सदस्य:Lodhiraj22

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लोधी क्षत्रिय लोध राजपूत भारत के सभी राज्यों में जीवन यापन कर रहे है ।ये भारत में कुछ राज्यों में सामान्य (19 राज्यों में )वर्ग में कुछ राज्यों में ओबीसी वा किसी राज्यों में आदिवासी में आते हैं ये भारत की मूलनिवासी जाति है। जो वेदों वा पुराणों वा परशुराम सहितां आदि में लोध शब्द को एक वीर योद्धा के रूप में परिभाषित किया गया है वा लोध जाति को प्राचीन चंद्रवंशी क्षत्रिय के रूप में माना गया है। लोध प्राचीन क्षत्रिय होने के कारण ये वर्तमान समय में आपसी लड़ाई झगडे के चलते पिछड़े माने जातें हैं । तथा ये लोध जाति आपस में एकजुट नहीं रहती है ।आज के समय में अधिकांश लोध कृषि कार्य कर रहे हैं । जय जवान जय किसान नारे से स्पष्ट है कि वर्तमान में ये दोनों ही असली क्षत्रिय हैं लोध जाति के लोग अब नाम के साथ राजपूत लिखने लगे है ।उनका कहना है कि हमरे भी पूर्वज लोधी राजा हुए हैं तो हम राजपूत हैं।लेकिन लोध के पिछड़े होने के कारण केवल कहीं कहीं पर इनको क्षत्रिय माना जाता है ।तथा कहीं कहीं पर इनको आदिवासी, किसान माना जाता है लेकिन सच है कि लोध गुजर और जाट ये तीनों जाति एक ही पूर्वजों कि है इनके कार्य भी लगभग सामान्य हैं। इसी प्रकार जाटों को भी कहीं कहीं क्षत्रिय माना जाता है। इस लोध,और जाट सबसे ज्यादा जमींदारी जगीदारी और लंबरदार रहे। लोध और जाटों में कई राजा भी हुए।