सदस्य:Jasmeet Kaur Mukar/प्रयोगपृष्ठ/१

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स्वर्ण मंदिर गुरु नानाक गुरुपुरब के दिन

गुरु नानक गुरुपुरब[संपादित करें]

परिचय[संपादित करें]

गुरु नानक गुरपुरब पहले सिख गुरु, श्री गुरु नानक देव जी के जन्म को मनाते हुए गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है । प्रकाश पर्व यानी मन की बुराइयों को दूर कर उसे सत्य, ईमानदारी और सेवाभाव से प्रकाशित करना। यह सिखों में सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है । सिख धर्म में सभी उत्सव १० सिख गुरुओं की वर्षगांठ के आसपास घूमता है । ये गुरु सिखों की मान्यताओं को आकार देने के लिए जिम्मेदार थे । उनका जन्मदिवस, गुरपुरब के रूप में जाना जाता है । सिखों के बीच उत्सव और प्रार्थना के लिए अवसर हैं । गुरू नानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु (आदि गुरु) हैं। इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं । 'गुरू नानक देव' का जन्म १५ अप्रैल, १४६९ को तलवंडी नामक स्थान में हुआ था। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया । उनका जन्म चंद्र माह कार्तिक की पूर्णिमा को हुआ था । सिख पंथ इस कारण से नवंबर के आसपास गुरु नानक गुरपुरब मनाते हैं ।

त्योहार[संपादित करें]

यह उत्सव आम तौर पर सभी सिखों के लिए समान है, केवल भजन ही अलग होते हैं । समारोह आमतौर पर प्रभात फेरी से शुरू होता है । प्रभातफेरी के दौरान कीर्तनी जत्थे कीर्तन कर संगत को निहाल करते हैं। प्रभात फेरी यानी सुबह के जुलूस की शुरुआत करते हुए गुरुद्वारों से शुरू होती हैं और भजन कीर्तन गाते हुए आसपास के इलाकों में से गुजरते हुए वापस गुरुद्वारों मे ही समाप्त होती है । अपनी परंपरानुसार प्रभातफेरी में शामिल स्त्री-पुरुष सफेद वस्त्र एवं केसरिया चुन्नी धारण कर गुरुवाणी का गायन करते हुए चलते हैं। सभी जत्थों का जगह-जगह पर हार-फूल से स्वागत किया जाता है। शाम को दीवान सजाकर शबद कीर्तन का कार्यक्रम भी किया जाता है। सामान्यत: जन्मदिन से दो दिन पहले अखंड पाठ (गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र पुस्तक का ४८ घंटे नॉन स्टॉप पढ़ना) का गुरुद्वारों में आयोजन किया जाता है ।

नगर कीर्तन[संपादित करें]

गुरपुरब के एक दिन पहले एक जुलूस, जिसे कि नगर कीर्तन कहा जाता है, का आयोजन किया जाता है। इस जुलूस की अगुवाई पंज प्यारे करते हैं। वे सिख झंडा, जिसे निशान साहिब के रूप में जाना जाता है और श्री गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों की पालकी से सजे वाहन पर सुशोभित करके कीर्तन विभिन्न जगहों से होता हुआ गुरुद्वारे पहुंचता है। उनके साथ गायकों की टोली द्वारा भजन गायन और भक्तजन वृन्दगान गाते हैं । विभिन्न धुनों के बजाए पीतल के बैंड होते हैं और गतका टीमें विभिन्न मार्शल आर्ट्स के माध्यम से अपनी तलवारो के खेल में कौशल दिखाती हैं और पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल करते हुए नकली लड़ाई करती हैं । जुलूस शहर की सड़कों से जाता है । इस विशेष अवसर के लिए मार्ग को, बैनरो और द्वारों को झंडे और फूलों द्वारा स्वागत के लिए सजाया जाता है । इस अवसर पर गुरुद्वारे के सेवादार संगत को गुरु नानक देव जी के बताए रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। श्री गुरु नानकदेव महाराज महान युगपुरुष थे। नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में समर्पित कर दिया।

गुरुपुरब[संपादित करें]

गुरुपुरब के दिन, सुबह लगभग ४ से ५ बजे के बीच में समारोह शुरू होता है। इस समय को अमृत वेला कहा जाता है। दिन सुबह भजन गायन के साथ शुरू होता है। इसके बाद गुरु की स्तुति में कथा और कीर्तन का संयोजन किया जाता है। इसके बाद ही लंगर जो कि दोपहर का भोजन होता है वितरिहत किया जाता है, जिसे स्वयं सेवकों द्वारा गुरुद्वारों में व्यवस्थित किया जाता है। सांप्रदायिक दोपहर के भोजन के पीछे का विचार है कि जाति, वर्ग या पंथ के बावजूद हर किसी को सेवा की भावना और भक्ति में भोजन की पेशकश की जानी चाहिए। रात्रि प्रार्थना भी कुछ गुरुद्वारों में आयोजित की जाती है, जो सूर्यास्त से शुरू होती है, फिर रहरास साहिब (शाम की प्रार्थना) का पाठ पढ़ा जाता है, उसके बाद रात में देर तक कीर्तन होते है । संगति सुबह १:२० गुरबाणी गायन करते है, जो जन्म का वास्तविक समय है गुरु नानक देव जी का समारोह लगभग २ बजे सुबह समाप्त होता है । 'भगवान एक है। एक ही गुरु है और कोई नहीं। जहां गुरु जाते हैं, वह स्थान पवित्र हो जाता है'। भगवान को याद करने, मेहनत से कमाई करने और उसके बाद बांट के खाने का संदेश दुनियाभर में देने वाले ऐसे ही गुरु को सिख समुदाय उनकी जयंती पर याद करता है। यह पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है। गुरु नानक गुरुपुरब को पूरे विश्व में सिख समुदाय द्वारा मनाया जाता है और सिख कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह समारोह विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ और बाकी राज्यों मे भी यह गुरुपुरब भव्य रुप व धूम-धाम से मनाया जाता है ।

संदर्भ[संपादित करें]

[1] [2]

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Guru_Nanak_Gurpurab
  2. https://www.ndtv.com/india-news/guru-nanak-jayanti-gurpurab-2017-importance-and-significance-of-the-day-1770914