सदस्य:Edwinlock77/प्रयोगपृष्ठ

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मजापहित्

मजापहित राज्य १२९३ म॓ं राजा ऱाड॓न विजया द्वारा स्थापित की गयी थी।<ref>https://www.britannica.com/place/Majapahit-empire</ref> आर्या विराजा की मदद के साथ इस राज्य की निर्मान हुई। राडेन विजया के शासनकाल में आर्या विराजा ने पूर्वी मजापहित के भरन किये। राडेन विजया का बेटा जयनगर उस्के वारिस बनी और आर्या विराजा का बेटा नम्बि को हराकर पूर्वी और पश्चिम जावा को मिल्वाया। मजापहित साम्राज्य मलय द्वीपसमूह के प्रमुख हिन्दु साम्राज्य की आखिरी और सब्से बडे राज्यों में एक माना जाता हे। इस साम्राज्य इन्डोनेशिया में स्थिति करते हे।<ref>http://www.globalsecurity.org/military/world/indonesia/history-majapahit.htm<ref>इस राज्य का प्रभाव पूरा इन्डोनेशिया पर पडी हे। मजापहित का अधिकार संघर्ष के कारण गिरावट की अवधि में प्रवेश किया। राजा हायाम वुरुक के बाद राजकुमारी कुसुमवर्धिनी उन्के रिश्तेदार राज्कुमार विक्रमवर्धना को विवाह किया। उसी समय पर राजा हायाम के बेटे विराभुमि ने भी सिंहासन के लिये उन्से लडे। इस्के कारण पराग्रेग युध हुआ जिस्में राजा विक्रमवरधना ने विराभुमि को हराया। विराभुमि के हार के बाद पूर्वी कोर्ट को पश्चिम कोर्ट के साथ मिलाया गया। १४०५ में पश्चिम स्थल को चीनी प्रभाव पडा। उत्तरी तट में भी जावेनीस भरण से मुक्त किया गया।


विक्रमवर्धना के बाद मजापहित को उन्की पुत्री सुहित ने देखबाल किये , सन १४२६ में। १४२६ से १४४७ तक सुहित मजापहित की रानी बनी। वह विक्रमवरधना की उपपत्नी द्वारा हुई दूसरी बच्छी थी। सुहित के शासनकाल में ब्लाम्बिनगन के साथ एक युध हुई थी। विराभुमि को सुहित के पापा के साथ विरोध थी इस बारे में। इस्लिये वह सुहित को मजापहित की रानी नही बन्वाना चाह्ती थी। ब्लाम्बिनगन को राजा बन्वाने के लिये विराभुमि ने अनेक बार प्रयत्न किये थे। इस्की वजह से सुहित और ब्लम्बिनगन के बीच युध हुई। अंत में सुहित ब्लम्बिनगन को हराया और विराभुमि की हत्या की जो उस्की पापा से नही हो पाये। सुहित ने अप्नी कार्यनिर्वाहण अच्छी तरह से किया और मजापहित राज्य का शोभा और नाम बढाया। उस्ने १४५१ तक मजापहित का शासन किया। सुहित के मरने के बाद केरातविजया ने मजापहित राज्य को सम्भाला। केरातविजया मरने के बाद भ्रे पमोट्न औपचारिक नाम राजवरधना के साथ एक राजा और कहुरिपन पर शासन किया हो जाता हे। १४५३ में उन्की म्रुत्यू हो गयी । उस्के बाद तीन वर्षों तक के लिये मजापहित आन्तरिक रूप से कम्जोर हो गया और १४५६ में, भ्रे वेंनगकर एक नेता के रूप में मजापहित के शासन किये। वह केरातविजया के बेटे थे। १४६६ में उन्के निधन के बाद सिंघविक्रम्वर्धना से सफल रहा। १४६८ पर अचानक हम्ला किया और केरातभूमी मजापहित के राजा के रूप में खुद के बढावा दिया। उन्के बाद रनविजया १४७४ में सफल रहा। १४७८ में उस्ने केरातभूमी विजय प्राप्त की और मजापहित, जो विभाजित किया गया था, एक राज्य में लाया। रानाविजया औपचारिक नाम गिरिन्द्रवर्धना १५१९ ईस्वी १४७४ इस्स्वी से खारिज कर दिया। फिर भी, मजापहित की स्थिति में कयी और कम्बे समय तक चल्ने परिवार के संघर्ष से पह्ले ही सदा हुआ और उत्तर तटीय जावा में छोटे रायोंड् की बढती के द्वारा बढाया।

तुलुनगगुंग रीजेन्सी में पाया गया एक उल्लेखनीय स्मारकीय मूर्तिकला, पूर्वी जावा की रानी सुहित के रूप में कुछ लेखकों द्वारा पहचान की गयी हे। वह शाहि पोषाक में तैयार हे, हार, कंगन, पायल, और पेंडंट से देख सक्ते हे। उस्के दाहिने हाथ में, वह एक कमल कलिल जो परिवर्तन में म्रुतक रायल्टि का प्रतीक मान्ती हे।