सदस्य:Umehani.cu/प्रयोगपृष्ठ/अनुच्छेद 21

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भारत झंडा

अनुच्छेद 21[संपादित करें]

अनुच्छेद 21 घोषित करता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं हो सकता है। यह अधिकार् नागरिक और गैर-नागरिक दोनों के लिए उपलब्ध है।प्रसिद्ध गोपालन मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने लेख 21. के एक संकीर्ण व्याख्या की थी, जिसमें यह माना गया था कि अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षा केवल कार्यकारी कार्यवाही के खिलाफ उपलब्ध है। इसका अर्थ है कि राज्य कानून के अधार पर किसी भी व्यक्ति की जिंदगी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को वंचित नही कर सकता है।[1]

दैहिक स्वतंत्रता का अर्थ एवं विस्तार[संपादित करें]

अनुच्छेद 21 में प्रयुक्त दैहिक स्वतंत्रता शब्द पर्याप्त विस्तृत अर्थ वाला शब्द है और इस रूप में इसके अंतर्गत दैहिक स्वतंत्रता के सभी आवश्यक तत्व शामिल है जो व्यक्ति को पूर्ण बनाने में सहायक है इस अर्थ में इस पदावली में अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत स्वतंत्रता के सभी अधिकार भी आते हैं किंतु प्रारंभ में उच्चतम न्यायालय ने इस पदावली का बहुत संकुचित अर्थ लगाया।

कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया[संपादित करें]

यह 'कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया' की अभिव्यक्ति की वजह से है, जो अमेरिकी संविधान में निहित 'कानून के कारण' अभिव्यक्ति से अलग है। इसलिए कानून की वैधता के आधार पर पूछताछ नहीं की जा सकती है कि यह अनुचित या अन्यायपूर्ण है।[2]लेकिन मेनका के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने गोपालन मामले में अपने फैसले को खारिज कर दिया और अनु. 21 की व्यापक व्याख्या की। इसलिए उसने यह फैसला सुनाया कि किसी व्यक्ति की जिंदगी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार कानून द्वारा वंचित किया जा सकता है बशर्ते कि यह अन्य शब्दों में उचित है, उसने अमेरिकी कानून 'कानून की वैध प्रक्रिया' की शुरुआत की है, अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षा केवल मनमानी कार्यकारी कार्रवाई के खिलाफ ही नहीं, बल्कि मनमानी विधायी कार्रवाई के खिलाफ भी उपलब्ध होनी चाहिए। अनुच्छेद 21 में लिखे गए 'जीवन के अधिकार्' केवल पशु अस्तित्व या उत्तरजीविता तक ही सीमित नहीं है, लेकिन इसमें अपने दायरे में मानव गरिमा और जीवन के उन सभी पहलुओं के साथ रहने का अधिकार शामिल है जो एक व्यक्ति के जीवन को सार्थक, पूर्ण और लायक बनाने के लिए चाहिए।[3]

अधिकारों की घोषणा[संपादित करें]

सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 के भाग के रूप में निम्नलिखित अधिकारों की घोषणा की है: 1. मानव गरिमा के साथ जीने के लिए 2. जीवन के लिए सही, 3. स्वास्थ्य के लिए सही 4.आश्रय का अधिकार्, 5. गोपनीयता का अधिकार्, 6.सही सभ्य माहौल सहित नि: शुल्क पानी और हवा और खतरनाक उद्योगों के खिलाफ संरक्षण 7.नीन्द का अधिकार् 8.शोर प्रदूषण से आजादी का अधिकार्, 9. महिलाओं के साथ शीतलता और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाना सही है 10.हिरासत में उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार 11.सामाजिक और आर्थिक जीवन और सशक्तिकरण का अधिकार 12.विदेश यात्रा करने का अधिकार 13. सरकारी अस्पतालों में समय पर चिकित्सा उपचार पाने का अधिकार 14. चौदह वर्ष की आयु तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार 15.आपातकालीन चिकित्सा सहायता के अधिकार 16. हथकड़ी के खिलाफ अधिकार 17.निष्पक्ष निशान का अधिकार 18.अकेले कारावास के खिलाफ अधिकार 19.कानूनी सहायता मुक्त करने का अधिकार 20.राज्य से बाहर नहीं होने का अधिकार 21.बिजली का अधिकार 22.अमानवीय उपचार के खिलाफ अधिकार 23.प्रतिष्ठा के अधिकार 24.सार्वजनिक फांसी के खिलाफ अधिकार 25.बंधुआ श्रम के खिलाफ अधिकार 26.सूचना का अधिकार।[4] 27. अपनी इच्छा अनुसार विवाह करने का अधिकार [5]

  1. http://www.yourarticlelibrary.com/indian-constitution/article-21-of-the-constitution-of-india-discussed/5497
  2. https://www.lawctopus.com/academike/article-21-of-the-constitution-of-india-right-to-life-and-personal-liberty/
  3. https://indiankanoon.org/doc/1199182/
  4. http://www.legalserviceindia.com/articles/art222.htm
  5. https://khbarkona21news.com/2021/02/%e0%a4%85%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9b%e0%a5%87%e0%a4%a6-21-article-21-of-indian-constitution-in-hindi/