सदस्य:Soailrajesh

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
                                             == भारतीय अध्यात्मन ==

में बहुत से ऐसे पहलू हैं जिनके बारे मे सोच-सोच कर[इन्सान] पागल बन जाए । परन्तु गहन चिन्तन करने पर ==इन्हें भी देखें== मनुष्य अपनें आप मे उन विषम कडियों का विश्लेश्ण करता चला जाता है । मन मे ऐसे-२ विचार पनपते रहते है की जो वैदिक काल से चली आ रही ==बाहरी कड़ियाँ==

परम्परायें है क्या उनका विघटन हो चुका है जैसे की भारत में सबसे ज्यादा अध्यात्मन होने के बावजुद भी गरीबी, लाचारी और भुखमरी भी अत्यधिक मात्रा में है ऐसा क्यूं ?