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इरविन श्रोडिंगर
Erwin Schrodinger at U Vienna
Memorial plaque for Erwin Schroedinger in Vienna

इरविन रुडोल्फ अलेक्जेंडर श्रोडिंगर का जन्म १२ अगस्त १८८७ को हुआ। इसका नाम कभी-कभी इरविन श्रोडिंगर लिखा जाता है। वे आस्ट्रिया के एक भौतिक विज्ञानी था जो एक नोबल पुरस्कार विजेता भी था। उन्होंने क्वांटम सिध्दांत के क्षेत्र में मौलिक परिणामों की एक संख्या विकसित की जो लहर यांत्रिकी के आधार का गठन किया। उन्होंने लहर समीकरण तैयार की, और रीतिवाद और मैट्रिक्स यांत्रिकी के अपने विकास की पहचान का पता चला। श्रोडिंगर लहर समारोह के भोतिक अर्थ की एक मूल व्याख्या का प्रस्ताव रखा।

इसके अलावा उन्होंने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अनेक लेखन कार्य भी किया। साख्यिकीय यांत्रिकी और ऊष्मा, डैएलेकट्रीस के भौतिक विज्ञान, रंग सिध्दांत, विद्युत, सामान्य सापेक्षता और ब्रहमाण्ड विज्ञान, और वह एक एकीकृत क्षेत्र सिध्दांत के निर्माण केलिए कई प्रयास किए। अपनी पुस्तक, "जीवन क्या है?" में श्रोडिंगर भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जीवन की घटना को देख, आनुवंशिकी की समस्याओं को संबोधित किया। उन्होंने विज्ञान, प्राचीन और प्राच्य दार्शनिक अवधारणाओं, नैतिकता के दार्शनिक पहलुओं को काफी ध्यान दिया है, और धर्म, दर्शन और सैध्दांतिक जीव विज्ञान पर भी लिखा था। वह अपने 'श्रोडिंगर बिल्ली' सोचा प्रयोग के लिए भी जाना जाता है।

जीवनी[संपादित करें]

प्रारंभिक वर्षों[संपादित करें]

१२ अगस्त १८८७ को, श्रोडिंगर, ऑस्ट्रिया के वियना में इनका जन्म हुआ। उनका पिता रुडोल्फ श्रोडिंगर और माता जॉर्जिन एमिलिया ब्रेंडा थी। जॉर्जिन एमिलिया ब्रेंडा, रसायन विज्ञान के प्रोफेसेर, अलेक्जेंडर बॉयर की बेटी थी। इस दंपति का इकलौता पुत्र था इरविन श्रोडिंगर।

उनकी माँ आधा ऑस्ट्रिया और आधा अंग्रेजी वंश का था। उसके पिता कैथोलिक था और उसकी माँ लूथर्वादी था। एक धार्मिक घर में बडा होने के बावजूद वह खुद को एक नास्तिक बुलाया। हालाँकि,उन्होंने कहा, पूर्वी धर्मों में देवपूजा मज़बूत हितों की थी और अपने काम में धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी वैज्ञानिक काम एक प्रतीकात्मक अर्थ में यद्यपि देवत्व केलिए माना जाता है।

वह भी स्कूल के बाहर अंग्रेज़ी सीखने केलिए सक्षम था क्योंकि उसकी नानी ब्रिटीश था। १९०६ और १९१० के बीच में श्रोडिंगर फ्रांज़ एस एक्स्नेर (१८४९-१९२६) और फ्रेडरिक हेस्नोरिल (१८७४-१९१५) के तहत वियना में अध्ययन किया। उन्होंने कार्ल विल्हेम फ्रेडरिक 'फ्रिट्ज' कोहर्लाष के साथ भी प्रयोगात्मक कार्य का आयोजन किया।

१९११ में श्रोडिंगर, एक्सनेर का एक सहायक बन गए। कम उम्र में ही श्रोडिंगर आर्थर सॉफिन्होर से काफी प्रभावित था। सॉफिन्होर के काम के बारे में जाता पढने के कारन श्रोडिंगर रंग सिध्दांत और दर्शन में काफी प्रभावित हो गया। उसके व्याख्यान 'मन और पदार्थ' में उन्होंने कहा, "दुनिया, स्थान और समय में बढाया है, लेकिन हमारे प्रतिनिधित्व में"। यह सॉफिन्होर के मुख्य काम की पुनरावृत्ति थी।

मध्य वर्षॉं[संपादित करें]

१९१४ में इरविन श्रोडिंगर हाबिलिटेशन(वेनियालेगेन्डी) हासिल की। १९१४ और १९१८ के बीच वह ऑस्ट्रिया के किले तोखाने(गोरिजीया, डुयीनो, सिस्टीना, प्रोसेक्को, वियना) में एक कमीशन अधिकारी के रूप में युद्ध के काम में भाग लिया। १९२० में उन्होंने जेना में मैक्स वियेना के सहायक बन गया और सितंबर १९२० में उन्होंने असोसियेट प्रोफेसर के स्थान प्रास किया। यह स्टटगार्ट में रीडर(ब्रिर्टन) या एसोसिएट प्रोफेसर(अमेरिका) के बराबर था। १९२१ में वह एक पूर्ण प्रोफेसर बन गया।

१९२१ में, वह ज्यूरिख विश्वविद्यालय में गया। १९२७ में उन्होंने बर्लिन में फ्रेडरिक विल्हेम विश्वविद्यालय में मैक्स प्लैंक सफल की। १९३४ में, हालांकि, श्रोडिंगर जर्मनी छोडने का फैसला किया; वह नाजियों के 'सेमेटिक' नापसंद किया। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में मागडलेन कॉलेज के एक साथी बन गया। उसके वहाँ आने के तुरंत बाद, उन्हें पॉल डिराक के साथ नोबल पुरस्कार प्रास हुआ। ऑक्सफोर्ड में उनकी स्थिति अच्छी तरह नहीं थी; अपने अपरंपरागत घरेल व्यवस्था, दो महिलाओं के साथ एक ही क्वार्टर में रहना ठीक नहीं लगा। १९३४ में, श्रोडिंगर ने प्रिंसटन विश्वविद्यालय में पढाया। उन्हें उधर स्थिरीकरण का मोका मिला। लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। फिर, उसकी इच्छा अपनी पत्नी के साथ घर स्थापित करने के लिए थी लेकिन उसकी उपपत्नी ने एक समस्या पैदा की। उन्होंने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में एक अच्छी पदवी मिलने की संभावना थी, लेकिन वीज़ा में देरी हुई; उन्होंने १९३६ में ऑस्ट्रिया के ग्राज़ विश्वविद्यालय में एक स्थान ले लिया। उन्होंने भारत के इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक अच्छा पद का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। १९३५ में इन कार्यकाल के मुह्दों के बीच में, अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ व्यापक पत्राचार के बाद, वह अब के श्रोडिंगर बिल्ली सोचा प्रयोग का प्रस्ताव रखा।

आगामी वर्षों[संपादित करें]

१९३८ में, अनषलस के बाद, श्रोडिंगर को कुछ समस्याओं का सामना करना पडा, क्योंकि १९३३ में उन्होंने जर्मनी से भाग गया था और वह फासिज़्म के विरुध्द था। लेकिन बाद में उन्होंने फासिज़्म के अनुकूल एक बयान दिया(बाद में उन्होंने एसा करने पर अफसोस जताया और व्यक्तिगत रूप से आइंस्टीन से माफी मांगी)। लेकिन इससे नई व्यवस्था पूरी तरह खुश नहीं था और ग्राज़ विश्वविद्यालय राजनैतिक अविश्वसनीयता के लिए अपनी नौकरी से उसे निकाल दिया। उसको उत्पीडन का सामना करना पडा और देश न छोडने का निर्देश मिला। लेकिन वह अपनी पत्नी के साथ वहाँ से पलायन करके इटली पहुँचा। वहाँ वह ऑक्सफोर्ड और गेन्ट विश्वविद्यालय में पदों का दौरा करना शुरू किया।

उसी वर्ष उसे आयरलैंड के टौसीच,ईमोन डी वालेरा से निमंत्रण मिला कि वह वहाँ जाकर रहें और डबलिन में एडवांस्ड स्टडीज़ के लिए एक संस्थान की स्थापना करने में मदद करें। वह वहाँ से डबलिन के क्लोन्डार्फ गया और १९४० में सैध्दांतिक भौतिकी स्कूल के निदेशक बन गया। वह व्हाँ पर १७ साल रहा। वह १९४८ में एक देशीयकृत आयरिश नागरिक बन गया, लेकिन उनके ऑस्ट्रियाई नागरिकता बनाकर रखा। उन्होंने एकीकृत क्षेत्र सिध्दांत के बारे में उनकी अन्वेषणों सहित, विभिन्न विषयों पर लगभग ५० लेखनियाँ लिखी।

१९४४ में उन्होंने "जीवन क्या है?" लिखा जिस में नेगनट्रोपी की चर्चा और जीवों में आनुवंशिक कोड तथा एक जटिल अणु की अवधारणा के शामिल होने के विषय पर लिखा था। श्रोडिंगर को अपने पूरे जीवन में हिन्दू धर्म की वेदांत दर्शन में रुचि थी। १९५६ में वह वियेना में लौट आया। वहाँ के विश्व ऊर्जा सम्मेलन के दौरान परमाणु ऊर्जा पर बात करने से वह इनकार कर दिया और इसके बजाय एक दार्शनिक व्याख्यान दिया। इस समय श्रोडिंगर ने मुख्यधारा क्वांटम यांत्रिकी लहर कण द्व्ंद्व्ं से बदल दिया और सिर्फ लहर विचार को बढावा दिया। यह काफी विवाद पैदा कर रहा था।

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

६ अप्रैल १९२० को श्रोडिंगर आनमेरी ब्रेटेल(आनी) से शादी कर ली। श्रोडिंगर को टीबी की बीमारी आ गई, इसलिए १९२० के दशक में कई बार अस्पताल में रहना पडा। इस समय उन्होंने अपने लहर समीकरण तैयार की।

४ जनवरी १९६१ को, वियना में श्रोडिंगर का निधन हो गया। उस समय उसकी आयु ७३ वर्ष थी। ऑस्ट्रिया के अलबाक में एक कैथोलिक कब्रिस्तान में उसको दफनाया गया। वह कैथोलिक नहीं था लेकिन कब्रिस्तान के पुजारी को पता चला कि श्रोडिंगर पोन्तीफिकल एकेडमी ऑफ साइंसेज का एक सदस्य था। इसलिए उसको उस कब्रिस्तान में दफनाया गया। ३ अक्दूबर १९६५ को उसकी पत्नी आनी क निधन हो गया।

वैज्ञानिक गतिविधियाँ[संपादित करें]

प्रारंभिक गतिविधियाँ[संपादित करें]

अपने जीवन के प्रारंभिक काल में श्रोडिंगर ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, वायुमंडलीय बिजली और वायुमंडलीय रेडियोधर्मिता के क्षेत्र में प्रयोग किया है, लेकिन वह अकसर अपने पूर्व शिक्षक फ्रांज एक्सनेर के साथ काम किया। उन्होंने कंपन सिध्दांत, ब्राउनियन आंदोलन के सिध्दांत और गणितीय आँकडों का भी अध्ययन किया। १९१२ में विद्युत चुंबकत्व की पुस्तिका के संपादकों के अनुरोध पर श्रोडिंगर ने डैइलेक्ट्रिस्म शीर्षक से एक लेख लिखा था। उसी वर्ष उन्होंने रेडियोधर्मी पदार्थों के संभावित ऊँचाई वितरण पर एक सैध्दांतिक अनुमान दिया, जिसमें रेडियोधर्मिता की व्याख्या करने की आवश्यकता है। १९१३ अगस्त में उन्होंने ज़ीहेम में अनेक प्रयोग कर डाला। इस काम के लिए १९२० में श्रोडिंगर को हेयटिंगेरा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १९१४ में युवा शोधकर्ता के द्वारा, केशिका गैस के बुलबुले में दबाव और धातु की सतह पर गामा किरणों के पतन में प्रदर्शित होने के नरम बीटा विकिरण के फार्मूले जाँच किया गया। अपने अंतिम काम उन्होंने अपना दोस्त फ्रिट्स कोहलोष के साथ किया। १९१९ में श्रोडिंगर ने सुसंगत प्रकाश पर अपना अंतिम भौतिक प्रयोग किया और बाद में सैध्दांतिक पढाई पर ध्यान केंद्रित किया।

क्वांटम यांत्रिकी[संपादित करें]

नए क्वांटम सिध्दांत[संपादित करें]

अपने कैरियर के पहले साल में श्रोडिंगर मैक्स प्लैंक, अल्बर्ट आंइस्टीन, नील्स बोर, अर्नाल्ड सोमरफील्ड आदि के काम से विकसित क्वांटम सिध्दांत के विचारों के साथ परिचित हो गया। यह ज्ञान उसे सैध्दांतिक भौतिकी में कुछ समस्याओं पर काम करने में सहायक हो गया। लेकिन उस समय के ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक शास्त्रीय भौतिकी के पारंपरिक तरीकों से विचलित होने के लिए तैयार नहीं थे।

१९२० के बाद ही श्रोडिंगर के परमाणु सिध्दांत और स्पेक्ट्रा के सिध्दांत के बारे में पहली प्रकाशनों उभरने लगे। यह सोम्मरफेल्ड और वोल्फगैंग पाउली के साथ व्यक्तिगत परिचय होने के बाद और जर्मनी जाने के बाद ही संभव हुआ था। १९२१ में श्रोडिंगर ने क्षार धातुओं के स्पेक्ट्र पर इलेक्ट्रॉनों के प्रभाव की रूपरेखा के बारे में अपनी पहली लेख समाप्त किया। उसे करने के लिए विशेष ष्याज की क्वांटम सिध्दांत में आपेक्षिकीय विचार की शुरुआत थी। १९२२ के शरद ऋतु में गणितज्ञ हर्मन वेय्ल द्वारा विकसित तरीकों का उपयोग करके ज्यामितीय बिंदु से एक परमाणु में इलेकट्रॉन कक्षाओं का विश्लेषण किया। इस में यह दिखाया गया था कि क्वांटम कक्षाएँ निश्चित ज्यामितीय गुणों के साथ जुडे हैं; यह लहर यांत्रिकी के कुछ गुणों के बार में भविष्यवाणी करने में एक महत्वपूर्ण कदम था। इससे पहले इसी वर्ष उन्होंने प्रकाश क्वांटा और ऊर्जा और गति के विचार की परिकल्पना पर आधारित वर्णक्रमीय लाइनों के लिए आपेक्षिकीय डॉपलर प्रभाव की श्रोडिंगर समीकरण बनाया। उनको अपने अध्यापक एक्सनेर के सांख्यिकीय प्रकृति के संरक्षण कानून बहुत पसंत आया। इसलिए उन्होंने उत्साहपूर्वक बोर, क्रामेर्स और स्लेटर लेखों को गले लगा लिया।

लहर यांत्रिकी के सृजन[संपादित करें]

१९२६ जनवरी में श्रोडिंगर ने अनालेन डेर फिसिक पत्रीका में लहर यांत्रिकी के समीकरण और रूप परिमाणीकरण जो आज श्रोडिंगर सिध्दांत के नाम से जाना जाता हैं, एक ऐजन वाल्यू समस्या के रूप में प्रकाशित किया। यह पत्र बीसवीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक के रूप में मनाया जाता है। यह क्वांटम यांत्रिकी और भौतिक और रसायन विज्ञान के सभी क्षेत्रों में एक क्रांति पैदा कर दिया। सिर्फ चार हफ्ते बाद एक दूसरा कागज़ प्रस्तुत की जिस में क्वांटम हार्मोनिक थरथरानवाला, कठोर रोटर, और व्दिपरमाणुक अणु समस्या का हल करके श्रोडिंगर समीकरण का एक नया व्युत्पत्ति दिया था।

विरासत[संपादित करें]

श्रोडिंगर के बिल्ली द्वारा उठाए गए दार्शनिक मुद्दों पर आज भी लोकप्रिय विज्ञान के क्षेत्र में बहस हो रही है। जबकि श्रोडिंगर समीकरण तकनीकी स्तर पर उनकी सबसे स्थायी विरासत है। आज तक श्रोडिंगर क्वांटम यांत्रिकी के पिता के रूप में जाना जाता है। चंद्रमा के उस पार के बडा गड्ढा उसके नाम पर है। गणितीय भौतिकी के लिए इरविन श्रोडिंगर इंटरनाशनल इंस्टीट्यूट १९९३ में वियना में स्थापित किया गया था।

१९८३-१९९७ के ऑस्ट्रिया १००० शिलिंग नोट, श्रोडिंगर के चित्र के साथ डिज़ाइन किया था, जो मुख्य विशेषता थी। आयरलैंड में, लिमरिक विश्वविद्यालय के एक इमारत उसके नाम पर है। बर्लिन में 'अडलेरषोफ' पर 'इरविन श्रोडिंगर ज़ेन्टूम' उसके नाम पर है। श्रोडिंगर का १२६ वां जन्मदिन की सालगिरह एक गूगल डूडल के साथ मनाया गया।

सम्मान और पुरस्कार[संपादित करें]

  • भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार(१९३३)- श्रोडिंगर समीकरण तैयार करने के लिए
  • मैक्स प्लैंक पदक(१९३७)
  • रॉयल सोसाइटी के विदेशी सदस्य में निर्वाचित(१९४९)
  • विज्ञान के ऑस्ट्रियाई अकादमी के इरविन श्रोडिंगर पुरस्कार(१९५६)
  • विज्ञान और कला के लिए ऑस्ट्रियाई सजावट(१९५७)

श्रोडिंगर बिल्ली उनके सम्मान में नामित किया गया है, यह भी इरविन श्रोडिंगर के नाम पर रखा चीज़ों की सूची देखें।

संदर्भ[संपादित करें]

1.http://www.deutsche-biographie.de/sfz106819.html
2.https://books.google.co.in/books?id=m-YF1glKWLoC&pg=PA194&lpg=PA194&hl=en#v=onepage&q&f=false
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Biographical_Memoirs_of_Fellows_of_the_Royal_Society