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लोकप्रिय कवि सुखमंगल सिंह जी ,राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय फलक पर दहाड़ने वाले सही अर्थों मेन 'सिंह 'हैं


डा अजीत श्रीवास्तव


अखिल भारतीय सद्भावना संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि -लेखक -समीक्षक -श्री सुखमंगल सिंह ने अपने नेतृत्व में बाबा श्री काशी विश्वनाथ की प्रिय नगरी काशी से ऋषिकेश तक की प्रथम 'सद्भावना मैत्री यात्रा 'का शुभारम्भ दशाश्मेध घाट से दिनांक २ मई १९९३ (रविवार)को किया | प्रथमतः श्री काशी विश्वनाथ को माँ गंगामृत अर्पित किया | माँ गंगामृत ताम्रपात्र में साथ लेकर आगे बढे | इस सद्भावना मैत्री यात्रा में सर्वश्री योगेंद्र नाथ दुबे ,जे. के. सिंह ,पतिराज सिंह ,एस. एन सिंह आदि आठ लोग सम्लित रहे | विश्वबंधुत्व और राष्ट्रीय आपत्तियों - विपत्तियों के निवारण को दृष्टिगत रखते हुए की गई उक्त यात्रा पूर्ण करने के बाद लौटकर आने पर सद्भावना संगठन कार्यालय में अपनी उपस्थिति दी | तत्कालीन एम. एल. सी श्री मणिशंकर पांडेय ने संगठन पंजिका पर लिखा -"श्री सुखमंगल सिंह के नेतृत्व में सद्भावना यात्री आये | यह यात्रा देश की एकता -अखंडता को अक्षुण्य बनाने में सहायक सिद्ध होगी | देश मजबूत होगा | " दिनांक ९-५-१९९३ को श्री सुखमंगल सिंह और श्री योगेंद्र नाथ दुबे ने बाबा श्री काशी विश्वनाथ जी को अयोध्या से लाकर सरयू जल चढ़ाया | इस अवसर पर संगठन पंजिका पर पं ० अवधेश तिवारी (पुजारी श्री काशी विश्वनाथ जी , मंदिर वाराणसी) ने लिखा -"यह संगठन राजनीति से प्रेरित होकर कार्य न करे, यही बाबा विश्वनाथ जी से कामना करते हैं| "उक्त यात्रा में मिले भारी जन समर्थन से प्रेरित और उत्साहित हुए कवि सुखमंगल सिंह ने वाराणसी से कश्मीर तक की सद्भावना यात्रा का मन बनाया | दिनांक ६-८-१९९४ को अखिल भारतीय सद्भावना संगठन की एक बैठक डॉ भानुशंकर मेहता जी द्वारा उद्घाटित हुई | यात्रा का मुख्य उद्देश्य आपसी भाई चारा और विश्वबंधुत्व का प्रचार- प्रसार होगा ,ऐसा श्री सुखमंगल जी ने बताया | कवि अजीत श्रीवास्तव उन दिनों त्रिशूल काशिकेय उप नाम से भी साहित्यिक लेखन और काव्य पाठ करते रहे | अजीत श्रीवास्तव ने ६-८-९४ को संगठन -पंजिका पर अंकित किया है -"आज लोग कश्मीर का नाम सुनकर ऐसे भयभीत हो जाते हैं ,जैसे वे हत्यारों के बीच जाने की बात कर रहे हों | ऐसे में कवि सुखमंगल सिंह जी का 'सद्भावना- यात्रा ' लेकर कश्मीर जाना उनकी राष्ट्रीय और मानवीयता की प्रबल भावना को उजागिर करता है |" जॉनपुर के हिन्दी के कालजयी कवि- गीतकार डॉ श्रीपाल सिंह ' क्षेम ' ने लिखा -"यह सद्भाव - सर्जक यात्रा , वह भीयुवा पीढ़ी द्वारा ,देश के लिए एक स्वास्थ्य संकेत है | मैं कश्मीर तक की यात्रा की सफलता की अंतरकामना करता हूँ|" दिनांक ९-८-९४ को यात्रा लखनऊ जिलाधिकारी आवास पर पहुंची | आवास पर सेवारत श्रीरामखेलावन ने पंजिका पर अंकित किया " श्री सुखमंगल सिंह के साथ सद्भावना यात्री आये | डी.एम्. साहब से मिले | यात्रा सफल हो |" दिनांक १५-८-९४ को सद्भावना यात्रा दिल्ली पहुंची ! वहां रोहणी बी -९ सेक्टर-३ में ध्वजा रोहण में भाग लिया | श्री मार्कण्डेय सिंह,महामंत्री क्षत्रिय व्रिगेड बी/९ सेक्टर-३ ,रोहणी दिल्ली -८५ ने पंजिका पर लिखा -"सद्भावना यात्री आये | अपने संगठन के बारे में लोगों को बताया | यहां की जनता इनके उद्देश्यों का भरपूर समर्थन करती है |" सद्भावना यात्रा - पत्रक श्री सुखमंगल सिंह जी के नेतृत्व में महामहिम राष्ट्रपति ,लोकसभा विपक्ष - नेता श्री अटल विहारी वाजपेयी , श्री नरसिम्हा राव प्रधान मंत्री ,भारत सरकार के कार्यालय में एक दिन पूर्व प्राप्त भी कराया गया | जम्मू पहुंचने पर आयुक्त कार्यालय जम्मू में प्राप्त कराया गया | चौतरफा दहशत और आतंकी वारदातों के बीच की गयी यह यात्रा इसलिए भी अधिक महत्त्व की रही कि कुछ ही दिनों पहले सुखमंगल सिंह जी एक्सीडेंट में कॉफी घायल भी हो गए थे ,उनका यह कहना था कि मीडिया में मैंने घोशित किया है ,ऐसे में अब परिणाम जो भी हो ,यात्रा स्थगित नहीं होगी | सुखमंगल जी की मर्दानगी और देश के प्रति समर्पण की भावना का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है ? माँ श्री बैष्णव देवी दरबार में पहुंचकर दिव्य दर्शन कर माँ का आशीष प्राप्त किया | वहां से कुशलता पूर्वक लौटने पर दिनांक १८-९-९४ को कवि सुखमंगल सिंह को कवियों,पत्रकारों,समाज सेवियों द्वारा अभिनंदन किया गया | श्री सुखमंगल सिंह ने कहा - "सद्भावना यात्रा काशीवासियों,देशवासियों के प्यार-स्नेह के बल पर संपन्न किया | मैंने पाया कि समूचा देश कश्मीर में शान्ति की बहाली चाहता है | कश्मीर के मूल वासियों में देश के प्रति गहरा लगाव है |" आज यह माना जाना चाहिए कि कश्मीर में धारा ३७० हटा कर अमन चैन लाने में कवि सुखमंगल सिंह द्वारा की गई 'सद्भावना यात्रा ' निःसंदेह एक महत्वपूर्ण कड़ी है | ऐसे रचकाकार को बड़े सम्मान से सरकार को सम्मानित करना ही चाहिए | हस्ताक्षर -चपाचप बनारसी दिनांक -२७/०९/१९ कथ्य -शिल्प (कविता -प्रकाशन कार्यशाला ) संचालित : चपाचप बनारसी (डॉ ० अजीत श्रीवास्तव ) शिवकृपा : सी. ४/२०४-१,कालीमहल ,वाराणसी (उ ० प्र ० )Sukhmangal 01:48, 1 दिसम्बर 2019 (UTC)