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अट्ला तड्डि[संपादित करें]

अट्ला तड्डि त्योहार आन्ध्र प्रदेश मै ज्यदा तर मनया जता है। यह त्योहार हर साल ठिक दशहरा के बाद मे आता है। यह त्योहार तेलुगु औरतो के लिये कर्वा चौथ त्योहार के समान है ,जो उत्तर भारत मै बहुत प्रसिद्द है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ अट्ला तड्डि का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। अट्लु का मत्लब हे डोसा और तड्डि का मत्लब है तिसरा दिन।

तेलुगु औरत अट्ल तडे भोजन या पानी के बिना एक दिवसीय उपवास रखकर मनाते हे। शाम में, महिलाओं के पूजा और चाँद देखने के बाद, वे छोटे डोसा खाकर अपने उपवास् टूटते है।यह त्यौहार महिलाओं और बच्चों के द्वारा मनाया जाता है।इस दिन की पूर्व संध्या पर, वे अपने हथेलियों पर मेहंदी लागाते है। 

पुजा[संपादित करें]

महिलाओं और बच्चों को सूर्योदय से पहले सुबह जागकर पेरुगु (दही) और गोंगूरा की चटनी के साथ एक दिन पहले पकाया चावल खाते है।अविवाहित लड़कियों और बच्चे सडको पर अगले दिन सुर्योदय होने तक अट्ला तड्डि पर गाने गाते है। लोग सूर्योदय के बाद दिन का स्वागत करते हुए आस-पास के तालाब या झील में चाँद नजर आए। चावल के आटे, गुड़ और दूध से बनी मीठाइ खाते है। गौरी देवी के लिए कुदुमुलु और अन्य प्रत्येक और कुदुमुलु पर आप के ऊपर एक जगह है और दीपम के रूप में यह कर सकते हैं और अपने पूजा जब दीपम अभी भी प्रकाश व्यवस्था होने के बाद ही खाते हैं।

अट्ला तड्डि

पुजन विधि[संपादित करें]

११ छोटे डोसा एक-एक के लिए। तोरनम हाथ के लिए। इस दिन पर, कुछ अट्ला तैयार करने और देवी गौरि को भिटा के रूप में उन रखने का एक रिवाज है, और उसके बाद वे रिश्तेदारों को वितरित किया जाएगा,वायनम के रूप में पड़ोसियों । प्रत्येक मुट्ट्यदुवु के लिए (इन देवियों/तेजी से रिश्तेदारों के साथ एक है जो इस पूजा प्रदर्शन कर रही है। समारोह में ११ देवियों को शामिल कर लिया जो पहले ही इस वयानं को ले चुकी हैं और अगर आपके पित की बहन ने इस वयानं रस्में जारी की है। इन सभी ११ महिलाओं के लिए आप दीपम के साथ प्रत्येक ११ अट्ल (चावल के आटे और घी से बना है और देवी गौरि के सामने जलाया) आप अपनी साड़ी पल्लु कोंगू के साथ धारण करके प्रत्येक महिला वयानं प्रदान करते हैं। और वे तो सभी व्यंजन बने और कुछ भी मीठा नामकम्दूध और चावल पाउडर के साथ बनाया गया मिटाइ से अपना उपवास तोडते और वे भी दीपम खाने और घर उन अट्ला ले और परिवार के सदस्यों के साथ बाद में खाना खाते है। पुजा मे, चावल, सिक्कों पर कलशम बनाके ,(अंदर कलशं पानी, कुमकुम, हल्दी, सिक्का, और फूल 5 आम के पत्ते या सिर्फ पानी के साथ), गौरि अस्टोत्रम,गौरि हरति, और कथा। लोग लोक गीत गाते हैं।

नैवेद्य[संपादित करें]

गौरी देवी के लिए कुदुमुलु और अन्य प्रत्येक और कुदुमुलु पर आप के ऊपर एक जगह है और दीपम के रूप में यह कर सकते हैं और अपने पूजा जब दीपम अभी भी प्रकाश व्यवस्था होने के बाद ही खाते हैं।

इतिहास[संपादित करें]

यह त्योहार इस्लिये मनया जता हे, क्युकि, एक छोटि राजकुमारिथि जो इस रसम को उस्कि मातजि को पालते हुए देखते देखते उसने भी उपवास कर लेति है। क्युकि उसे उपवास करने कि आदत नहि हे, वह छक्कर खाके गिर गई। उसे खाना खिलाने के लिये उसके भाय लोगो ने झुटा चान्द तय्यार करके उसको खाना खिला दिये। वह राजकुमारी बडी होने कि बाद उसको रिश्ते डुन्ड्ने लगे तभि उसको कोइ अछा रिश्ता नहि आने पर उस्को उस्से बडे उम्र के मनुश्य के साथ उसकि शादि निश्छय किये। राजकुमारि को यह शादि पसन्द न होने कि कारन  उसने उसका घर छोड दि और उसने जनगल के ओर अपना कदम भडाई। वह मानति हे कि यह सभि होने कि कारन हे, वह अट्लु तड्डि को पुरा नहि कि थी। इस्लिये यह मानना है कि जो कोई यह रसम पुरा नहि करते उसे कुछ न कुछ भुरा होता है। यह मानना हे कि जो कोई इस थोहार को पुरे लग्न से पुरा करते हे उसे अछा होता है। यह त्योहार लड्किया और महिलाओ के लिये बहुत हि मनोरञ्क होता है। भारत एक ऐसा देश हे जहा हर त्योहार मनाया जाता हे, पर दुसरे दुसरे नाम से हर राज्य मे मनया जाता है। यह अट्लु तड्डि त्योहार इस्का सबसे बडा उदाहरण है। उत्तर भारत मे जो कर्वा छोउत के नाम से मनाया जाने वाला त्योहार ,भारत के दक्शीन के आन्द्र प्रदेश मे अट्लु तड्डि नाम से मनाया जाता है। भारत मे रहने वाले हर व्यक्ति को गर्व होनि चहिये ,यह ऐसा देश हे जहा बहुत सारि त्योहार मनाये जाते है,और सब त्योहारो के उसके हि महत्व होते है। यह त्योहार तेलुगु के महिलाओ के लिये बहुत हि महत्वपुरन त्योहार है।

संदर्भ[संपादित करें]

http://www.chivukulas.com/2014/10/how-to-celebrate-atla-taddi.html

https://en.wikipedia.org/wiki/Atla_Tadde