सदस्य:Swathi S Prashanth/प्रयोगपृष्ठ

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जलवायु परिवर्तन असली है।[संपादित करें]

आज कल पर्यावरण में ऐसे बहुत से बदलाव आ रहे है जिसे हम अगर जल्द से जल्द सुलझा न दे तो भविष्य में बहुत से परेशानियाँ प्रकट हो सकता है । जलवायु परिवर्तन कुछ ऐसा खतरनाक बदलाव माना जाता है। आसान भाषा में, जलवायु परिवर्तन का मतलब मौसम में आनेवाले व्यापक बदलाव से है। इसका प्रमुख कारण 'विश्व तापमान' या ग्रीनहाउस् गैसों के उत्सर्जन में बेतहाशा वृद्धि का माना जाता है। इसके वजह से सूर्य का तापमान बढने पर ऐसे मौसम में बदलाव बहुत से दिखे जाते है। अगर इसका उपाय जल्दी न ढूँढ ले तो पृथ्वी का अंत हमसे काफी दूर नहीं है। वक्त बीतता जा रहा है और उसके साथ दुनिया नए बदलाव से बिगडता जा रहा है।

औद्योगिक प्रदूषण
मानव के जरिए होनेवाले प्राकृतिक आपदा- जंगल में आग

इसका सबसे मुख्य कारण[संपादित करें]

जलवायु परिवर्तन का कारण चाहे ‘ग्लोबल वॉमिंग’ हो न हो, मगर इस तरह के बरबादी परिवर्तनों का सबसे प्रमुख कारण हम मानव ही है। मानव के लाए छोटे-छोटे गल्तियाँ व बदलाव ही दुनिया को बरबादी की ओर ले जा रही है। मानव अपनी लालच और ज़रूरत के बीच इतने अंधे हो गए है कि वे बिना सोचे समझे पर्यावरण में नए बदलाव लाते है, और बाद में वही बदलाव के लाए परिस्थिति पर अफ़सोस करने लगते है। अगर ये ऐसा ही चलता गया तो आने वाले कल में हम बहुत कुछ खो देंगे। एमज़ॉन जंगल, जो दुनिया के लगभग 85 % मात्रा के ऑक्सिजन छोडते है- इस साल मानव के एक छोटी गलती के कारण जल पडा। करोडों जीव जन्तु और पेड-पौधें, जो बहुत से अनोखे थे, इस हाद्से से अपनी जान खो बैठे। वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ सालों के बीतने पर हमें कई अनमोल चीज़ों की कमी पडेगी, और इन बका ज़िम्मेदार हम ही होंगे। पेड पौधों को ज़्यादा काटने पर हम भविष्य में खाना, हवा, पानी और ऐसी कई अनमोल तत्वों की कमी पर हम तरसेंगे। अगर हम इस वक्त इन सब पर काम नहीं करेंगे तो भविष्य में हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे। हम सालों से ‘ग्लोबल वॉर्मि़ग’ के बारे में सुनते आ रहे है। 19वी सदी के आरंभ से अभी तक वैश्विक तापमान में 0.6°c की वृद्धि पहले ही हो चुकी है। इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आई पी सी सी) का मानना है कि 2050 तक वैश्विक तापमान में 0.5 से 2.57 डिग्री सेल्सियस के बीच वृद्धि होगी, जब्की 2100 तक यह अनुमानित वृद्धि 1.4 से 5.8 डिग्री सेल्सियस के बीच हो जाएगी। अध्ययन बताते है कि हर साल लगभग 10 बिल्लियन मीट्रिक टन कार्बण हमारे वायुमंडल में छोडा जा रहा है। वैज्ञानिकों ने अनुमान किया है कि इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में लगभग 1.1 और 2.9 डिग्री के बीच बढ़ोत्तरी होगी।

समस्या का उपाय[संपादित करें]

जलवायु परिवर्तन असली है। यह परिवर्तन बढ़ता ही जा रहा है और बिगड़ता ही जा रहा है। अगर सावधान नहीं रहेंगे तो भविष्य में समाज को बहुत पछताना पड़ेगा। बढ़े सावधानी से पानी और बिजली का उपयोग करने तथा प्राकृतिक संसाधन को बचाए रखकर संभालकर इस्तेमाल करे, तो समाज के द्वारा ये एक बदलाव के नाम पर एक बडा कदम होग। मानव के तरफ से छोटे से छोटे काम कराने से बहुत बदलाव ला सकते है, जैसे: (1)जितना हो सके, हमें अपने पर्यावरण को हमेशा साफ़ रखना है। (2)प्लास्टिक का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा कम कराना है। (3)हर जीव जन्तुओं को प्यार और आदर से देखना चाहिए। हर जीवी इस दुनिया में जीने का हकदार है। (4)गाडियाँ लेने के बदले पब्लिक वाहन का इस्तमाल करने पर कार्बन की मात्रा को कम कर सकते है। (5)बोलने के बदले हमें समस्या को ठीक करके दिखाना है। बोल तो कोई भी कर सकता है । करके दिखाने से बदलाव आता है।

संदर्भ[संपादित करें]

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  1. https://hindi.indiawaterportal.org/content/galaobala-vaaramainga-kaa-badhataa-khataraa-essay-global-warming-hindi/content-type-page/613
  2. https://www.achhiadvice.com/2019/02/03/essay-on-climate-change-in-hindi/