सदस्य:Jai Baba Dhundeshwer Mahadev

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[1]देवों के देव-महादेव

आज हम बात करेंगे देवों के देव-महादेव जिसका संबंध भी शिव की एक दिव्य शक्ति से है । यह हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा (Kangra) जिले में नेकेड खड्ड के तट पर कसेटी (Kaseti) नाम का एक छोटा सा गांव स्थित है । नेकेड खड्ड (Naked khadd) कसेटी (Kaseti) से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |

Jai Baba Dhundeshwer Mahadev

कहते हैं जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा हो, महादेव के दर्शन मात्र से वो सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं. देवों के देव-महादेव अपने भक्तों के दुखों के साथ काल को भी हर लेते हैं और मोक्ष का वरदान देते हैं, इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है । चाहे ग्रहों की बाधा हो या फिर कुछ और, मृत्युंजय महादेव के मंदिर में दर्शन कर सवा-लाख मृत्युंजय महामंत्र के जाप से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है और यदि कोई भक्त लगातार 16 सोमवार यहां हाजिरी लगाए और त्रिलोचन के इस रूप को माला फूल के साथ दूध और जल चढ़ाए तो उसके जीवन के कष्टों का निवारण क्षण भर में हो जाता है.

महादेव के इस दिव्य धाम के पीछे एक कथा भी है…

बहुत समय पहले की बात है कसेटी गांव प्रेम सिंह नाम का एक किसान था उसके पास बहुत खेत थे वो अपने खेतो में बहुत ही मेहनत से काम करता था | उस के दो बेटे थे । बड़े बेटे का नाम वीर सिंह और छोटे बेटे का नाम दूलो राम सिंह है | प्रेम सिंह पास बहुत सारे जानवर भी थे, प्रेम सिंह को अपने जानवरों से बहुत प्यार था इसलिए उसने अपने घर में बहुत सारी गाय और भैंस पाल रखी थीं। वो अपने खेत में और दूध बेचकर वह अपना जीवन व्यतीत करता था । प्रेम सिंह के घर से नेकेड खड्ड (Naked khadd) 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | हर रोज वो अपनी गाय और भैंस चराने के लिए नेकेड खड्ड ले जाया करते थे

कहा जाता है कि नेकेड खड्ड के किनारे एक बड़ी चट्टान के ऊपर एक पत्थर था और प्रेम सिंह की गाय हर रोज सुबह और शाम जाकर इस पत्थर पर दूध चढाती थी और जब गाय दूध चढाती थी तो उसके चारों ओर धुंध - सी छा जाती थी, एक दिन गाय को कुछ लोगो ने ऎसा करते देख लिया और वे लोग इस पत्थर के पास गए, वहाँ जाकर देखा की वो पत्थर नहीं है वो तो एक शिवलिंग है | और लोगों ने आपस मे एक - दूसरे से बातचीत करके ये निर्णय लिया क्यों ना इस शिवलिंग को अपने गाँव ले लिया जाये, सभी लोगो ने माथा टेका और वो लोगो उस शिवलिंग को अपने गांव (मानगढ़) में ले की तैयारी करने लगे | उन लोगो ने एक पालकी तैयार की ओर शिवलिंग को ले जाने लगे, जैसे-जैसे उन लोगों ने 2 किलोमीटर की दूरी तय कर ली फिर जैसे-2 अपना कदम बढ़ाने लगे तो शिवलिंग का भार बढ़ने लगा, भार ना संभालने के कारण लोगो ने शिवलिंग को भूमि पर रख दिया और विश्राम करने लगे | विश्राम करने के बाद वो लोग शिवलिंग को उठाने का काफी प्रयास करते रहे, लेकिन असफल रहे । तभी उनका एक रूप यहां प्रकट हुआ, इस बाद में इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया गया । तब से लेकर आज तक होली के 5 दिन पहले प्रेम सिंह अपने घर सभी गाँव के लोगो को निमंत्रण दे कर भोजन करवाते थे । प्रेम सिंह की मृत्यु होने के बाद अब ये रीत उनके दोनों बेटे निभाते आ रहे है………….

यहां हर साल होली, महाशिवरात्रि और सावन आदि में भोले के भक्तों की भारी भीड उमड पडती है। बताया जाता है कि यदि कोई भक्त अपनी मुरादें लेकर यहां आता है तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. तब से लेकर आज तक यहां आने वाला कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटा. भोलेनाथ ने अपनी कृपा से अपनी शरण में आने वाले हर भक्त की झोली भर दी और दे रहे हैं मोक्ष का वरदान….. इस मंदिर में मुख्य रूप से 2 बार आरती होती है और प्रसाद में इन्हें फल व दूध के साथ दही का भोग लगता है.

Jai Baba Dhundeshwer Mahadev Mandir Location, Temple Opening, Aarti Timing Details….. Location: Vill - Kaseti, P.O- Paisa, Dehra Gopipur, Kangra, HP-177101 Locality Name : Paisa Khas ( पैसा खास ) Tehsil Name : Dehra Gopipur District : Kangra State : Himachal Pradesh Language : Hindi and Kangri Pin Code : 177101 Post Office Name : Paisa (Dehra Gopipur) Opening Timing: Morning - 04:00 AM to 12:00 PM, Evening - 04:00 PM to 9.00 PM. Aarti Timing Morning Aarti - 07:00 AM, Evening Aarti: Depend on sunset timing (between 05:30 PM to 7:30 PM).

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  1. Anu, Mehta. "Jai Baba Dhundeshwer Mahadev". http://khaspaisa.blogspot.com. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)