सदस्य:Rajendra Prasad Singh 0511/प्रयोगपृष्ठ

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                                                 Rajendra Prasad Singh 0511
डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक

डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक, कोशकार, आलोचक एवं इतिहास - पुरातत्व के गंभीर अध्येता हैं। भाषा का समाजशास्त्रीय अध्ययन, इतिहास का सबाल्टर्न विश्लेषण तथा अस्मितामूलक साहित्य का अनुशीलन उनके लेखन की खासियत है।


जीवन – परिचय[संपादित करें]

डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी भाषाएवं साहित्य में पी-एच.डी. की है। उनका जन्म 5 नवंबर, 1965 को बिहार के रोहतास जिले के अरंग में हुआ था । फिलहाल वे एस.पी. जैन कॉलेज, सासाराम के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में प्रोफेसर हैं।
[1]

सम्मान[संपादित करें]

बिहार सरकार के डॉ. ग्रियर्सन पुरस्कार से सम्मानित 2016-17 [2] [3]

योगदान[संपादित करें]

हिंदी साहित्य के प्रथम सबाल्टर्न इतिहास लेखक/ हिंदी साहित्य में ओबीसी साहित्य के जनक/ भोजपुरी के प्रथमत्रिभाषी शब्दकोश के संपादक/ भाषाविज्ञान में अस्मितामूलक भाषाविज्ञान के संस्थापक / भोजपुरी साहित्य में दलित चेतनाके प्रथम उद्घाटक आदि। [4] [5]

प्रकाशित पुस्तकें[संपादित करें]


भाषा विज्ञान[संपादित करें]

[6]

1. भाषा का समाजशास्त्र : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली (2004)[7] [8]
2. भारत में नाग परिवार की भाषाएँ : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली (2006)[9]
3. हिंदी के प्रमुख भाषावैज्ञानिक, बोलियां एवं अस्मितामूलक भाषाविज्ञान : अमन प्रकाशन (2019)[10]


आलोचना[संपादित करें]

1. हिंदी साहित्य का सबाल्टर्न इतिहास: गौतम बुक सेंटर, दिल्ली(2009)
2. हिंदी साहित्य प्रसंगवश :जागृति साहित्य प्रकाशन, पटना(2010)
3. हिंदी की लंबी कविताओं काहिंदी की लंबी कविताओं का आलोचना– पक्ष: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली (2011)[11]
4. हिंदी का अस्मितामूलक साहित्य और अस्मिताकार : अमन प्रकाशन, कानपुर (2016)[12]
5. भाषा साहित्य और इतिहास का पुनर्पाठ : सम्यक प्रकाशन,नई दिल्ली (2016)


इतिहास[संपादित करें]

[13]
1. इतिहास का मुआयना : सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली(2017)
2. खोए हुए बुध की खोज : कौटिल्य बुक्स, नई दिल्ली (2018)[14]
3. बौद्ध सभ्यता की खोज : सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली (2019)

शब्दकोश[संपादित करें]

1. भोजपुरी हिंदी-इंग्लिश लोक शब्दकोश : केंद्रीय हिंदी संस्थान,आगरा(2009)
2. पंचानवे भाषाओं का समेकित पर्याय शब्दकोश : अमन प्रकाशन, कानपुर (2010)

ओबीसी साहित्य[संपादित करें]

[15]
1. ओबीसी साहित्य विमर्श : सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली (2014)[16]
2. ओबीसी साहित्य के विविध आयाम: सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली (2014)


दलित साहित्य[संपादित करें]

1. दलित साहित्य का इतिहास-भूगोल: विशाल पब्लिकेशन, पटना (2009)
2. भोजपुरी के दलित कवि और काव्य: गौतम बुक सेंटर, दिल्ली (2010)



भोजपुरी भाषा[संपादित करें]

1. भोजपुरी के भाषाशास्त्र: भोजपुरी साहित्य संस्थान, पटना (2006)
2. भोजपुरी व्याकरण, शब्दकोश आ अनुवाद के समस्या : पुस्तकभवन, नई दिल्ली (2008)
3. भोजपुरी के आधुनिक भाषाशास्त्र: पुस्तकभवन, नई दिल्ली (2011)
4. भोजपुरी भाषा व्याकरण आ रचना: विशालपब्लिकेशन, पटना (2011)


संपादक[संपादित करें]

1. कहानी के सौ साल : चुनी हुई कहानियाँ: जानकी प्रकाशन, पटना (2002)
2. काव्यतारा: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली (2006)
3. साहित्य में लोकतंत्र की आवाज: साहित्य ससंद, नई दिल्ली (2010)
4. जगदेव प्रसाद वाड्मय: सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली (2011)


अंग्रेजी में अनूदित पुस्तकें[संपादित करें]

1. दि रि-राइटिंग प्रॉब्लम्स ऑव भोजपुरी ग्रामर, डिक्शनरी एंड ट्रांसलेशन : नवराज प्रकाशन , दिल्ली (2008)
2. लैंग्वेजेज ऑव नाग फैमिली इन इंडिया : नवराज प्रकाशन, दिल्ली (2010)


लेखक पर केंद्रित पुस्तकें[संपादित करें]

1. समाज भाषाशास्त्री राजेंद्र प्रसाद सिंह: संपादक शशिकला ; जयभारती प्रकाशन, इलाहाबाद (2008)
2. डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह: जीवन और साहित्य (अप्रकाशित लघु शोध प्रबंध) , उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचारसभा मद्रास
3. डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह की वैचारिकी, संस्मरण एंव साक्षात्कार : लेखक डॉ. हरेरामसिंह ; सम्यकप्रकाशन, नई दिल्ली (2019)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

भाषा का समाजशास्त्र : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली भारत में नाग परिवार की भाषाएँ : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली हिंदी के प्रमुख भाषावैज्ञानिक, बोलियां एवं अस्मितामूलक भाषाविज्ञान : अमन प्रकाशन खोए हुए बुध की खोज : कौटिल्य बुक्स, नई दिल्ली ओबीसी साहित्य विमर्श : सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली हिंदी का अस्मितामूलक साहित्य और अस्मिताकार : अमन प्रकाशन, कानपुर हिंदी की लंबी कविताओं काहिंदी की लंबी कविताओं का आलोचना– पक्ष: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली