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परीचय[संपादित करें]

अश्विन सांघी, भारत के सबसे प्रसिद्ध और जानने वाले लेखक मे से एक है। उने हिन्दुस्तान का "डेंन ब्राउन" करके नाम दिया गया है। उनका जन्म सन २५ जनवरी १९६९ , मुंबई के शहर मे हुआ था। उनके पिताजी , महेंद्र सांघी ' म.क.सांघी ' कंपनी के अध्यक्ष है और उनकी माताजी क्ष्री मनजु सांघी घर से काम करती थी। उन्होंने अपनी पढ़ाई ' जोन कोनन स्कूल ' में कि थी, और अपनी उच शिकशा ' सेंट ज़ेवियर्स कोलेज ', मुंबाई में की थी जहाँ से उनहोंने ब.अ.एकेनोमिकस कि डिगरी प्राप्त कि है। अशिवन सांघी एक रहस्यवाद और कल्पित लेखक है। उनहोनें कही मशहूर छोटे कहानियों और किताबों कि रचना कि हैं। उनहोंने अपना लेखक जीवन १९८० से शुरुवाद की थी जब वह केवल १० साल के थे। उनके नाना उनको हर हफ़्ते नई- नई किताबें भेजते थे। इस कारण उनको किताब पढ़ने में बाहुत रुचि थी। उन्होनें अपना पेहला पत्रिका सन १९९१ ' स ओ म करोनिकलस ' पत्रिका , ' येल विटी ' के लिए म.ब.ए विधर्याती के जीवन के उपर लिखना शुरु किया। सन १९९३ मे वे ' येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट ' से अपनी म.ब.अ कि डिगरी प्राप्त की जिसके बाद वे ' म.क.सांघी ' संस्ता मे नौक्री करने लगे। सन १९९५ मे उन्होंने ' एशीयाई एज ' के लिए व्यापारिक सामग्री लिखे जिसके बाद ' कॉस्मोपॉलिटन ' पत्रिका के लिए सामग्री लिखने लगे और वह उस काम से बहुत खुश थे।

साहित्यिक कार्य[संपादित करें]

द रोज़ाबल लाइन[संपादित करें]

आशिवन सांघी कि जीवन कही असफलताओं से भरी हुई है। सन २००० मे उन्होंने अपना खुद का कंपनी प्रारंभ करने कि खोशिश कि लेकिन वे असफल रहे। इस असफलता से वे उदास नही हो गए बल्कि सन २००४ मे उन्होंने अपना पेहला उपन्यास "द रोज़ाबल लाईन" उपनाम शॉण हेगिनस के रूप में लिखना शुरु किया । "द रोज़ाबल लाइन " लंडन के शहर मे शुरुवात होती है और यह कहानी १३ हत्यारों के बारे मे है जिनका लक्ष्य दुनिया का विनाश करना हैं। यह कहानी रहस्य और साहस से भरा हुआ है। सन २००६ मे जब वे अपना उपन्यास प्र्काशित करना चाह रहे ते तब ४७ सहितिक प्र्काशकों ने उनका उपन्यास अस्वीकार किया। इस के बावजूद २००७ मे उन्होंने खुद "द रोज़ाबल लाईन" को प्रकाशित किया और यह उपन्यास २००८ का बेस्टसेलर बन गया।

चाणक्य मंत्र[संपादित करें]

" द रोज़ाबल लाईन " के सफलता के बाद उन्होंने सन २०१० मे "चाणक्य मंत्र" लिखा। यह कहानी मागदा राज्य मे शुरु होती है जब एक निर्दयी राजा  छानाकया के पिता को मार डालते है। इस कारण छानाकया उस राजा से बदला लेता है और वह उससे सिंहासन से निकालकर महाराज छत्रपति शिवाजी को बिटाता है। वैसे ही उनकी अन्य लघु कहानियों और उपन्यासों की तरह यह पुस्तक भी इतिहास, धर्म, पुराण और राजनीति पर बड़े पैमाने पर लिखी गई है और इस वजह  से सन २०११ इसे ' क्रॉसवर्ड पॉपुलर च्वाइस ' पुरस्कार मिला। 

द कृष्णा कुंजी[संपादित करें]

वर्ष २०१२ में उन्होंने अपनी सबसे चर्चित पुस्तक ' द कृष्णा कुंजी ' प्रकाशित की जो ' एसी नीलसन ' ऑल इंडियन फिक्शन रैकिंग पर नंबर वन पहुँची। यह किताब रवि मोहन सैनी नाम के एक शख्स के बारे में है जिसके ऊपर अपने दोस्त की हत्या के लिए झूठा आरोप लगाया जाता है । वह भगवान कृष्ण के खजाने को उजागर करने के लिए और हत्यारे को दूडने के लिए एक साहसिक पर चला जाता है । इस पुस्तक की सफलता के बाद उन्होंने ' एम. के. सांघी ' समूह में अपने दिन कि नौकरी छोड़ दी और एक पूर्णकालिक लेखक बनने का फैसला किया। वर्ष २०१३ में वह ' फोर्ब्स पत्रिका ' में भारत की शीर्ष १०० हस्तियों में सूचीबद्ध थे।अशिवन सांघी का व्यवसाय इस सफलता के बाद बढ़-चढ़कर रहा ।

निजी भारत[संपादित करें]

वर्ष २०१४ में, विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक जेम्स पैटरसन के सहयोग से उन्होंने ' निजी भारत ' लिखा और प्रकाशित किया जो एक सप्ताह के भीतर भारत में नंबर वन तक पहुंच गया । बाद में ' प्राइवेट इंडिया ' ब्रिटेन में संडे टाइम्स के टॉप १० में पहुंची जिसके बाद यह न्यूयॉर्क बेस्टसेलर टाइम्स में पहुंच गया। उसी साल में उंन्होंने ' १३ स्टेप्स टु ए ब्लड्डी गुड लाइफ ', जो एक ओर बार ' एसी नीलसन गैर कल्पना सूची पर नंबर एक तक पहुंच गया और १३ कदम श्रृंखला शुरू की। वर्ष २०१६ में उन्होंने अपने नए उपन्यास ' द सियालकोट सागा ' को लिखा और प्रकाशित किया जो भारत और दुनिया भर में एक बार फिर हिट बन गया । ' निजी भारत ' की पिछली हिट को ध्यान में रखते हुए अशिवन सांघी ने अपनी नई किताब 'निजी दिल्ली ' को सीरीज के दूसरे संस्करण के रूप में जारी किया। यह किताब एक बार और सह जेँस पैटरसन द्वारा लिखकी और २०१७ के जनवरी में प्रकाशित किया गया।

निष्कर्ष-[संपादित करें]

अशिवन सांघी भारत के महानतम लेखकों में से एक के रूप में जाना जाता है । वे कहते थे, ' लेखन एक कला है, अपराध लेखन एक शिल्प है ', जो उन्होंने अपने अधिकांश उपन्यासों में प्रयुक्त किया है. उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं और वर्तमान में वे क्रिएटिव राइटिंग में अपनी पीएचडी कर रही हैं । अशिवन सांघी दोनों ही पाठकों और लेखकों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं।