सदस्य:Somaiah98/प्रयोगपृष्ठ/एम्मा थाथम

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एम्मा ताथम[संपादित करें]

एम्मा ताथम

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

एम्मा थथम् का जन्म ग्रेस इन्न, लंदन में, ३१ आक्टोबर १८२९ को हुआ था। इनके माता-पिता का नाम जोर्ज और आन्न थाथम। उनकी माँ केंट औरै पिता पशिचम विडटन से थे।

इनकी बडी बहन का मरण इनके जन्म से पहले ही हो गया था। इन्हों ने १६ साल के उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। उन्हों ने कई सारी कविताएँ लिखी है।यह सारी कविताएँ १८५४ में प्रकाशित हुई। कुछ लोगों ने इनकी मेरी शेल्ली से तुलना की है। एम्मा थाथम ने अपनी शिक्षा मिस्स जोल्लीस स्कूल (१६ साल तक) , ग्रेट ओरमन्ड स्ट्रीट से किया। एम्मा थाथम को हमेशा से ही साहित्य मे रुची थी, वह अपने स्कूल मेँ भी बहुत सारी कविताएँ लिखती थी। उनकी एक कविता 'दिन पत्रिका' मे प्रकाशित हुई थी, तभी से उनकी पहचान बनी। वह जो दिल मे आया वह कविता में लिख देती थी। वह स्कूल में अच्छे अंक के साथ पास होती थी। इनके पूरे परिवार को एम्मा के कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण १८४७ मे आडिंगटन स्क्वेर, मारगेट जाना पडा। एम्मा थाथम को अपने घरवालों से बहुत प्रेरणा मिली है। उनके पिताजी ने हमेशा उनको अपने सपनों को सच करने के लिए रास्ता दिखाया। उनकी मास्टर डिग्री पूरा करने में भी उनकी सहायता की थी।

साहित्यिक व्यवसाय[संपादित करें]

एम्मा थाथम १९ वी इस्वी की कवयित्री है,लोग अब उन्हें भूल चुके है। उनको विक्टोरियन एरा कि महान कवयित्री कहा जाता था। उनकी कविताओं का संग्रह १८५४ में 'द ड्रीम ऑफ़ पाइथागोरस' में प्रकाशित हुआ था, जो कि तीन बार पुनर्मुद्रण किया गया था। 'मैथ्यू अर्नाल्ड' ने उनकी प्रशंसा में लिखा और उनकी फ्रांसीसी कवि' ईगनी डे गुयरीन' के साथ उनकी तुलना की, और प्रशंसा की कि "उनकी काव्यात्मक भावना, रचना के लिए एक वास्तविक योग्यता है।" तब एक प्रोटेस्टेंट जो मार्गट मे रहते थे, वह अरनांल्ड ने एक "उत्साही ईसाई" रूप में वत्णित किया। उनके बारे में लिखा गई यह पुस्तक १८५७ में 'एट्चिंग्स एन्ड पर्ल्स' के नाम से प्रकाशित हुई। दूसरी उनकी आत्मकथा जो मेथोडिस्ट मंत्री बेंजामिन ग्रेगोरी (१८२० - १९००), वद उनके मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई।

लेखन शैली[संपादित करें]

उनकी लेखन शैली अत्यंत अनोखी थी। वह अस्पष्ट वाक्यों को लिखने कि मालिक है, जो एक चरित्र का विचार भी हो सकते है और एक लेखक कि आवाज। वह उन कवयित्रियों में से थी जो अपने विचारों को बिना सोचे कोन क्या कहेगा अपनी कविताओं में खुल कर लिख देती थी। एम्मा उनमे से थी, जो बहुत कम शब्दों में सब कुछ कह देती थी। वह अपनी कविताओं में सरल भाषा का प्रयोग नहीं करती थी बल्कि बहुत उलझाने वाले शब्दों में लिखती थी। उनकी कविताओं के पात्र बहुत परेशान होते है और आपको सोचने-विचारने पर मजबुर कर देती हैं। उनके लिखने की शैली बहुत अनोखा था।

अंत[संपादित करें]

एम्मा थाथम का निधन १८५५ में, हार्टफोर्डशायर के रेडबार्न के दौर पर हुआ, और वहा स्वातंत्र चैपल के कब्रिस्तान में दफना गया। उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी रचन को बहुत सराहा गया था। उनकी रचनाओं को कोई भूल नहीं सकता था, वे इतने प्रभावशाली थे। उनकी रचनाओं को आज भले ही लोग कम जानते और अध्ययन करते है परंतु वह अपने समय की बहुत सम्मानित कवयित्रि थी।

उल्लेख[संपादित करें]

१-https://en.wikipedia.org/wiki/Emma_Tatham

२-https://www.shmoop.com/emma/writing-style.html

३-http://self.gutenberg.org/article/whebn0014019529/emma%20tatham