सदस्य वार्ता:पानसिंह अर्गल

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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 20:05, 8 दिसम्बर 2022 (UTC)[उत्तर दें]

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हैलो! अपने सदस्य पन्ने और बातचीत पन्ने को गैर-विकिपीडिया काम करने के लिए इस्तेमाल ना करें। वि:ब्लॉगनहीं ध्यान से पढ़ें। मुरही (वार्ता) 14:11, 11 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]

*शूद्र नाम पर प्रश्न & वास्तविकता[संपादित करें]

🔥प्रतिक्रिया 🔥

*शूद्र नाम पर प्रश्न & वास्तविकता*

इस लेख पर भाई चरण सिंह जी  (गाजियाबाद) की मार्मिक प्रतिक्रिया

आदरणीय शूद्र साहब जय भीम नमो बुद्धाय | आपका  आकलन आपके विचार एक सुखद अनुभूति का एहसास कराते हैं | ऐसा लगता है जैसे कि सदियों से बिछुड़ा हुआ मेरा अपना भाई मुझसे रूबरू होकर मेरे दुखते जख्मों पर मरहम लगा रहा है | आपकी बात में कटु सत्य है | परमपूज्य बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने भी कहा है कि मुझे दुख इस बात का नहीं कि दूसरे हमे नीच कहते हैं या समझते हैं | बल्कि दुख इस बात का है कि मेरा समाज खुद अपने आप को नीच समझता है | एक बार मैं गेंहू लेने मंडी गया | वहाँ एक दुकान पर लाला से गेंहू का भाव पूछा | लाला ने मेरे कपड़े, चेहरे को भाँपते हुए बेधड़क होते हुए पूछा कि आप चौधरी हो? मैने कहा नहीं | उसने फिर पूर्ण विश्वास के साथ पूछा कि पंडित होंगे?  मैने कहा कि नहीं मैं चमार हूँ | इतना कहते ही उसकी हालत देखने लायक थी | वह एक दम लड़खडा गया था | मानो उसने बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो |अपने को संभालने की कोशिश में वह सफाई में कहने लगा कि कोई बात नहीं, सब एक ही हैं | मैंने कहा कि सब एक ही होते तो आपको पूछने की जरूरत नहीं पड़ती | उस दिन मुझे बाबा साहब के उक्त कथन का सुखद अहसास हुआ | सोचने लगा कि बाबा साहब में कितनी दूरदर्शिता थी? आज के परिणाम को उन्होंने एक सदी पहले ही ऑक लिया था | बाल अवस्था में जब जातिवाद के जहर से रूबरू होना पड़ा था तो मन आत्मग्लानि से भर गया था | पढ़ाई पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था उस समय | लेकिन आज आप जैसे सटीक व निर्भीक विद्वान लोग बाबा साहब के मिशन को कामयाब करने में लगे हैं | आप को शत शत नमन | जय भीम नमो बुद्धाय |

(नोट- ऐसे और सैकड़ों लेख और उनसे संबंधित प्रतिक्रिया पढ़ने के लिए गूगल पर *शूद्र शिवशंकर सिंह यादव* सर्च कर हमारी लिखित चार पुस्तकें अमाजोन पर आन लाइन प्राप्त कर सकते हैं। धन्यवाद। पानसिंह अर्गल (वार्ता) 18:40, 18 जुलाई 2023 (UTC)[उत्तर दें]