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अंनेकात का सिद्धांत[1]प्राचीन जैन धर्म भारतीय संस्कृति और चितंन की सबसे बड़ी मौलिक देन रही है, अंनेकात का सिद्धांत । अंनेकात यानी कि किसी भी विचार या वस्तु को अलग -अलग द्ष्टिकोण से देेखना समझना, परखना और सम्यक भेद द्धारा सर्वहितकारी विचार या वस्तु को मानना ही अंंनेकात है ।

यदि हम ध्यान से इस सिद्धांत को समझने का प्रयास करे तो आज पुरे विश्व की समस्याओं का पुरा समाधान हमे इस सिद्धातं मे मिल जाता है ।

  1. जैन, गौरव. "अंनेकात". SHRIONE.