सदस्य:SURENDAR KUMAR B/प्रयोगपृष्ठ

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बाजार विभाजन,लक्ष्य निर्धारण, और स्थिति निर्धारण[संपादित करें]

बाजार विभाजन[संपादित करें]

एक सामान मांग रखने वाले ग्राहकों के समूह को अलग अलग विभाजित करने की प्रक्रिया को बाजार विभाजन कहते है अथवा आसान शब्दों में कहा जाऐ तो ग्राहकों की मांगो की समानता के अनुसार किये गए विभाजन को बाजार विभाजन कहते है।


उपभोक्ता के बाजार विभिन्न के तरीकें[संपादित करें]

भौगोलिक विभाजन निर्माता बाजार को भौगोलिक तरह से विभाजित कर सकता है जैसे राष्ट्र,राज्य,जलवायु,देश,शहर आदि। भौगोलिक विभाजन जनसांख्यिकीय और भौगोलिक दोनों की सुचना रखता जिससे कंपनी की रुरेखा अच्छी कर सकें। जैसे मौसम का हम उदहारण ले सकते है निर्माता बारिश के मौसम में छाता और बारिश से सुरक्षित होने योग्य वस्तुऐं बेच सकता है राज्य हर राज्य का रेहन सहन अलग होता है इसलिए उत्पादक को भी उनके जरुरत को नजर में रखतें हुए ही विभाजन करना चाहिए।[1]


जनसांख्यिकीय विभाजन विभाजन जनसांख्यिकीय तरीके से भी किया जाता है जैसे उम्र,पेशा,पढ़ाई,लिंग आदि, हम हमारे भारत देश का ही उदाहरण लेसकतेहैजैसेकी हमेपता हैहमारा देश युवकों का देश कहलाया जाता है जिनकी उम्र सोलह से साठ के बिच हो इसलिए विभाजन भी इन्ही ग्राहकों के समूह को किया जाना चाहिए ताकि उत्पादक ज्यादा सेज्यादा लोगो तक अपना उत्पाद पहुंचा सकें।

  • उम्र- छः से अन्दर छः सेग्यारह,बारह सेउन्नीस,बीस सेचौतीस,पैंतीस सेउनचास,पचास सेचोसठ और पैंसठ से ऊपर
  • लिंग- पुरुष, स्त्री
  • परिवार के सदस्य- एक से दो, तीन से चार, या पाँच से अधिक।
  • परिवार जीवन चक्र- जवान,अकेला,शादीशुदा,शादीशुदा पर कोई बच्चे नहीं,शादीशुदा और बच्चे इत्यादि।
  • आमदनी- वंचित रहने वाले(नबेहजार रुपयेसेकम),चाहत रखने वाले(नबेहजार सेदो लाख) जिज्ञासा रखने वाले(इक्कीस लाख सेइक्यावन लाख) भारत से बाहर रहने वाले(दस लाख सेऊपर)

मनोविज्ञान विभाजन मनोविज्ञान विभाजन ग्राहकों को इस तरह अलग करता है जो एक ही तरह की सोच तोर तरीके उनकी रूचि पसंद आदि। उदाहरण ले सकते है अगर बेंगलुरु शहर में सभी सिर्फ बाहर की कंपनियो के कपडे ख़रीदना और पहनना पसंद करते है तो वहां हम स्वदेशी कपडे के विभाजन नहीं कर सकते क्योंकि वहां के उपभोक्ता सिर्फ परदेशी कपड़े पहनना ही पसंद करते है।

व्यवहार विभाजन व्यवहार विभाजन ग्राहकों के समूह को कुछ इस तरह विभाजित करता जिसमे ग्राहकों का व्यवहार कंपनी के प्रति उपयोग दर, वफादारी स्तर इत्यादि।

  • अवसर- नियमित अवसर,खास अवसर,अवकाश अवसर,ऋतुनिष्ट अवसर।
  • लाभ- गुण,सेवा,किफायती,सुविधा,गति इत्यादि।
  • प्रयोगकर्ता दर- कम प्रयोगकर्ता, मध्य प्रयोगकर्ता, मजबूत प्रयोगकर्ता।
  • प्रयोगकर्ता स्तर- कोई प्रयोगकर्ता नहीं,पुरानेप्रयोगकर्ता,सामर्थ्य प्रयोगकर्ता।
  • वफादारी स्तर- कुछ भी नहीं,माध्यम स्तर,मजबूत स्तर और पूर्णतया।
  • ज्ञात स्तर- बेखबर,अवगत,सूचित,रूचि रखनेवाले,इच्छा करनेवाले,खरीदने का इरादा रखनेवाले।
  • उत्पाद की ओर रवैया- उत्साहयुक्त,सकारात्मक,नकारात्मक,जैसे तैसे, शत्रुतापूर्ण।

लाभ से विभाजन विभाजन उपभोक्ता या ग्राहकों के लाभ के अनुसार भी किया जाता है, क्षेत्र, खंड या विभाजन सिर्फ व्यापार को ही नहीं बल्कि ग्राहकों को भी होना चाहिए क्योंकि उपभोक्ता की वजह से ही व्यापारी बाजार में अपना गुजारा कर रहे है अगर ग्राहकों को लाभ नहीं होता तो वो विभाजन ज़्यादा दिन तक नहीं टिक पता कंपनिया ग्राहकों को सिर्फ कम दाम पर उत्पाद देकर ही नहीं बल्कि उन्हें ग्राहाकों के घर तक पहुंचाकर भी उसे लाभ पहुंचा सकता है।

सांस्कृतिक विभाजन सांस्कृतिक विभाजन को ग्राहकों की संस्कृति से विभाजित करता है, सांस्कृति एक मजबूत वजह है ग्राहक के व्यवहार का पता लगया जा सकता है, जब निर्माता को ग्राहकों की सोच के बारे में पता चल जाता है तो वो उस हिसाब से अपना उत्पादन जारी कर सकता है संस्कृति विभाजन से निर्माता अपना संदेश उन तक सही से पहुँचाने में सफल रहता हैं।[2]


बाजार विभाजन के लाभ[संपादित करें]

बेहतर ध्यान जब निर्माता को बाज़ार मे अपनी वस्तुओ की मांग कितनी और कहाँ का पता रहता है तो वो उस हिसाब से अपनी विनिर्माण की विधि बदलेगा और जिस वस्तुओ की मांग हैं सिर्फ उन पर ही ध्यान देगा।

विशेषज्ञता जब निर्माता अपनी विनिर्माण वस्तुओ की मांगो के हिसाब से बनाता है तो वो अपनी वस्तुऐं नई तकनीकों का इस्तेमाल करके उनकी खूबियोंको बढ़ा सकता है।

किफायती निर्माता सिर्फ विभाजित समूह के ग्राहकों की मांगो के अनुसार उत्पाद करता है तो वो वस्तुऐं किफायती दाम में बना सकता है इससे ग्राहकों को भी अच्छी वस्तुऐं कम मूल्य पर मिल जाती है।

उच्च्लाभ निर्माता मांगो के अनुसार अपनी वस्तुओ उत्पादन करता है तो वो अन्य खर्चे बचा पाता है और उन बचत को वो कई अन्य जगह में उपयोग कर सकता है।

संसाधानोंका इष्टतम उपयोग निर्माता अपना उत्पादन वस्तुओ की मांगो के अनुसार करता है इसलिए वो कच्चा माल भी उस हिसाब से ही लता है, क्योंकि कच्चा माल मांगो के अनुसार लाया जाता हैतो वो उनका सही से इष्टतम उपयोग करते है।

विभाजन की प्रक्रिया[संपादित करें]

  1. विभाजन लाभदयक होना चाहिए।
  2. विभाजन मापने के लायक होना चाहिए।
  3. विभाजन को स्थयी होना चाहिए वो सिर्फ थोड़े समय के लिए नहीं बल्कि लंबे समय के लिए होना चाहिए।
  4. विभाजन से विभाजित ग्राहकों तक पहुचने में आसानी होनी चाहिए।
  5. विभाजन आंतरिक रूप से सजातीय है।
  6. विभाजन बाहर से विजातीय है।
  7. विभाजन लक्षित ग्राहकों को ढुंढता है।
  8. विभाजन विपणन मिश्रण निश्चय करने में मदद करता है।


लक्ष्य निर्धारण[संपादित करें]

बाजार विभाजन के बाद ही लक्ष्य निर्धारण आता है जब बाजार को उत्पाद के जरूरत के अनुसार से विभाजित कर दिया जाता तो उसके बाद ही उस ग्राहकों कों लक्षित किया जाता है इस प्रक्रिया को लक्ष्य निर्धारण कहते है अथवा विभाजित समूह के ग्राहकों को एक या एक से अधिक क्षत्रों के खंडो में आकर्षण और मूल्यांकन से दर्ज करने की विधि को लक्ष्य निर्धारण कहा जाता है।


बाजार के विभाजन का मूल्यांकन लक्ष्य होना[संपादित करें]

खंड केआकर्षण

  • खंड का आकार

खंड का आकर्षण खंड के आकर सेभी प्रभावित होता है जितना बड़ा खंड का आकार होगा उतना ही ज्यादा समय लगेगा लक्षित ग्राहकों तक पहुंचने में अगर खंड छोटा हो तो उस खंड के ग्राहकों को लक्ष्य और पहुंचने में कम समय लगता है।

  • विकास दर खंड

खंड का विकास दर भी खंड के आकर्षण को प्रभावित करता है जैसे विकास दर बढ़ता है वैसे ही खंड के खर्चे कम होते अगर विकास दर नहीं बढ़ता है तो खर्चे बढ़ जाते है।

  • खंड के प्रतियोगिता

जैसे प्रतियोगिता अपने खंड रणनीतियां बदलता है तो कंपनियों को भी उसी तरह अपनी रणनीतियों को बदलना चाहिए।

  • मौजूदा क्षेत्र के ग्राहकों की ब्रांड के प्रति वफादारी

अगर ग्राहक की वफादारी ब्रांड के प्रति अच्छी खासी हो तो उस क्षेत्र में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ज्यादा खर्चा नहीं करना पड़ेगा अगर ग्राहक की वफादारी उस ब्रांड के प्रति कम हो तो उन्हें आकर्षित करने के लिए उत्पादक को ज्यादा खर्चा करना पड़ता है।

बाजार लक्ष्यों की नैतिक विकल्प लक्ष्य चयन करने के लिए किसी भी तरह की अनुचित साधनो या अनौतिक तरीको को नहीं अपनाना चाहिए। उदाहरण: विज्ञापन जिसमे बच्चों के उत्पाद का विवरण कुछ इस तरह किया जाता जहाँ बच्चों को एक शक्तिशाली या शक्तिमान होने का दावा करते है जो बच्चों पर भूरा प्रभाव भी कर सकता है और बच्चा उसकी नकल भी उतार सकता है जो हानिकारक साबित हो सकता है।

विभाजन का परस्पर सबंध जो भी कंपनी अपने बिक्री बल के लिए निश्चित लागत रखती वो अपने निर्माण में और उत्पादोंको जोड़ सकता है जो इस निश्चित लागत को कम कर सके।

कंपनी के उद्देशय और संसाधन कंपनी अपने खंड या क्षेत्र में ग्राहकों को बेहतर मूल्य की पेशकश कर सकता क्या? कंपनी की छवि खंड की सेवा से प्रभावित कंपनी अगर अपने विभाजित बाजार को अच्छे से सेवा प्रदान कर सकता है तो वो ज्यादा लाभ कमा सकता है।

लक्षित बाजार को चयन करनेकी रणनीतियां[संपादित करें]

बिन भेदभाव लक्षित इसके दृष्टिकोण से बाजार एक समूह के रूप में है बिना कोई विभाजन इसलिए यह रणनीति केवल वो उत्पादक इस्तेमाल कर सकता जिसका व्यापार छोटा या उसके उत्पाद के कम या बहुत कम प्रतियोगिता हो।

लक्षयिकरण केंद्रित यह दृष्टिकोण विशेष बाजार आला को चयन करने में केंद्रित करता है जहाँ विपणन प्रयासो को भी लक्षित किया जाता है आपकी कंपनी एक क्षेत्र या खंड को समझने में ध्यान देता है तो उत्पादक सिर्फ उसी क्षेत्र की मांगें और जरुरतो को जानने में ज्यादा ध्यान दे सकता है।

बहुक्षेत्र लक्ष्य इस लक्ष्य रणनीति का तब इस्तेमाल किया जाता है जब दो या दो से अधिक अच्छी तरह से परिभाषित विभाजित बाजारों को लक्षित करना पड़ता है और उस विभाजित बाजार के लिए अलग अलग रणनीतियों के विकास मेंभी मदद करती है।[3]


लक्षित बाजार की कमजोरियां[संपादित करें]

महंगा छोट्टी कंपनीयां लक्षित विपणन पर बहुत सारे रुपये खर्च करते है वे अक्सर प्राथमिक अनुसांधान करते है ताकि उन्हें पता चल सके कि उनके उत्पाद को कौन खरीदता है विपणन अनुसांधान प्रबंधक अनुसांधान एजेंसी को किराए पर ले सकती है ताकि वो फोन सर्वेक्षण का संचालन कर सके जो लाखो के खर्चो का कारण बन सकता है।

समय लेता लक्षित उपभोक्ता को पहचानने में समय लेता है अनुसंधान डेटा का विश्लेषण और उनके तक पहुंचने के लिए विज्ञापन बनाना पड़ता है बहुत सी छोट्टी कंपनिया बाजार विभाजन की प्रक्रिया वाली विधि उपयोग करते ताकि उन्हें लक्षित ग्राहक की रुपरेखा जो जनसांख्यिकीय विवरण से मिली।

नजरअंदाज जब उत्पादक अपने उत्पाद के बाजार को ग्राहकों की मांगो और जरूरतों के हिसाब से विभाजित करते है तो वो सिर्फ उन्ही ग्राहकों को लक्ष्य करता जो उसके उत्पाद की मांग रखता और बाकि के ग्राहकों को वो नजरअंदाज कर देता है।

विचार छोट्टी कंपनीया हो सकता सिर्फ कम पढे-लिखे लोगो को ही अपना लक्ष्य बना सकती हैजो गरीब परन्तु जनसंख्या में ज्यादा हो वो उन्हें अपना लक्ष्य इसलिए बनाते क्योंकि वो उन लोगो की सेवन की रणनीतियां देखते है जो उनके बाजार विभाग से मिलती है इसलिए ठेले वाले भी कम आमदनी वाले इल्लाको में अपना ठेला रखते है ताकि वो उन इल्लाको में इस खाना बिमारियों का कारण भी बन सकता है।[4]


उत्पाद स्थिति निर्धारण प्रक्रिया[संपादित करें]

  1. बाजार की स्पष्टता की वस्तुए बाजार में बराबरी कर सकता या नहीं।
  2. उत्पाद की विशेषता एंकी पहचान जो उस उत्पाद के अंतरिक्ष को परिभाषित करें।
  3. ग्राहकों के एक नमूनें से जानकारी एकत्रित करके उनकी प्रांसगिक विशेषताओ पर प्रत्येक उत्पाद पर उनके विचार जाने।
  4. उत्पाद अंतरिक्ष में प्रत्येक उत्पाद की वर्तमान स्थान का निर्धारण करें।
  5. विशेषताओ के मिश्रण से लक्षित बाजार को पसंदीदा निर्धारित बनाने के लिए संयोजन करता है।
  6. उत्पाद और बाजार के बिच योग्य की जांच।[5]


स्थिति निर्धारण[संपादित करें]

स्थिति निर्धारण बाजार विभाजन और लक्ष्य निर्धारण के बाद आता है, जब उत्पादक को मालूम हो जाता है कि उसकी वस्तुओं की मांग कितनी और कौन करता है? तो वो अपनी वस्तुओं को उसी बाजार में स्थित करता है अर्थात् मांगो और विभाजित के अनुसार स्थित किए जाने वाले वस्तुओं या उत्पाद की प्रक्रिया को स्थिति निर्धारण कहते है।

स्थिति अवधारणाओं[संपादित करें]

कार्यात्मक पदों[संपादित करें]

  1. समस्यों का साधन
  2. ग्राहकों को लाभ प्रदान
  3. निवेश्कों और उधारदाताओं द्वारा अनुकूल धारणा लो

प्रतिकात्मक पदों[संपादित करें]

  1. स्व छवि सुधारने
  2. अहंकार पहचान
  3. अपनेपन और सामाजिक सार्थकता
  4. उतेजित पूर्ति

अनुभवात्मक पदों[संपादित करें]

  1. संवेदी उतेजना प्रदान
  2. संज्ञानात्मक उतेजना प्रदान[6]


उत्पाद या वस्तु स्थिति की रणनीतियां[संपादित करें]

गुण स्थिति विज्ञापन या जो संदेश उत्पादक ग्राहकों तक पहुँचाना चाहता हो उस संदेश में वस्तु की कुछ विशेषताओं के बारे में होना चाहिए अथवा संदेश वस्तु की कुछ विशेषताओ का स्ष्पस्टिकरण करना चाहिए। उदाहरण:डव शैम्पू इसके विज्ञापन में उत्पादक कहता है कि उसके उत्पाद में एक चौथाई (1/4th) नमी जो बालों को मुलायम और रेशमी रखे यह संदेश ग्राहकों को वह उत्पाद खरीदने के लिए बढ़ावा देता हैं।

लाभ स्थिति उत्पादक जब अपने उत्पाद के लिए विज्ञापन देता है तो उस विज्ञापन में उस उत्पाद के लाभ के बारे में भी कुछ होता है और होना भी चाहिए। उदाहरण:कॉम्प्लान इसके विज्ञापन में इसके लाभ के बारे में कहते है की इसके सेवन से आपकी उंच्चाई बढेगी इस विज्ञापन को देखकर जिस किसी की भी उंच्चाई कम हो वो इसे जरूर खरीदता है।

आवेदन या उपयोग स्थिति कुछ आवेदन के लिए या कुछ उपयोग के लिए उस एक उत्पाद या वस्तु को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। उदाहरण:फेविकॉल बढई या सुतार लकड़ी जोड़ने के लिए इसी का ज्यादा उपयोग करते है क्योंकि उनका मानना है कि वो उत्पाद इस काम के लिए सबसे अच्छा है।

उपयोगकर्ता स्थिति उपयोगकर्ताओं के समूह में उस एक अच्छे उत्पाद के रूप में होने का दावा करते है। उदाहरण:लेकमी,अगर कोई उपभोक्तओं का समूह लेकमी का उत्पाद इस्तेमाल करता है तो वो इस उत्पाद को अच्छा मानेंगे और ऐसी वस्तुएं ऐसे समूह के ग्राहकों में ही स्थित किया जाना चाहिए ताकि उनका उत्पाद जल्दी बिक सके।

प्रतियोगी स्थिति उत्पाद दुसरो प्रतियोगियो की तुलना में ग्राहकों की दृष्टिकोण में अच्छा होता है या फिर उस उत्पाद के कैसे भी प्रतियोगी आ जाए परन्तु इस उत्पाद की मांग वैसी की वैसी रहेगी अर्थात बाजार में कैसे भी नए और अच्छे उत्पाद क्यों ना आ जाए उपभोक्ता उस पुरानेउत्पाद को ही खरीदना चाहेंगे।उदहारण:नोकिया,पहले लोग सिर्फ नोकिया के फ़ोन खरीदते थे चाहे बाजार में दूसरा नया फ़ोन ही क्यों ना आ जाए लोगों का मानना था कि यह फ़ोन ही सबसे अच्छा है।

उत्पाद की श्रेणी स्थिति उत्पाद कोई श्रेणी में सबसे अच्छे होने का दावा। उदहारण: सोनी जो इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद में अच्छा माना जाता हैऔर ग्राहक भी सबसे पहले उसे ही खरीदना पसंद करते है।

गुणवत्ता और कीमत स्थिति कीमत के हिसाब से अच्छा मूल्य होने का दावा अर्थात ग्राहक जो कीमत देता उसे उस प्रकार की गुणवता पुर्ण उत्पाद मिलता है। उदाहरण: वॉल्वो जो कीमत ज्यादा जरूर लेता है पर उस बदले वो वैसा मुल्यावन उत्पाद देता है।[7]


सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. 'What is geographic segmentation' Kotler, Philip, and Kevin Lane Keller. Marketing Management. Prentice Hall, 2006. ISBN 978-0-13-145757-7
  2. Dove, Michael (2013-09-05). "Cultural Segmentation - Customer Segmentation". OriginsInfo.com.au. Retrieved 6 October 2014.Cultural Segmentation
  3. http:toolkit.smallbiz.nsw.gov.au/p0/49art3/1
  4. [[1]]
  5. Moore, G. (1991) Crossing the Chasm, HarperCollins Publishers, 1991.
  6. Levi, K. (2007) "Differentiate or Diminish: The Art and Necessity of Business Positioning", (March 2007), p. 9
  7.  [[2]