सदस्य:Salmansuhail1710/प्रयोगपृष्ठ/1

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भारतीय संस्कृति

भारत की संस्कृति में सबकुछ है जैसे विरासत के विचार, लोगों की जीवन शैली, मान्यताएँ, रीति-रिवाज़, मूल्य, आदतें, परवरिश, विनम्रता, ज्ञान आदि।

भारतीय संस्क्र्ति का महत्व[संपादित करें]

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी एवं समृद्ध संस्कृति मानी जाती है। इसे सभी संस्कृतियों की जननी कहा जाता है। भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है जो लगभग पाँच हजार वर्ष पुरानी है। विश्व की पहली और महान संस्कृति के रुप में भारतीय संस्कृति को माना जाता है। “विविधता में एकता” का कथन यहाँ पर आम है अर्थात् भारत एक विविधतापूर्ण देश है जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ शांतिपूर्णं तरीके से एक साथ रहते हैं। हमलोग यहाँ सभी चीजों में भारतीय संस्कृति की झलक देख सकते हैं जैसे नृत्य, संगीत, कला, व्यवहार, सामाजिक नियम, भोजन, हस्तशिल्प, वेशभूषा आदि। भारत एक बड़ा पिघलने वाला बर्तन है जिसके पास विभिन्न मान्यताएँ और व्यवहार है जो कि अलग-अलग संस्कृतियों को यहाँ जन्म देता है।

साहित्य[संपादित करें]

ऐसा माना जाता है कि यहाँ वेदों से हिन्दू धर्म का आरंभ हुआ है। हिन्दू धर्म के सभी पवित्र धर्मग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गये है।भारत की राष्ट्रीय भाषा हिन्दी है हालाँकि विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में लगभग बाईस आधिकारिक भाषा और चारसौ दूसरी भाषाएँ रोज बोली जाती हैं। ये भी माना जाता है कि जैन धर्म का आरंभ प्राचीन समय से है और इसका अस्तित्व सिन्धु घाटी में था। बुद्ध एक दूसरा धर्म है जिसकी उत्पत्ति भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षा के बाद अपने देश में हुयी है। ईसाई धर्म को यहाँ अंग्रेज और फ्रांसीसी लेकर आये जिन्होंने लगभग दो सौ वर्ष के लंबे समय तक यहाँ पर राज किया। इस तरीके से विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति यहाँ प्राचीन समय से या किसी तरह से यहाँ लायी गयी है। हालाँकि, अपने रीति-रिवाज़ और मान्यताओं को बिना प्रभावित किये सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्ण तरीके से एकसाथ रहते हैं।

समाज[संपादित करें]

कई धर्मों के लोगों की अपनी भाषा,खाने की आदत, रीति-रिवाज़ आदि अलग हैं फिर भी वो एकता के साथ रहते हैं। अलग परिवारों, जातियों, उप-जातियों और धार्मिक समुदाय में जन्म लेने वाले लोग एकसाथ शांतिपूर्वक एक समूह में रहते हैं। यहाँ लोगों का सामाजिक जुड़ाव लंबे समय तक रहता है। अपनी तारतम्यता, और सम्मान की भावना, इज़्ज़त और एक-दूसरे के अधिकार के बारे में अच्छी भावना रखते हैं। अपनी संस्कृति के लिये भारतीय लोग अत्यधिक समर्पित रहते हैं और सामाजिक संबंधों को बनाए रखने के लिये अच्छे सभ्याचार को जानते हैं। भारत में विभिन्न धर्मों के लोगों की अपनी संस्कृति और परंपरा होती है। उनका अपने त्योंहार और मेले होते हैं जिसे वो अपने तरीके से मनाते हैं। विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों सहित हम कुछ राष्ट्रीय उत्सवों को एकसाथ मनाते हैं जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गाँधी जयंती आदि। बिना एक-दूसरे में टाँग अड़ाये बेहद खुशी और उत्साह के साथ देश के विभिन्न भागों में विभिन्न धर्मों के लोग अपने त्योंहारों को मनाते हैं।

धर्म[संपादित करें]

भारत के लोग विभिन्न भोजन का अनुकरण करते हैं। कई सारे युग आये और गये लेकिन कोई भी इतना प्रभावशाली नहीं हुआ कि वो हमारी वास्तविक संस्कृति को बदल सके। नाभिरज्जु के द्वारा पुरानी पीढ़ी की संस्कृति नयी पीढ़ी से आज भी जुड़ी हुयी हैै। गाँधी जी अहिंसा में विश्वास करते थे और अंग्रेजी शासन से भारत के लिये आजादी पाने में एक दिन वो सफल हुए। उन्होंने भारतीयों से कहा कि अपनी एकता और विनम्रता की शक्ति दिखाओ, तब बदलाव देखो। भारत पुरुष और स्त्री, जाति और धर्म आदि का देश नहीं है बल्कि ये एकता का देश है जहाँ सभी जाति और संप्रदाय के लोग एक साथ रहते हैं। भारत में लोग आधुनिक है और समय के साथ बदलती आधुनिकता का अनुसरण करते हैं फिर भी वो अपनी सांस्कृतिक मूल्यों और परंपरा से जुड़े हुए हैं।

प्रदर्शन कला[संपादित करें]

भारत एक आध्यात्मिक देश है जहाँ लोग आध्यात्म में भरोसा करते हैं। यहाँ के लोग योग, ध्यान और दूसरे आध्यात्मिक क्रियाओं में विश्वास रखते हैं। भारत की सामाजिक व्यवस्था महान है जहाँ लोग आज भी संयुक्त परिवार के रुप में अपने दादा-दादी, चाचा, ताऊ, चचेरे भाई-बहन आदि के साथ रहते हैं। इसलिये यहाँ के लोग जन्म से ही अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में सीखते हैं। हमारी राष्ट्रीय संस्कृति हमेशा हमें अच्छा व्यवहार करना, बड़ों की इज़्ज़त करना, मजबूर लोगों की मदद करना और गरीब और जरुरत मंद लोगों की मदद करना सिखाती है। ये हमारी धार्मिक संस्कृति है कि हम व्रत रखे, पूजा करें, गंगा जल अर्पण करें, सूर्य नमस्कार करें, परिवार के बड़ों सदस्यों का पैर छुएँ, रोज ध्यान और योग करें तथा भूखे और अक्षम लोगों को अन्न-जल दें। हमारे राष्ट्र की ये महान संस्कृति है कि हम बहुत खुशी के साथ अपने घर आये मेहमानों की सेवा करते है क्योंकि मेहमान भगवान का रुप होता है इसी वजह से भारत में “अतिथि देवो भव:” का कथन बेहद प्रसिद्ध है। हमारी संस्कृति की मूल जड़ इंसानियत और आध्यात्मिक कार्य हैै।[1][2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

साँचा:टिप्प्णीसूची

  1. http://hindi-essay.blogspot.in/2015/06/short-essay-on-indian-culture-in-hindi.html
  2. https://en.wikipedia.org/wiki/Culture_of_India