सदस्य:Dixit parth

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कुछ आधुनिक सोच के व्यक्ति/कम्युनिस्ट, राष्ट्र को तोड़ने के लिए, धर्म को खंडित करने के लिए झूठे तथ्यों के साथ ब्राह्मणों को पाखंडवाद की जड़ बता रहे है।

पहली बात तो सनातन धर्म अनुसार कोई जन्म से ब्राह्मण नहीं होता कर्म से ब्राह्मण होता है।

दूसरी बात अाज लगभग 90% जो कथित साधू-संत बनकर दुनिया को ठग रहे है वह ब्राह्मण जाति से नहीं है जैसे आशाराम, रामपाल, रामरहीम, निर्मल बाबा आदि।

तीसरी बात आप कितने ही गाँवों में भक्त की उपाधि प्राप्त व्यक्तियों को देखते होगे कोई महाकाली का भक्त, कोई बालाजी का, कोई पीर का, कोई ख्वाजा का आदि-आदि। इनमें से 95% व्यक्ति गैर ब्राह्मण जाति के है। जो पाखंडवाद के मुख्य कारक है। तो सोचने वाली बात जब पाखंड फैलाने वालों में ब्राह्माण जाति के व्यक्ति नाममात्र है तो उन्हें टारगेट क्यों किया जा रहा है।

दरअसल जो ब्राह्माण जाति के व्यक्ति कर्म-पाठ करते है वे तो केवल फेरे, हवन-यज्ञ, ज्योतिष विद्या तक सीमित है उनका पाखंड से कोई लेना देना नहीं।

फिर ब्राह्माणों को टारगेट करके झूठी टिप्पणियाँ क्यों की जा रही है इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश चल रही है।

पहले होता था ये कम्युनिस्ट हिंदू धर्म को सीधे टारगेट करते रहते थे जिसके विरोध में सभी जातियाँ मिलकर इनके कुतर्कों का खंडन करती थी लेकिन अब ये सिर्फ ब्राह्मणों को टारगेट करते है तो दुसरी जातियाँ सोचती है कहने दो जो कहा जा रहा है हमारी जाति को थोड़ी कहा जा रहा।

दूसरा ब्राह्माण हमेशा से शाँतिप्रिय रहे उन्हें लड़ाई - झगड़े से बचे रहना ही अच्छा लगता है जिसके कारण कम्युनिस्टों को पता है ब्राह्मण कभी भी उग्र होकर जवाब नहीं देंगे लेकिन ये कम्यूनिस्ट अब तक यदि किसी वाल्मीकि, जाट, राजपूत, गुर्जर को सीधे टारगेट करते तो ये दो दिन नहीं जी पाते क्योंकि ये जातियाँ उग्र होकर इनका सफाया कर चुकी होती।

हमे एकजुट होने की आवश्यकता है कोई किसी भी जाति का अपमान करे, अभद्र टिप्पणी करे तो हमें यह नहीं सोचना की मुझे या मेरी जाति को थोड़ी कुछ कहा जो मैं इसे जवाब दूँ बल्कि उसे तुरंत जवाब देना चाहिए बेसक वह दुष्ट आपकी जाति का व्यक्ति क्यों ना हो।

॥ वन्दे मातरम् ।।