस्या थी।

अब जब सबको पता है कि केन्द्र सरकार ने नया और भव्य संसद भवन बना दिया है और जल्द ही संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन होने वाला है तो राजनीति के पुराने माहिर अशोक जी गहलोत ने बड़ा राजनैतिक दांव खेलते हुए आनन फ़ानन में ज़िले बनाने की घोषणा कर दी। इससे पिछले चार साल की नाकामी भी छिप गईं और नये परिसीमन में अपनी मर्ज़ी से क्षेत्र का चुनाव करेंगे जिससे उनको सिट जितने में मदद मिल सके।ज़ाहिर है सांचौर ज़िले में गूड़ामालानी के धौरीमन्ना के क्षेत्र को शामिल करेंगे और एक संसदीय क्षेत्र में तीन ज़िले तो नहीं रखेंगे तो सिरोही ज़िले को तो अलग होना ही है। अब कोई भी व्यक्ति अनुमान लगा सकता है कि फिर जालोर-सांचौर लोकसभा सीट का क्या परिणाम आ सकता है और किस पार्टी को लाभ मिल सकता है..?

अब किस प्रकार का भौगोलिक क्षेत्रफल होगा,किस दल को नफ़ा नुक़सान होगा यह तो भविष्य के गर्भ में हैं मगर भाजपा को जरुर सोचना चाहिए कि आगामी चुनावों में क्या रणनीति होगी और किस मुद्दे के साथ चुनावी समरभूमि में उतरना है…?

और भाजपा पदाधिकारियों और नेताओं को भी सोचना चाहिए कि ज़िला बनने की मादकता में ऐसे अखाद्य चीजों का सेवन मत कर लेना जिससे साँप छछून्दर सी स्थिति बन जाए….कल की कुछ नेताओं की नादानी की वजह आम कार्यकर्ता बैकफ़ुट पर आ गया है जिससे आम नागरिकों को भी डर सताने लगा कि अगर भाजपा ने ही हथियार डाल दिये हैं तो फिर अगली रबी की सीज़न में नहर का पानी नहीं मिलेगा, क़ानून व्यवस्था पुरी तरह चरमरा गई और भी स्थिति बद्द से बदतर हो जाएगी।इसलिए सभी भाजपा कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि आप जरा स्व विवेक से सोचो जिस मंत्री से मुख्य नहर में से वितरिकाओं में सुचारू रूप से पानी नहीं चल पाया और सारा पानी बाड़मेर क्षेत्र में दे दिया हो उस मंत्री से ज़िला बन गया वह भी इतनी आसानी से…??? यह सब जादूगर की जादूगरी है आगामी परिसीमन को लेकर….. Dayaramofficial (वार्ता) 13:12, 26 मार्च 2023 (UTC)[उत्तर दें]

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☆★संजीव कुमार (✉✉) 12:04, 9 अप्रैल 2023 (UTC)[उत्तर दें]

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रोहितबातचीत 13:46, 18 अप्रैल 2023 (UTC)[उत्तर दें]

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रोहितबातचीत 08:37, 13 अप्रैल 2024 (UTC)[उत्तर दें]