सदस्य वार्ता:विवेक कुमार त्रिपाठी

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 15:29, 7 मई 2017 (UTC)[उत्तर दें]

कभी पास आओ तुम कभी इक़रार करो, कभी आँचल समेटो कभी बाहें बहार करो।

इश्क़ का करार जरुरी है मोहब्बत वालों को , मगर सर-ए-राह न हमे मोहब्बत का इज़हार करो।

हमेशा चमन नहीं होता यूँ बहारों में , कभी कभार दिल से भी हमे सलाम करो।

हर एक चेहरे बदलते रहते है रंग कई , जिसे भी दिल में उतारो उसी का नाम करो।

मोहब्बत के रिवाज़ से गुलज़ार है इंसानियत , वो तुम्हे प्यार करेगा तुम भी उसे प्यार करो।


-  मेरे अनसुलझे पन्ने

-विवेक