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बैंक में खाता खोलने पर बैंकरों और ग्राहकों के बीच संविदात्मक संबंध जुढ जाता है। व्यक्ति के कुछ वर्गों की क्षमता, मान्य समझौते बनाने के लिए कुछ कानूनी प्रतिबंध के अधीन है।व्यक्ति के कुछ वर्गों की क्षमता के प्रती कानूनी प्रतिबंध और समझौता लागु होता है। बैंकरों के अतिरिक्त देखभाल ग्राहकों के प्रती आवश्यक है क्यूंकि वह नाबालिगों, पागल, शराबी, विवाहित महिलाओं, न्यासी(ट्रस्टी),निष्पादकों, प्रशासकों आधी से जुनजते है। खाता खोलने के लिए सिर्फ एक व्यक्ती होने की ज़्रुरत नही है बलकी फर्म या कोम्पनी भी हो सकता है। [1]

ग्राहकों के प्रकार[संपादित करें]

नाबालिग[संपादित करें]

जिस व्यक्ती के १८ साल पूर नही हुए है उन्हे नाबालिग केह्ते है। जब तक १८ साल पूरा नहि होता तब तक उस व्यक्ती या उस व्यकती के संबंधित संप्पत्ति को एक अभिभावक कानून को गोर में रखते हुए अदालत द्वारा नियुक्त किया जाता है। सरकार ने यह घोषित किया है की अब १८ साल या २१ साल को बालिग(प्रमुख) माना जाएगा,अक्ष्म अधिनियम(कोन्ट्राक्ट एक्ट) सेकशन ११ के अनुसार नाबालिग अक्षम को अनुबंध कर सकता है लेकिन नेगोशिएबल इन्सट्रुमेन्ट अकट सेकशन २६ के अनुसार आकर्षित, समर्थन देने और बातचीत कर्ने की अनुमती देता है इसलिए बैंकरों को नाबालिग बचत खाता कोलते समय सावधानी प्परखना चाहिए। बैंकरों को नाबालिग की चालू खता खोलने से अधीक बचत खाता खुलवाना ही सुरक्षित मालूम पडता है क्यूंकि उस खाते मे क्रेडिट संतूलन होता है जो की चालू खाथे मे नही होता क्यूंकि नाबालिग के समझौते शून्य होते है। नाबालिग बचत खाता इस प्रकार खोल सक्ते है:

  1. खुद नाबालिग के नाम पर : इस खाते को नाबालिग द्वारा संचालित किया जासक्ता है। वह बैंक मे उपस्तित होने पर अपने खाते मे से पैसे निकाल सकते है और समर्थन, बात्जीत भी कर सकते है।
  2. नाबालिग और अभिभावक का संयुक्त खाता : इस खाते को नाबालिग और अभिभावक के द्वारा ही संयुक्त रूप से संचालित किया जासकता है। मामलों में मामूली कम से कम 12 वर्ष की आयु प्राप्त होगा और पढ़ने के लिए या अंग्रेजी, हिंदी या क्षेत्रीय भाषा में लिखने के लिए एक स्थिति में होना चाहिए।
  3. अभिभावक के नाम : इस खाते में नाबालिग की ओर से अभिभावक द्वारा संचालित किया जाता है
  4. "जन्मतिथि" : नाबालिग क जन्म तारीख रेकार्ड करना ज़रूरी है खाता खोल्ने के समय
  5. "अवयस्क अभिभावक की मौत" : अगर नाबालिग का निदन हो जाता है तो उसके खाते की संपत्ती अभिभावक की हो जाएगी और जब नाबालिग प्रमुख बनता है तब वह अपने संपत्ती का हक्दार बन जाता है।अभिभावक नाबालिग बालिग होने से पहले मर जाता है और खाते में एक संयुक्त खाता है या केवल पैसे नाबालिग के बहुमत के लिए या सके रूप में अदालत द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति को बैंक द्वारा भुगतान किया जाता है।
  6. "एक भागीदार के रूप अवयस्क" : एक नाबालिग सभी भागीदारों की सहमति के साथ साझेदारी के लाभ के लिए भर्ती किया जा सकता है, लेकिन वह फर्म के नुकसान या ऋण के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। वह साथी के रूप में दायित्व परित्याग करना चाहिए बहुमत के बाद छह महीने के भीतर अन्यथा वह एक साथी के रूप में उत्तरदायी होगा और फर्म के नुकसान के लिए भागीदार होगा।

नाबालिग के अभिभावक के प्रकार[संपादित करें]

  1. "प्राकर्तिक अभिभावक" : हिंदू मैनोरिटी और गार्डियनशिप एक्ट, 1956 के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित किया जाता हैं। अगर पिता मर जाते है तो नाबालिग की माता ही प्राकर्तिक अभिभावक बनजायी है या पिता सन्यासी लेते है या अपना धर्म बदलते है तो वह प्राकर्तिक अभिभावक नही हो सकता।
  2. " वसीयती अभिभावक" : यह भी हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम(Hindu minority and guardianship act), 1956 के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित किया गया हैं। प्राकर्तिक अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों को किसी ओर अभिभावक को सोंपते है और वह दूसरा अभिभावक नाबालिग बच्चों की देकभाल कराते है लेकिन पिता या पिता के निदन होने पर।
  3. "गार्जियन कोर्ट द्वारा नियुक्त अभिभावक" : एक अभिभावक रखवालों और वार्ड अधिनियम 1890 के तहत एक अदालत द्वारा नियुक्त किया जाता है।

नीजि दिमाग के हालत के ग्राहक[संपादित करें]

बैंकरों को पता होते हुए अस्वसत दिमागी हालत व्यक्ती को अपना ग्राहक बनाना नही चाहता क्युंकी बैंकर मुसीबत में पढ सकता है जैसे की चेक को वापस भेजना और उनके खाते मे पर्याप्त राशि ना रखने की मुसीबत। जब तक बैंकर पता नही चलता या सबूत नही मिलजाता की वह दिमागी हालत से स्वसत नही है तब तक खाते की हर जिम्मेदारी और अधिकार उन्ही के हाथ मे रहता है।

बैंकरों को ग्राहक के पागलपन की नोटीस आने पर इस तरह कदम उठाते है[संपादित करें]
  • चेक मे पागल ग्राहक के नाम से उल्लेख नही करते बलकी दराज के लिए उल्लेख करते है।
  • जब अदालत से प्राप्त हुए "पागलपन" रूप के आदेश को एक ध्यान नोट मे रखना जरूरी है।
  • पागलपन आदेश से ही वह खाते को संचालित कर सकते है।
  • ग्राहक को तब तक खाते को संचालित करने नही दे सकते जब तक वह कोर्ट से साबित नही होजाता की ग्राहक दीहमागी हालत से स्वसत है।

'विवाहित महिलाएं[संपादित करें]

एक विवाहित महिला सक्षम होने के कारण एक वैध अनुबंध में प्रवेशकर सकते है, इसलिए एक विवाहित महिला के नाम से एक खाता खोला जा सकता है। विवाहित महिला के नाम पर चालू खाता खोल सकते है, लेकिन जब विवाहित महिला अपने खाते से हद से .ज्यादा राशी निकालती है और उनके पास इस की भर्पाई करने के लिए अपनी संपत्ति भी नही होती उस समय बैंकर के पास कोइ उपाय नही होता इसी कारण बैंकर जोखिम मे पड सकता है। एक विवाहित महिला द्वारा उठाए गए ऋण के मामले में उसके पति निम्न परिस्थितियों में छोड़कर उत्तरदायी नहीं होगा:

  • जब ऋण पति के सहमति या अधिकार के साथ लिया जाता है।[2]
  • जब पति के जीवन की आवश्यकताएँ की आपूर्ति के लिए पति चूक जाता है।

पति किसी अन्य परिस्थितियों में उसकी पति द्वारा उठाए गए ऋणों के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। लेनदारों के मामलों में विवाहित महिला की निजी संपत्ति की बल पर ही अपने ऋण की वसूली हो सकती है। बैंकरों को विवाहित महिलाओं को कर्जा देने से पहले उनकी नीजी संपत्ति के बारे मे जांच करना .जरूरी है।

परदनाशिन महिला[संपादित करें]

एक परदनाशिनपरदनाशिन औरत अपने ही समुदाय के रिवाज के अनुसार पूरा तनहाई देखने को मिलती है। वह अपने ही परिवार के सदस्यों के अलावा अन्य लोगों के साथ सौदा नहीं करती है। वह पूरी तरह से सुनसान रहयती है ,रूप में, कानूनी रूप में एक मौजूदगी धारणा है। महिला की मर्जी और समझ के द्वारा ही किसी भी अनुबंद मे प्रवेश किया जा सक्ता है। इसलिए बैंकर को एक परदनाशिन महिला के नाम से एक खाता खोलने पर एहतियात रखना चाहिए। एक ऐसी औरत की पहचान सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है, बैंकर आम तौर पर उसके नाम पर एक खाता खोलने के लिए मना कर देता है।

निरक्षर[संपादित करें]

अनपढ व्यक्ती बैंक मे खाता खोल सकते है, इस के लिए कुछ स्तरों को ध्यान मे रख्ना पडता है:

  • अंगूठे का निशान : खाता खोलने के फार्म और नमूना हस्ताक्षर फार्म पर निक्षेपक के बाएं हाथ अंगूठे की निशान पर्यवेक्षण अधिकारी के उपस्थिति कर्ना होता है। निरक्षर व्यक्तियों को उनके नाम पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं और इसलिए बैंकरों हस्ताक्षर के लिए यह एक विकल्प है।
  • "पहचान के निशान" : निक्षेपक क्र एक या दो पहचान के निशान को खाता खोलने के फार्म और नमूना हस्ताक्षर फार्म मे लिख्ना चाहिए।
  • "फोटोग्राफ" : निक्षेपक के दो तसवीर खाता खोलने के फार्म और नमूना हस्ताक्षर फार्म मे लगाना ज.जरूरी है। हर तीन साल में फोटोग्राफ नवीकरण करना होगा।[3]

पार्टनरशिप फर्म[संपादित करें]

एक बैंक फर्म के साथ काम कर व्यापार होने के पाठ्यक्रम में निम्नलिखित सावधानियां रखना चाहिए :

  • बैंकर को पार्टनरशिप फर्म के नाम पर खाता खोलना चाहिए सिर्फ तभी जब एक या एक से बडकर पार्टनर कीइस कार्य मे सहमती हो।
  • बैंक को अच्छी तरह से अपने खंड के साथ खुद को परिचित करना चाहिए और इस कारण वह साझेदारी समझौते की एक प्रति के लिए पूछ सकते हैं।
  • निम्नलिखित युक्त सभी भागीदारों द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र लेना चाहिए बैंकर को:
  • सभी भागीदारों का नाम और पता
  • फर्मों व्यापार की प्रकृति
  • फर्म के नाम से खाता संचालित करने के लिए अधिकृत भागीदारों के नाम।
  • बैंकर को अन्य भागीदारों से पूछताछ करने के बिना एक साथी के निजी खाते में कंपनियों के नाम पर एक जांच में जमा नहीं किया जाना चाहिए।

विपरीत करने के लिए किसी भी अनुबंध के अभाव में, एक साझेदारी फर्म के एक साथी की मौत पर भंग कर खड़ा है। फर्म व्यापार पर ले जाने के लिए जारी है मामले में, मृतक की संपत्ति उनकी मृत्यु के बाद कंपनियों में से किसी भी कार्य के लिए उत्तरदायी नहीं है।

संयुक्त हिंदू परिवार[संपादित करें]

संयुक्त हिंदू परिवार की अवधारणा को कानून द्वारा मान्यता प्राप्त है। यहाँ पर जब हिंदू मर जाता है तो व्ह व्यापार उन्के परिवार के पुरुष सदस्य के नाम मे हो जात है , सब से बडे सदस्य को करता कहते है और छोटे सदस्य को को-पार्सेनर्स कहते है। बैम्क मे खाता खोलते समय दोनों तरहा के सदस्य से हस्ताक्षर लेते है जब वह खात संयुक्त हिंदू परिवार के व्यापार के नाम पर हो। संयुक्त हिंदू परिवार व्यापार समस्या शुरु होता है जब बैंक कर्ज़ा देना होता है, इस व्यापार मे मिथाक्षरा कनून को शासित किया जाता है। यहँ पर जन्म लेने के प्श्चात ही संप्पती पर उनका हख होता है और इसी कारण बैकरों को समस्या होती है कुयंकी कर्ज लौटाते समय अपनी हिस्से को समझ नही पाते। इन ओर् कई अन्य कठिनाइयों से बचने के लिए, कुछ बैंकों जमा पैसे JHF की है कि उसकी स्वयं अर्जित संपत्ति है और ऐसा नहीं है कि इस आशय का एक बयान प्रस्तुत करने के लिए, एक खाता खोलने के एक हिंदू ग्राहक की आवश्यकता है।

  • खाता यह एक JHF है, इसकी कि स्पष्ट रूप से संकेत मिलना चाहिए।
  • संयुक्त हिंदू परिवार पत्र सभी सह पार्सेनर्स द्वारा हस्ताक्षर किया जाना चाहिए।
  • पत्र मे करता के बारे मे स्पष्ट रूप से संकेत मिलना चाहिए।
  • कर्जे के पत्र पर सभी सदस्य के सस्तक्षर जरूरी है।
  • को-पार्सेनर्स के ह्रुत्यू या अस्वसत दिमागी हालत के कारण व्यापार बंद नही हो जाता। यह सिंसिला इसी तरहा चलता रहेगा जब तक संपत्ती क बटवारा नही हो जाता।

संयुक्त स्टाक कंपनियाँ[संपादित करें]

एक संयुक्त स्टॉक कंपनी एक कृत्रिम व्यक्ति है और यह एक अलग कानून है, इस्लिए एक बैंक खाता अपने नाम पर खोला जा सकता है। एक संयुक्त स्टॉक कंपनी या तो एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो सकती है। एक संयुक्त स्टॉक कंपनी के एक खाता खोलने के दौरान निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता है:

  • निगमन सर्टिफिकेट
  • (पब्लिक लिमिटेड कंपनी के मामले में) व्यापार के प्रारंभ प्रमाण पत्र।
  • एसोसिएशन ज्ञापन
  • (चतुर्थ) एसोसिएशन के लेख
  • वार्षिक खातों की प्रतियां
  • कंपनी के बैंक के रूप में संबंधित बैंक की नियुक्ति के संबंध में बोर्ड के संकल्प की प्रमाणित प्रतिलिपि। जो भी कंपनी की ओर से खाता संचालित करने के लिए अधिकृत व्यक्तियों को दिखाता है। संकल्प की बैठक के अध्यक्ष द्वारा हस्ताक्षर किए गए और कंपनी के सचिव द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाना चाहिए। संघ के ज्ञापन कंपनी के मुख्य दस्तावेज़ के रूप में एक कंपनी है कि वह वस्तु से परे कुछ भी किया अगर अल्ट्रा अधीन है और कंपनी के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि बैंकर बहुत ध्यान से यह माध्यम से जाना चाहिए। यह आकर्षित और कंपनी की ओर से आदि चेक, बिल का समर्थन करने की प्रक्रिया को और अधिकार में शामिल है के रूप में बैंकर भी एसोसिएशन के लेख की जांच करनी चाहिए। यह वे अप-टू-डेट कर रहे हैं कि कंपनी से एक पुष्टि के साथ मुद्रित कंपनी के ज्ञापन की प्रतियां और लेख प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।

संयुक्त खाता[संपादित करें]

संयुक्त खाते का मतलब है की जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों के एक खाते । खाते खोलने और संयुक्त खातों के संचालन, जबकि एक बैंकर दृश्य में निम्नलिखित प्रावधानों रखना चाहिए:

  • खाते खोलने के फार्म में केवल उस खाते में रुचि रखने वाले सभी व्यक्तियों द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन प्राप्त करने पर खोला जाना चाहिए।
  • विशेष रूप से खाते संचालित किया जा रहा है कि कैसे करने के लिए स्पष्ट निर्देश युक्त सभी दलों द्वारा हस्ताक्षर किए गए एक जनादेश प्राप्त किया जाना चाहिए। व्यक्ति का नाम का उल्लेखन करना चाहिए।
  • खाते के संचालन के संबंध में निर्देश स्पष्ट रूप से खाता खोलने के फार्म में या हस्ताक्षर कार्ड नमूना में लिखा होना चाहिए ।
  • संयुक्त खाते के एक खाता धारक मर जाता है तो जीवित, खाता धारक के नाम नया खाता खोल सक्ते है।

पति और पत्नी के नाम पर संयुक्त खाता पति और पत्नी के संयुक्त खाते के मामले में अपनी स्थिति अन्य संयुक्त खाता धारकों के उन लोगों से अलग है। खाता उसकी सुविधा के लिए पति द्वारा खोला है जहां संतुलन विधवा ने दावा किया है, लेकिन मृतक की संपत्ति के लिए यह नही किया जा सकता। (एक संयुक्त खाता खोलने के द्वारा) पति के इरादे उनकी असामयिक मौत के मामले में अपनी पत्नी के लिए एक प्रावधान बनाने के लिए किया गया था लेकिन जहां, विधवा धन प्राप्त होगा।

ग्राहक प्रतिनिधी[संपादित करें]

एक व्यक्ति को एक प्रश्न के लिखित और मुद्रांकित दस्तावेज़ द्वारा तीसरे पक्षों के साथ उसकी तरफ से निपटने के लिए अपने वकील के रूप में एक व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है। इस शक्ति (एक ही सौदे में कार्य करने के लिए) जनरल (एक से अधिक लेन-देन में कार्य करने के लिए) या विशेष हो सकता है। वकील की शक्ति ग्राहक की ओर से (यानी खाते का संचालन) चेक पर हस्ताक्षर करने के लिए एक व्यक्ति को अधिकृत कर सकते हैं। बैंकर, ग्राहक के वकील के साथ काम करते हुए सावधानी से वकील की शक्ति के बारे में दस्तावेज की जांच करनी चाहिए। बैंकर संदर्भ के लिए इसके साथ दस्तावेज की एक प्रति रखना चाहिए। यह एक खाते को संचालित करने के लिए बिजली स्वचालित रूप से अधिक निकालने की शक्ति मतलब यह नहीं है कि दृश्य में रखना चाहिए, ऐसी शक्ति विशेष रूप से दी जानी चाहिए। ग्राहक वकील के अधिकार और मौत, दिवाला और प्रिंसिपल के पागलपन की स्थिति में समाप्त खड़ा करने से वकील के अधिकार वापस ले सकते हैं।

ट्रस्टी[संपादित करें]

ट्रस्टी खास व्यक्ति के लाभ के लिए, एक संपत्ति का नियंत्रण है। न्यासियों जनता के पैसे के लिए जिम्मेदार के रूप में एक बैंकर ट्रस्ट खाता संचालन के उद्घाटन में चेतावनी देते इस तरहा है:

  • बैंकर को ट्रस्ट डीड को अक्की तरहा से पडना चाहीए। ट्रसट दस्तावेज़ मेट रस्टी का नाम, उनकी शक्ति, उनकी संपत्ति आदी जानकारी उपलब्द रहता है।
  • अगर एक से अधीख ट्रस्टी हो तो दोनों अपने .जिम्मेदारी को जुडकर निभाए।
  • यदि दो या .ज्यादा ट्रस्टी के नाम एक खाता खुला हो तो बैंक को स्पष्ट निर्देश मिलना चाहिए, जैसे कि कोन-कोन्से ट्रस्टी के हस्ताक्षर होने चाहिए चेक पर और

इस तरहा के निर्देश ना होने पर सभी ट्रस्टी के हस्ताक्षर .जरूरी है

  • किसी एक ट्रस्टी की मृत्यू या निवृत्ति हो जाता है तो शेष न्यासियों की शक्तियां न्यास विलेख के प्रावधानों पर निर्भर करेगा
  • किसी एक ट्रस्टी की मृत्यू या निवृत्ति हो जाता है तो अदालत के द्वारा नए ट्रस्टी को नियुक्त कर सकते है
  • चैरिटेबल ट्रस्ट के मामले में, बैंकर आयुक्त द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र की जांच करनी चाहिए
  • एक से अधिक ट्रस्टी का दिवाला यह ट्रस्टी की व्यक्तिगत ऋण के भुगतान के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता, क्योंकि विश्वास संपत्ति को प्रभावित किसी भी तरह से नहीं करता है।

निष्पादकों और प्रशासकों[संपादित करें]

निष्पादकों और व्यवस्थापकों को बैंक खाता खोलने के लिए अनुमति दी जाती है। निम्नलिखित औपचारिकताएं निष्पादक / प्रशासक के नाम से खाता खोलने के समय कुछ नियम अनुग्रहित कर्नी पडती हैं:

  • एक प्रबंधक को एक प्रोबेट प्रस्तुत करना चाहिए और एक प्रशासक के एक मृतक व्यक्ति का खाता संचालित करने के लिए अपने अधिकार का एक सबूत के रूप में बैंक के लिए "व्यवस्थापक के पत्र को प्रस्तुत करना चाहिए।
  • बैंकर को अच्छी तरह से शक्ति और निष्पादकों / प्रशासकों के कार्यों के साथ खुद को परिचित कराने के लिए प्रशासन की प्रोबेट / पत्र की जांच करनी चाहिए।
  • एक खाता निम्नलिखित शैली में निष्पादक / प्रशासक के नाम से खोला जा सकता है: एबीसी निष्पादकों (या प्रशासक) एक्स की संपत्ति की, मृतक।
  • निष्पादक / व्यवस्थापक का दिवाला उसके (यह आहरित किया गया है, जब तक) खाते को संचालित करने का अधिकार है, लेकिन प्रबंधक के पागलपन को समाप्त कर देगा / व्यवस्थापक) खाते को संचालित करने के अपने अधिकार को समाप्त नहीं किया जाएगा।

सन्दर्भ[संपादित करें]