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                                                         लम्पीस्कीन डीजीज

लम्पीस्कीन डीजीज[संपादित करें]

लम्पीस्कीन डीजीज एक विषाणु है।लम्पीस्कीन डीजीज एक पॉक्स्विरिडे वायरस से होती है।यह प्रमुखहडः तड्थुऔ पर ज्यादा अस्रर क्ररती है।लम्पीस्कीन डीजीज अफ्रीका तथा एशिया मे विख्यात है।यह बिमारी तेजी से पुर्वी देशोँ में फैल रही है। यह एक स्ंक्रमित यह है। यह बीमारी पशुऔ में यह बीमारी खुन चुसने वाले कीडे तथा मच्धरों से फैलती है।लम्पीस्कीन डीजीज का विवरण सबसे पहले जाम्बिया मे १९२९ मे पायी गयी था।यह बीमारी सबसे पहले अफ्रीका तथा केन्या मे १९५७ मे पायी थी।यह बीमारी न्युनतम से अधिकतम कि मात्रा में जा सकती है।नवजात पशुओ पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है। इस बीमारी को तेज बुखार आता है तथ वज़न कम हो जाता है।इसके लक्षणों से रस बीमार्री को पहचानने में गलतफहमी हो सकती है।इस रोग से ग्रसित पशुओं के लिए कोई भी ष्न्टीवाइरल उपचार नही है।

लम्पीस्कीन डीजीज्

रुप-श्रोत[संपादित करें]

     बीमर पशु को अन्य पशुओं के पास से ध्टाकर अपचार के लिए अलग स्थान पर रखा जा सकता है ताकि उन्हे और दुसेर तरह का इन्फेक्श्न उन्हे ना लग सके। इस रोग से बचने के लिए अफ्रीका मे दो तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इजके नाम है नीथलिंग वाय्ररस तथा शीपौक्स वायरगदार वायरस है। वैवसीनेशन ही सबसे असरदार उपाय है पशुओ को इस वीमारी से वचाने के लिट परन्तु बीमारी फैलाने का खतरा बहुत अधिक है।[1]
स्वस्थ गाय्

लक्षण[संपादित करें]

 लम्पीस्कीन डीजीज् एक वाय्ररल रोग मवेशियों को प्रभवित करता है यह विशेष रूप से है कि पह्ले से वायरस के स्ंपक्र में नहीं किया गया है कि पशुओं में, बुखार का कारण बनता है त्वचा पर पिंड और भी मौत हो सकती है। निय्ंत्रण विकल्प टीकाकरर्ण् और स्ंक्रमित जानवरों की लिए नेतृत्व कर सकते है।२०१२ के बाद यह देक्षिण-पूर्व् युरोप के लिए मध्य पूर्व से फैल गया है।बीमारी के आगे प्रसार का खतरा आधिक है।देलेदार त्वचा रोग के ऊष्मायन् अवधि ४ से १४ दिनों मे है।बुखार पहला नैदानिक साइन अवसाद, लार,नाक और अंख के निर्वहन के साथ है।जब बुखार एक दूसरे चरम पर पहुंचता है,फर्म दौर पिड ५ सेमि के व्यास मे उठाया त्वचा की पूरी दारा कवर किया जा सकता है, हालांकि,सबसे आम जगहों पर सिर, गर्द्न,गुप्तांग और पूंछ के तहत कर रहे हैं।गंभीर मामलों में,पिंडे भी  मुंड नाम और कई अन्य आंतरिक अंगों जो ऐके से अत्यधिक लार,क्षसन स्ंकता है अंदर विकसित कर सकते हैं।बहुत कुछ जानवरों लम्पीस्कीन डीजीज् के मर जाते है।कोई उपचार त्वचा रोग लिए उपलब्ध है।

बिमारी का फैलना[संपादित करें]

     यह बमारी काटने वाले कोडों से फैलता है जैसे मच्छर मकिखयॉ,हिरण-मक्खी,टिस टिस मक्खी।यहा रोग ज्यादातर नहि के मुहाने पर फैलता है जहॉ पर ज्यादा मकिखयॉ जमा होति है।हम रोग के विषैले कीटाणु जानवरों के शरोर में काफी दिनों तता चमडी में रह सकते है-जिम्तके चलते यह रोग फिर फैल जाता है।यह बिमारि अफ्रीका महाद्वीप के बाहर भी फैल एकता है-क्यॉकि इस को वजह कीट द्वारा फैलना है।[2]

निणीय[संपादित करें]

     रोग की पहचान उपरोत्र् लश्रणों के आछार पर की जाती है क्योकि गॉंठॉ का आकार-प्रकार वरुप एक विशेष होता है प्रयोगशाला में जॉंच कर डए रोग की पहचान की जा सकती है-यथा चमडी का नमुना लेकर जॉंच करना।बिमारी को प्र्योग के जटिये हम एक इसरे में फैला पकते है-जैसे इषित लार-धूक द्वारा,सम्पके में रोग होना।[3]
  1. http://www.fao.org/docrep/u4900t/u4900t0d.htm
  2. http://www.inspection.gc.ca/animals/terrestrial-animals/diseases/reportable/lumpy-skin-disease/fact-sheet/eng/1311603904855/1329721476114
  3. https://www.msdvetmanual.com/integumentary-system/pox-diseases/lumpy-skin-disease