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सूरजरत्न रामबचन चगवानस के मेयर हैं।

परिचय[संपादित करें]

सूरजरत्न रामबचन चगवानस के मेयर हैं।

सूरजरत्न रामबचन

उनका जन्म १४/४/४९ मे हुआ था। सूरजरत्न रामबचन जी त्रिनिदाद और टोबैगो के राजनीतिज्ञ, शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यकरता हैं। वे २०१३ मे त्रिनिदाद और टोबैगो का वर्कस् और इंफ्रास्ट्रक्चर के मंत्री थे। त्रिनिदाद और टोबैगो जुडवा द्वीप देश है जो दक्षिण अमेरिका की मुख्य भूमि वेनेज़ुएला के तट से ११ किलोमीटर की दूरी पर है। सूरजरत्न रामबचन पहले से चगवानस (जो केंद्रिया त्रिनिदाद पर स्थित है) के सिनेटर और ब्राज़िल के उद्योग और पर्यटन मंत्रालय के मंत्री बने थे ।त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय आगमन दिवस को एक राष्ट्रीया उत्सव के रूप मे स्थापित करने मे उन्होने मुख्य पात्र निभाये। वह अब विदेशी मामलों के मंत्री और तबाकिट क्षेत्र के पार्लियमेंट के सदस्य है।

प्रारम्भिक जीवन[संपादित करें]

सूरजरत्न रामबचन अपने नियुक्त्ति के साधन को जॉर्ज मैक्सवेल रिचर्ड्स से पाया था। मंत्री सूरजरत्न रामबचन एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं जो १९८७ से १९९० तक ब्रज़िल के लिये राजदूत बने। वह चगवानस के मेयर छह साल के लिये २००३ से २००९ तक बने हुए थे। वह अभी भी तबाकी पार्लियामेंट के सदस्य है। उनके कार्यकाल मे उन्हे शिक्षा के क्षेत्र मे बहुत सारे अवसर मिले । वह वेस्ट इंडीज के विश्वविद्यालय , सेंट अगस्टीन परिसर, के अध्यापक बने थे। उन्होने विदेशी मामलो के सदस्य बनकर अपने बहूमूल्य अनुभव से कंपनी की योजना, विवाद समाधान, अंतर्राष्ट्रीय प्रचार , प्रबंधन और मीडिया संबंधों के क्षेत्र में काफी बदलाव लाये है। डॉ सूरजरत्न रामबचन जी नेतृत्व और प्रबंधन विकास के सलाहकार भी है।

योगदान[संपादित करें]

डॉ रामबचन जी ने १७ अप्रैल १९६६ मे सरस्वती कीर्तन मंडली[1] की स्थापना अपने परिवार और दोस्तो के साथ मिलकर किया। २०१४ मे इस मंदिर की स्थपना को ४८ साल होने के खुशी मे सिपारिया पुरानी सड़क, अवोकाट मे उत्सव मनाया था। इन ४८ सालो मे इस मंडली मे लगभग १२०० सत्संगो का संचालन किया था। सूरजरत्न रामबचन जी ने खुद रामायण का प्रवचन १९८५ मे शुरू किया। उन्होने २००४ मे १०० वीं और २००५ मे १०८ वीं रामायन यज्ञ को दिवाली नगर मे पूर्ण किया । डॉ रामबचन ने ही त्रिनिदाद मे बिना रुके गायन का परिचय कराया। यह माना जाता है की रामबचन जी ने ही १०८ भजनों को बिना रुके गाने का सिलसिला विश्व मे स्थपित किया। यह प्रक्रिया उन्होंने विशिस्ट कार्यो के लिये ही किया।

कार्य[संपादित करें]

रामबचन जी के लेखनो मे १) रीकिंडलिंग दि ह्यूमन स्पिरिट जो ७२ छोटी कहानियो का संग्रहण रामायन पर है जो मंदिरो मे कहने के योग्य है। २) लीडर्शिप लेसन्स फ्रम दि रामायन, जिसमे राम जी के जीवन कार्य का वर्णन है। ३) वैल्यूस दैट एंपावर दि हिंदू वे ऑफ लाइफ । ४)दि चाइल्ड इन दि रामायन, जो कि हिंदू पर्वरिश के बारे मे है। ५) दि हिंदू मैरिएज २१ वीं शतमान के चुनौती और उनके उपाय जो की रामायण पर आधारित है। ६)१०६ मैनेज्मेंट ट्रूथ्स, जिसके १००० प्रतियो को रोटरी क्लब ऑफ पीनल को बच्चो की बिमारियो का इलाज के लिये आदाय उत्पन्न करने के लिये दान दिया। ७) लेसन्स हनुमान टाट्। ८) दि एसन्स ऑफ शिवरात्रि। ९) केसस् इन बिहेविअरल साइन्स , जो कि मानव संसाधन के मामले के अध्ययन है।

उनहोने पहले १९७० मे भजन और मंत्रो को रेकार्ड किया और बाद मे 'कम लेट अस चैन्ट' को १९७४ मे रेकार्ड किया। उनहोने हनुमान चालिसा और सुंदर कांड के हनुमान प्रार्थना को भी रेकार्ड किया था लेकिन आधिकारिक तौर पर जारी नही हुए है। एक और एल्बम है जो जारी नही हुए । इस एल्बम मे १९८७ मे रेकार्ड किये गये पुराने भजन थे जैसे ''हे सत्यनरायणा स्वामी'' , ''हमे पार करो''और ''ले चला प्रभुजी के द्वार मानव"।हो सकता है कि एक दिन यह सब भजनो को प्रकाशित किया जाएगा। उनहोने महात्मा गांधी को भी श्रधांजली भी किए थे। रामबचन जी मैनेज्मेंट स्टडीस यू डबल्यू आई, सेंट आगस्टीन विश्वविद्यालय से स्म्मान स्नातक है। वह १९७१ मे सी आई डि ऐ से वजीफा को प्राप्त करने वालो मे से थे। उनके स्मरणीय क्षणो मे नाशनल कोन्सिल फोर इंडियन कलचर के २०११ दिवाली नगर समारोह मे सम्मानीय अतिथि के रूप मे है। ऑल इंडिया रेडिओ के २०१२ के संगीत समारोह मे ८ भजन जो कि एक घण्टे का ऑल इंडिया रेडिओ के कलाकारो के साथ सहगान था उनका सर्वोत्म अनुभव था।

परिवार[संपादित करें]

सूरजरत्न रामबचन के दो बच्चे- आदी और रंजना है और उनकी पत्नी नंदिनी जी हैं। उनकी उम्र ६७ साल है। उनकी पत्नी नंदिनी रामबचन जी के काम के वर्णन कर्ते हुए कहती है कि प्रात:काल ६ बजे रेडिओ स्टेशन को भजन कार्यक्रम देने के लिये निकलते है। और देर रात तक भी उनकी आवाज सत्संग गाते हुए रेडिओ पर सुनाई पडती है[2]। नंदिनी जी सूरज जी को उनकी निर्लक्षता और गंभीर परिस्थितियो का सामना करने की क्षमता जो की जीवन ने उनको दिया था उसके बारे मे बहुत ही सराहती थी।

संदर्भ[संपादित करें]
  1. <ref>https://www.facebook.com/srambachan/posts/751752791537584</span> </li> <li id="cite_note-2"><span class="mw-cite-backlink">[[#cite_ref-2|↑]]</span> <span class="reference-text"><nowiki><ref>http://www.newsday.co.tt/people/0,23170.html<nowiki>