सदस्य:Neha Clare Minj/प्रयोगपृष्ठ

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भारतीय औषधीय पौधों या आयुर्वेद में जड़ी बूटी सदियों पुरानी लाभ हैं । पत्ते , फूल , जड़ और छाल से संबंधित मुद्दों हीथ की व्यापक रेंज के इलाज की सेवा की है जैसे पौधों के विभिन्न भागों , नाम , रेजिन , चयापचयों और लेटेक्स तरह हर्बल पौधों से कुछ समय के उत्पादों के लिए शारीरिक समस्याओं का इलाज किया गया है । अपने उत्पादों को आज चुर्ण , गोलियॉं , तेल , क्रीम , आदि के रुप में व्यावासायिक हैं । कुदरत के दिये गये वरदानों में पेड़-पौधों का महत्वपूर्ण स्थान है । पेड़-पौधे मानवीय जीवान चक्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इसमें न केवल भोजन संबंधी आवशयकताओं की पूर्ती ही होति बल्कि जीव जगत से नाजूक संतुलन बनाने में भी ये आगे रेहते हैं - कार्बन चक्र हो या भोजना शृंखला के पिरामिड में भी ये सर्वोच्च स्थान ही हासिल करते हैं । इनकी उपयोगिता को देखते हुए इनको अनेक संवर्गों में बांटा गया है । इनमें औषधीय पौधे न केवल अपना औषधीय महत्व रखते है आय का भी एक जरिया बन जाते हैं | हमारे शरीर को निरोगी बनाय रखने में औषधिय पौधों का अत्यधिक महत्व होता है यही वजह है कि भारतीय पुराणों , उपनिषदों , रामायण एवं महाभारत जैसे प्रमाणिक ग्रंथों में इसके उपयोग के अनेक साक्ष्य मिलते हैं । इससे प्राप्त होने वाली जड़ी - बूटियों के माध्यम से न केवल हनुमान ने भगवान लक्ष्मण की जान बचायी बल्कि आज की तारीख में भी चिकित्सकों द्वारा मानव रोगोपचार हेतु अमल में लाया जाता है । यही नहीं, जंगलों में खुद - ब - खुद उगने वाले अधिकांश औषधीय पौधों के अदुभत गुणों के कारण लोगों द्वारा इसकी पूजा - अर्चना तक की जाने लगी है जैसे तुलसी , पीपल , आक , बरगद तथा नीम इत्यादि । प्रसिध्द विद्वान चरक ने तो हरेक प्रकार के औषधीय पौधों का विश्लेषण करके बीमारियों में उपचार हेतु कई अनमोल किताबों की रचना तक कर डाली है जिसका प्रयोग आजकल मानव का कल्याण करने के लिए किया जा रहा है । कुच पौधों के नाम निचे दिया गया हैं :-

नीम[संपादित करें]

नीम पौधा

[1] यह भारतीय मूल का एक पूर्ण पतझड़ वृक्ष है । यह एक चिपरिचित पेड़ है जो २० मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है इसकी एक टहनी में करीब ९ - १२ पत्ते जाते है । इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और इसका पत्ता हरा होता है जो पक्क कर हलका पीला - हरा है । अक्सर ये लोगो के घरों के आस - पास देखा जाता हैं । यह हर्बल ओरगेनिक पेस्टिसाइड साबुन, दातुन , मधुमेह नाशक चूर्ण रुप में प्रयोग किया जाता हैं । नीम की छाल का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों और घावों के निवारण में सहायक हैं । इसकी पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं । इसके द्वारा बनाया गया लेप बालो में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं । [2]

तुलसी[संपादित करें]

तुलसी पौधा पूजनीय रुप में

[3] तुलसी एक झाड़ीनुमा पौधा हैं । इसके फुल गुच्छेदार तथा बैंगनी रंग के होते हैं तथा इसके बीज घुठलीनुमा होते है । इसे लोग अपने आंगन में लगाते हैं । नए पौधे मुख्य रुप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल में फूलते हैं । पौधा सामान्य रुप से दो-तीन वर्षों तक हरा बना रहता है । भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है, धामिर्क महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है । इसकी ५ पत्तितयों को सेवन करने से शरीर में कैलोस्ट्राल कम हो जाता हैं और इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग और श्र्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है ।

ब्राम्ही / बेंग साग[संपादित करें]

[4] यह साग पानी की प्रचुरता में सालो भर हरी भरी वाली छोटी लता है जो अक्सर तालाब या खेत माय किनारे पायी जाती हैं । इसके पत्ते गुदे के आकार के होते हैं । यह हरी चटनी के रुप में आदिवासी समाज में प्रचलित हैं । यह औषधि नाड़ियों के लिये पौष्टिक होती है । कब्ज को दूर करती है । इसके पत्ते के रस को पेट्रोल के साथ मिलाकर लगाने से गठिया दूर करती है । इस से रक्त शुध्द करने के गुण भी पाये जाते है । यह ह्रदय के लिये भी पौष्टिक होता है । इस के रस में शहद मिलाकर पिने से खसरा की बीमारी समाप्त होती हैं ।

सदाबहार[संपादित करें]

सदाबहार पौधा
सदाफूली या सदाबहार बारहों महीने खिलने वाले फूलों का एक पौधा है । इसकी आठ जातियां हैं । भारत में पायी जाने वाली प्रजाति का वैज्ञानिक नाम केथारेन्थम रोजस है ।  चिकित्सा के क्षेत्र में इसका अपना महत्व हैं । यह अक्सर बगान , बलुआही क्षेत्रो , घेरो के रुप में भी लगाया जाता हैं । सबसे रोचक बात यह है कि इसे मधुमेह के उपचार में भी उपयोगी पाया गया है । वैज्ञानिकों का कहना है कि सदाबहार में दर्जनों क्षार ऐसे हैं जो रक्त में शकर की मात्रा को नियंत्रित रखते है । त्वचा पर घाव या फोड़े - फुंसी हो जाने पर इसकी पत्तियों का रस दूध में मिला कर लगाते हैं ।

जामुन[संपादित करें]

जामुन फल
यह एक सदाबहार वृक्ष है जिसके फल बैंगनी रंग के होते हैं । जामुन का फल ७० प्रतिशत खाने योग्य होता है । इसमें ग्लूकोज और प्रक्टोज दो मुख्य श्रोत होते हैं । फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है । स्वाद में मीठा कुछ खट्टा होता हैं । जामुन को मधुमेह के बेहतर उपचार के तौर पर जाना जाता है । यकृत से जुड़ी बीमारियों के बचाव में जामुन रामबाण साबित होता है । अध्ययन दर्शाते हैं कि जामुन में एंटीकैंसर गुण होता है । जामुन यक्रत को शक्ति प्रदान करता हैं ।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. http://aajtak.intoday.in/story/5-benefits-of-neem-1-825765.html
  2. www.guide2india.org/neem-tree-uses-in-hindi/
  3. https://healthforalldrvyas.blogspot.com/2012/.../benefits-of-tulsi.ht...
  4. srirajivdixit.com/health-benefits-of-brahmi-herb/