सदस्य:Monisha pramila

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Monisha pramila
मम छायाचित्रः
मम छायाचित्रः
नाम मोनिशा
लिंग स्त्री
जन्म तिथि १९ एप्रिल १९९७
जन्म स्थान बेगलुरु
निवास स्थान कर्नाट्का
देश साँचा:Country data भारतः
नागरिकता भारतीयः
जातियता भारतीयः
शिक्षा तथा पेशा
पेशा छात्रः
शिक्षा बिकोम्
महाविद्यालय सेंट ऍन्स, बेग्लुरु
विश्वविद्यालय क्राइस्ट वर्श्विद्यालये, बेंगलुरू
शौक, पसंद, और आस्था
शौक बेटमिन्टन,संगीत,नाच
धर्म इन्दु
राजनीती स्वतंत्र
चलचित्र तथा प्रस्तुति मनोरंजनाय
रुचियाँ

पदाई

सम्पर्क विवरण
ईमेल monishacholan19@gmail.com
फेसबुक monisha cholan

मेरा नाम मोनिशा है। मेरा जन्म सन १९९७ अप्रिमल १९ को कर्नाटक राज्य के बेगलूरू मे हुआ था। मेरा माता-पिता का नाम शोलण और प्रमिला है। मै सिटिजन्स स्कूल मे दस्वी कक्षा तक विध्याभ्यास की। मै दस्वी परिक्षा मे अधिक अंक पाने के लिए बहूत मेहनत की और इसके कारण मै प्रतम अंक से पास हुई। मेरे परिवार लोग बहुत प्रासंन होकर मुझे कही सारे बेंट देने लगे । बेंटो को पाकर मुझे अधिक प्रसंन हुआ और मेरी प्रतिभा ओर भी बडने लगी। और पी-यू-सी मे भी मेहनत से प्रथम अंक से उतीर्ण की।

मेरे लिए अपने पिता एक आदर्श मर्गदर्शक है। वह प्रातिभाशाली व्यक्ति और सबको प्रारित करते भी है। वह हमारे परिवार को समालते है। वह कडी मेहनत और परिश्रम से अपने बल से बनी कारोबार चलाते है। वह समय का बहुत पाभंद करते है। पिताजी कहते है कि हम परिश्रम करने से ही जीवन के राह् मे उन्णती पाते है। मुझे मेरी माँ से बहुत लगाँव है। वह घर समालती है और साथ मे ही अध्यापक के रूप मे कार्य कर रही है। वह हमे हमेशा कहती है कि लडकियाँ घर के काम मे भी हाथ बटाना चाहिए। मेरे दो बहने है। एक सुमिता और वैशाली है। हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। हम मिलजुलकर खेलते है और गप्पे भी मारते है। हम साथ मे लडते भी है । जिसके कारण मां का डाट भी सुननी पडती थी। हमारे घर मे दादा दादी भी रहते है। हमारा एक सयुक्त परिवार है।

मुझे बेटँमीन्टन खेलना बहुत पसंद है। बच्चपन मे मैने कही सारे खेल खेले जैसे सतोलिया, लगँडी-टाँग, पकडम-पकडाई, काली-टीलो और कमरो मे गुडडे-गुडीयो के ब्याह भी रचाए, पास पडोस की सहलियों के साथ खेल रही थी। मुझे विबिन जगह घूमना प्रसंन है। मै अपने दोस्तो के साथ मिलकर हंगामा मचाती हूँ और खूब मस्ती करती हु। मुझे तरह तरह के भोजन बनाने मे रुची है। मै हमेशा गर्मी की छुटीयो मे अपने नाना-नानी की घ्रर जाती हूँ। वह मुझे अधिक प्यार करते है। वह मुझे तरह-तरह के मिटाईयाँ दिलवाते है और घूमने ले चलते है। वह हमे रात मे सोने के समय लोरी भी सुनाते है। बहुत पहले की घटना मुझे अब भी याद है जब हम तीन बहने एक साथ खेल रहते तो अचानक लडने लग गए। और नानी क्रोधित होकर हमे डाटने लग गई और समजाने लगीं कि लडकिया इस तहर लडना नही चाहिए बल्कि एक साथ मिल-जुलकर प्यार से रहना चाहिए और यह हमारा कर्तव्या और व्यक्तित्व है।

अब मै क्रैस्ट विशवविध्याल्य मै बी-काँम की डिग्री प्राप्त कर रही हु। इस विशवविध्याल्य मे दाकिला मिलने से मुझे अधिक प्रसंन हुहा और यह मेरा सौंभाग्य है। मेरा पिताजी को भी यह इच्छा था कि मुझे इस विशवविध्यालय मे दाकिला मिले। इस विश्वविद्यालय मे मुझे यहाँ नई-नई चीजो सीखने का मौका मिलती है। यहाँ मुझे खूब सारे दोस्त मिल चुके है और विबिन कार्यक्रमो मे भाग लेने लगी हुँ हर किसी के जीवन मे एक उद्देश्य होना चाहिए। जीवन मे उद्देश्य के बिना आदमी केवल परिस्थितियों के एक खिलौना है। मेरे अनुसार यह है कि हर एक व्यक्ति अपने लक्श्य को पहचान कर और उस् राह पर चलना चाहिए। लक्श्यहीन जीवन, जीवन ही नही। मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मै बडी होकर एक कुद के कारोबार आरंभ करना चाती हु। मै यह कहना चाहती हुँ कि महनत और परिश्र्म के बिना मनुशय जीवन मे सफलता और प्रसंन्ता नही पा सकता है।