सदस्य:Poorvika m p/भवानी प्रसाद मिश्र

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भवानी प्रसाद मिश्र[संपादित करें]

भवानीप्रसाद मिश्र का जन्म गाँव टिगरिया, तहसील सिवनी मालवा, जिला होशंगाबाद ,मध्य प्रदेश में हुआ था। क्रमश: सोहागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर में उनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई। १९३४-३५ में उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत विषय लेकर बी०ए० पास किया। महात्मा गांधी के विचारों के अनुसार शिक्षा देने के विचार से एक स्कूल खोलकर अध्यापन कार्य शुरू किया और उस स्कूल को चलाते हुए १९४२ में गिरफ्तार होकर १९४५ में छूटे। उसी वर्ष महिलाश्रम वर्धा में शिक्षा देने एक शिक्षक की तरह गये और चार-पाँच साल वहीं बिताये। कविताएँ लिखना लगभग १९३० से ही नियमित रूप से प्रारम्भ हो गया था और कुछ कविताएँ पं० ईश्वरी प्रसाद वर्मा के सम्पादन में निकलने वाले हिन्दूपंच में हाईस्कूल पास होने के पहले ही प्रकाशित हो चुकी थीं। सन १९३२-३३ में वे माखनलाल चतुर्वेदी के सम्पर्क में आये। चतुर्वेदी जी आग्रहपूर्वक कर्मवीर में उनकी कविताएँ प्रकाशित करते रहे। हंस में भी उनकी काफी कविताएँ छपीं उसके बाद अज्ञेय जी ने दूसरे सप्तक में उन्हें प्रकाशित किया। दूसरे सप्तक के बाद प्रकाशन क्रम ज्यादा नियमित होता गया। उन्होंने चिथ्रपट के लिये संवाद लिखे और मद्रास के ए०बी०एम० में संवाद निर्देशन भी किया। मद्रास से वे मुम्बई में आकाशवाणी के प्रोड्यूसर होकर गये। बाद में उन्होंने आकाशवाणी केन्द्र दिल्ली में भी काम किया। जीवन के ३३वें वर्ष से वे खादी पहनने लगे। जीवन की सान्ध्य बेला में वे दिल्ली से नरसिंहपुर (मध्यप्रदेश) एक विवाह समारोह में गये थे वहीं अचानक बीमार हो गये और अपने सगे सम्बन्धियों व परिवार जनों के बीच अन्तिम साँस ली। किसी को मरते समय भी कष्ट नहीं पहुँचाया। उनके परिवार में इनके एक पुत्र अनुपम मिश्र एक सुपरिचित पर्यावरणविद हैं।

साहित्यिक जीवन[संपादित करें]

भवानी प्रसाद मिश्र की कविता-यात्रा मुख्यत: 1944 से आरंभ होती है। यों 1940 में 'दूसरे सप्तक' के साथ वे हिंदी के जाने-माने कवियों कौ पंक्ति में स्थापित हो चुके थे। 1932-33 में आप माखनलाल चतुर्वेदी के संपर्क में आए। श्री चतुर्वेदी आग्रहपूर्वक कर्मवीर में भवानी प्रसाद मिश्र की कविताएँ प्रकाशित करते रहे। हंस में अनेक कविताएँ प्रकाशित हुईं। तत्पश्चात् अज्ञेय जी ने दूसरे सप्तक में आपको प्रकाशित किया। दूसरे सप्तक के प्रकाशन के पश्चात् प्रकाशन नियमित होता गया। आपने चित्रपट (सिनेमा) के लिए संवाद लिखे और संवाद निर्देशन भी किया। मद्रास से मुम्बई आकाशवाणी के निर्माता बन गए और आकाशवाणी केन्द्र, दिल्ली में भी काम किया। गांधीवादी विचारधारा के इस कवि की आपातकाल में लिखी गई कविताएं 'त्रिकाल संध्या' के नाम से प्रकाशित हुई।

प्रमुख कृतियाँ[संपादित करें]

कविता संग्रह- गीत फरोश, चकित है दुख, गान्धी पंचशती, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल सन्ध्या, व्यक्तिगत, परिवर्तन जिए, तुम आते हो, इदम् न मम्, शरीर कविता: फसलें और फूल,मानसरोवर दिन, सम्प्रति, अँधेरी कविताएँ, तूस की आग, कालजयी, अनाम और नीली रेखा तक।

बाल कविताएँ - तुकों के खेल,

संस्मरण - जिन्होंने मुझे रचा

निबन्ध संग्रह - कुछ नीति कुछ राजनीति।

शैली[संपादित करें]

भवानी प्रसाद मिश्र उन गिने चुने कवियों में थे जो कविता को ही अपना धर्म मानते थे और आम जनों की बात उनकी भाषा में ही रखते थे। उन्होंने ताल ठोंककर कवियों को नसीहत दी थी-

जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख, और इसके बाद भी हम से बड़ा तू दिख।[1] उनकी बहुत सारी कविताओं को पढ़ते हुए महसूस होता है कि कवि आपसे बोल रहा है, बतिया रहा है। जहाँ अपनी गीतफरोश कविता में कवि ने अपने फ़िल्मी दुनिया में बिताये समय को याद कर कवि के गीतों का विक्रेता बन जाने की विडम्बना को मार्मिकता के साथ कविता में ढाला है वहीं सतपुड़ा के घने जंगल जैसी कविता सुधी पाठकों को एक अछूती प्रकृति की सुन्दर दुनिया में लेकर चलती है।.उनकी कविताएँ गेय हैं और पाठकों को ताउम्र स्मरण रहती हैं।

वे गूढ़ बातों को भी बहुत ही आसानी और सरलता के साथ अपनी कविताओं में रखते थे। नई कविताओं में उनका काफी योगदान है। उनका सादगी भरा शिल्प अब भी नये कवियों के लिए चुनौती और प्रेरणास्रोत है। वे जनता की बात को जनभाषा में ही रखते थे। उनकी कविताओं में नये भारत का स्वप्न झलकता है। उनकी कविताएँ परिवर्तन और सुधार की अभिव्यक्ति हैं। वे आपातकाल में विरोध में खड़े हो गए और विरोध स्वरूप प्रतिदिन तीन कवितायें लिखते थे। वस्तुत: वे कवियों के कवि थे।

आलोचना[संपादित करें]

विचार और कामों में गांधीवादी मिश्रा गहरा देश में उपनिवेशवाद की तथाकथित प्रभाव से परेशान था। उन्होंने कहा कि यह भारत के वर्तमान अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था की आड़ में जहर मिठाई की तरह कहते थे।

  1. https://hi.wikipedia.org/wiki/भवानी_प्रसाद_मिश्र
  2. http://www.bharatdarshan.co.nz/author-profile/88/bhawani-prasad-mishra-biography-hindi.html
  3. http://bharatdiscovery.org/india/भवानी_प्रसाद_मिश्र