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यह फोटो भंवाल शक्तिपीठ, नागौर जिल्ला, राजस्थान की है।

भंवाल माता, बेंगानी (जैन) व स्थानीय राजपूत समुदाय की कुलदेवी हैं। भंवाल माता का मंदिर राजस्थान के नागौर जिल्ले की मेड़ता तहसील में भंवालगढ़ गाँव में स्थित है। यहाँ माता काली व ब्राह्मणी दो स्वरूप में पूजी जाती है। यह शक्तिपीठ राजस्थान के जोधपुर के निकट बिरामी गाँव स्थित भुवाल माता मंदिर से अलग है, इसको लेकर बहुत बार भ्रम बन जाता है.

इतिहास[संपादित करें]

मंदिर प्रांगण में प्राप्त शिलालेख के अनुसार मंदिर का निर्माण वि।स। १३५० माघ बड़ी एकादशी को हुआ था।

प्रचलित कथा[संपादित करें]

भंवाल मां प्राचीन समय में भंवालगढ़ गांव (जिला नागौर) में एक खेजड़ी के पेड़ के नीचे पृथ्वी से स्वयं प्रकट हुईं थी। इस स्थान पर डाकुओं के एक दल को राजा की फौज ने घेर लिया था। मृत्यु को निकट देख उन्होंने मां को याद किया।

मां ने अपने प्रताप से डाकुओं को भेड़-बकरी के झुंड में बदल दिया। इस प्रकार डाकुओं के प्राण बच गए, और उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया।

पूजन विधि[संपादित करें]

ब्रह्माणी देवी को यहां फल या मिठाई आदि का प्रसाद अर्पित किया जाता है लेकिन मां काली को उनके भक्त ढाई कटोरी मदिरा चढ़ाते हैं।

कैसे पहुंचे[संपादित करें]

भंवाल अथवा भुवाल के निकट का रेलवे स्टेशन मेड़तारोड़ है। यहाँ से किराए के वाहन उपलब्ध रहते है।