सदस्य:Shruthi Giridharan/sandbox

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कोलराउश नियम[संपादित करें]

परिचय[संपादित करें]

कोलराउश एक वैज्ञानिक जिसने कोलराउश नियम को प्रस्ताव किया। कोलराउश का पूरा नाम फ्रेडेरिक विलहेल्म जीयोर्ज कोलराउश है। वे एक जर्मन भौतिक विज्ञानी था जिनहोनें विद्युत अपघटन के बारे में बहुत सारे अनुसंधान किया है। कोलराउश के लेखनी को यूनिवरसिटी आफ गोट्टिगेन में स्ंभाला गया है। उनका पेहला पुस्तक १८७० में पबलिश किया गया था।

नियम का अर्थ[संपादित करें]

चालकता क मतल्ब प्रतिरोधकता का प्रतिलोम चालकता है। तुलयांकि चालकता का मतलब यह है कि विलयन के दिये गये आयतन में एक ग्राम तुलयांक विद्युत अपघटन द्वारा उत्पन्न आयनों की चालकता तुलयांकी चालकता कहलाता है। मोलार चालकता क मतलब यह है कि विलयन के दिये गये आयन्त में एक मोल विद्युत अपघटय द्वारा उत्पन्न आयनों की चालकता । इन सब अंकों का अलग-अलग एस आइ यूनिट है। अनन्न्त तनुता पर विद्युत अपघटय पूर्णतया वियोजित होते है तथा प्रत्येक आयन का तुल्यांकी चालकता में एक निश्चित योगदान होता है जो कि इससे जुडें दूसरे आयन का प्रव्र्ति पर निर्बर नहीं करता । इस नियम के अनुसार एक विद्युत अपघटय की अन्न्त तनुता पर तुल्यांकी चालकता विद्युत अपघट्य द्वारा प्रदान किए गए धनायन तथा ऋणायन की तुल्याकिं आयनिक चालकताओं के योग के बराबर होती है। उदाहरण के लिए , अनन्त तनुता पर सोडीयम क्लोरैड की तुलयांकी चालकता सोडियम अयन तथा क्लोरैड आयन की तुलयांकि चालकताओं के योग के बराबर होगी अर्थात

  λ eq∞ = λeq a ∞ +  λeq b ∞ 

कोलराउश का नियम मूलरूप से तुलयाकी के रूप में दिया गया था। परन्तु आइ यू पी ए सी रीति के अनुसार इसे अब मोलर चालकता के रूप में व्यक्त किया जाता है।

  λ NaCl ∞ = λeq Na1+ ∞ +  λeq  Cl1+ ∞

कोलराउश नियम का बहुत सारे अनुप्र्योग है। इन अनुप्रयोगों कि जानकारी बहुमूल्य है। १० प्र्त्येक आयन के आयन् चालकता की सहायता से विद्युत अपघटय के की अंक जाना जाता है। २ अल्प विलेय लवण की विलेयता तथा के एक पी ( Ksp )

 अल्प विलेय का मतलब य्ह है कि जो आयन जिसका विलयता संतृप्त विलयन में बहुत कम होती है उसे अल्प विलेय लवण कहलाते है।
 इस मूल्य का खोज सूत्र के मदद से किया जा सकता है।
    λ m =( 𝝒 × 1000 ) ÷ M 
    जब λ m = λ m˚  M = विलेयता (S)
    अब ये उप्र्युक्त सूत्र एसा बदल जाएगा , 
     λ m , संतृप्त =  λ m˚= ( 𝝒 × 1000 ) ÷ विलेयता 
     अर्ताथ , 
           S=  ( 𝝒 × 1000 ) ÷  λ m˚

३ वियोज्न की मात्रा १००% तबी होता है जब वियोजन अनन्त तनुता है, कम तनुता पर १००% से कम वियोजन होता है। तुल्यान्की का मान कम हो जाता है अर्थात

λ eq <λ eq˚

वियोजन की मात्रा , α = λ eq ÷ λ eq ∞ = ( दिये गये सांद्रण पर तुल्यांकि चालकता) ÷ ( अनन्त तनुता पर चालकता) मतलब ,

α =  λ M ÷ λ˚M

४ दुर्बल विद्युत अपघटय का वियोजन स्थिरांक भी कोलरोश के नियम के मदद से किया जा सकता है।