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नरेश कुमार[संपादित करें]

जीवन[संपादित करें]

नरेश कुमार एक पुराने भारतीय टेनिस खिलाड़ी है। उनका जन्म २२ दिसंबर सन १९२८ को लाहोर मे हुआ था जो पूर्व आजादी ब्रिटिश-भारत मे था और अब पाकिस्तान मे है। वे भारत के डाविस कप के टीम मे ८ साल तक १९५२ से खेल चुके है और तो और उसके कप्तान भी रेह छुके है। सन १९५५ मे वह विंबलडन ग्रैंड स्लैम के चौथे दौर तक भि पहुच चुके है। उनकि पत्नी क नाम है सुनिता कुमार जोकि एक जाने माने कलाकार है और निभंधकार भी। उन्हें लॉन टेनिस में उत्कृष्टता के लिए १९६२ में अर्जुन पुरस्कार मिला। इस शिर्शिक के दूसरे हकदारों मे से है सानिया मिर्ज़ा, अख्तार अली, साकेत म्य्नेनि। उनको यह प्रशस्ती उस काल के राश्ट्रपती डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन से पुरस्क्रित किया गया।

विंबलडन मे सहभागिता[संपादित करें]

विंबलडन ग्रैंड स्लैम मे नरेश कुमार १९५५ में १६ चौथे दौर और उसी वर्ष रामाननाथ कृष्णन के साथ युगल क्वार्टर फाइनल चरण में पहुंचे। १९५५ विंबलडन चैम्पियनशिप यूनाइटेड किंगडम लॉन टेनिस और क्रॉक्ट्टन क्लब में विंबलडन, लंदन, यूनाइटेड किंगडम में आउटडोर घास अदालतों पर हुई थी। टूर्नामेंट २० जून से १ जुलाई तक चला। यह विंबलडन चैम्पियनशिप का ६९ वां चरण था, और ९५५ का तीसरा ग्रैंड स्लैम टेनिस कार्यक्रम था।


उपलब्धियों[संपादित करें]

डेविस कप पुरुषों के टेनिस में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टीम कार्यक्रम है। यह अंतर्राष्ट्रीय टेनिस फेडरेशन (आईटीएफ) द्वारा चलाया जाता है और प्रतिस्पर्धी देशों की टीमों के बीच नॉक-आउट प्रारूप में सालाना प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। यह आयोजकों द्वारा "टेनिस कप का विश्व कप" के रूप में वर्णित है, और विजेताओं को विश्व चैंपियन टीम के रूप में जाना जाता है। प्रतियोगिता १९०० में ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक चुनौती के रूप में शुरू हुई। २०१६ तक, १३५ देशों ने प्रतियोगिता में टीमों में प्रवेश किया

टेनिस में अर्जुन पुरस्कार विजेताओं को कई वर्षों से भारत में सबसे लोकप्रिय खेलों में गिना जाता है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए, भारतीय टेनिस खिलाड़ियों को अब तक भारत सरकार से कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। अर्जुन पुरस्कार शायद उनमें से सबसे प्रतिष्ठित में से एक है। भारत ने अब तक १९६१ में वर्ष की शुरुआत के बाद टेनिस में कई अर्जुन पुरस्कार विजेताओं को देखा है।पौराणिक भारतीय टेनिस खिलाड़ी रामनाथन कृष्णन १९६१ में अर्जुन पुरस्कार जीतने वाले पहले व्यक्ति थे। अगले वर्ष नरेश कुमार ने १९६२ में पुरस्कार जीता और टेनिस में अर्जुन पुरस्कार विजेताओं की सूची में अपना नाम दर्ज किया। जयदीप मुखर्जी ने १९६६ में और १९६७ में पुरस्कार जीता; विजेता प्रेमजीत लाल था।


उन्होने एक प्रेस सम्मेलन मे कहा था कि, विमान द्वारा विंबलडन पहुंचने के लिए नरेश कुमार को लगभग २९ घंटे लगते थे। "उन प्रोपेलर संचालित एयर इंडिया विमानों ने एक पत्ते की तरह हिलाकर छोड़ा जब अंततः एक उतरा। दक्षिण अमेरिका के कई लोगों ने समय पर वहां पहुंचने के लिए लंबी नाव की सवारी भी की। मुझे एक बार आयोजकों द्वारा मेरे खर्चों के लिए प्रतिपूर्ति के रूप में £१८० दिया गया था। बेशक, मैंने इसके लायक होने के लिए काफी अच्छा व्यवहार किया था! "


संदर्भ[संपादित करें]

नरेश कुमर (अंग्रेजि)

टेलिग्राफ