सदस्य:Dhriti98/प्रयोगपृष्ठ
व्यक्तित्व जीवन[संपादित करें]
अल्पना मिश्रा का जन्म १८ मई १९६९ मै हुआ। उनका जन्म आजमगढ , उत्तर पृदेश मै हुआ । वे कहानी और उपन्यास लिखती है । उन्होने हिन्दी मै एम ए , पी एच डी किया है ।अल्पना मिश्रा दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग मै एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर है । वह हिन्दी के महान लेखको मै एक है और उन्होने हिन्दी के कला को और खूबसुरत बनाने के लिये अपना योगदान दिया है ।
मुख्य क्रितीयाँ[संपादित करें]
उनकी कहानीयॉ है - भीतर का वक्त ,छावनी मै बेघर ,कबृ भी कैद औ जंजीरे भी ।अन्हियारै तलछतट मै चमका उनके द्वारा रचित उपन्यास है ।कुछ कहानीयां पन्जाब ,बंगाल ,मलयालम ,जापानी , रूसी आदि मै लिखी है [1]
पुरस्कार व सम्मान[संपादित करें]
उन्हे शैलेश मटियानी स्मृति सम्मान (२००६) , परिवेश सम्मान (२००६) , रचनाकार स्म्मान (२००८) ,शक्ति सम्मान (२००८) मिले है ।
परिवारिक जीवन[संपादित करें]
अल्पना मिश्र जी का जन्म एसे परिवार में हुआ था जहां विद्वता, ग्यान और किताबें चारों तरफ थी। वह अधिक से अधिक पढने क सहज किया करती थी। और फिर वह जिस बसती से थी वहां से कई प्रसिद्ध प्रतिभाए निकली हैं। छोटी उम्र में अन्यायें का विरोध करने के लिए जब उन्होनें अपनी पहली कविता लिखी तो उनके परिवार वाले अतिरिक्त रूप से खुश हो गए थे और उन्हे आगे लिखने का प्रोत्साहन भी दिया था। पर लेखिका के लिये कठिनाई यह हुई की उनकी इस गंभीर कविता को लोग मनोर्ंजन के रूप में देख रहे थे। परिवार और नौकरी की जिम्मेदारी से बेहद घिरि रहने के बावजूद लेखिका हर रात ऊपन्यास लिख लिख कर रात बिताती है । वह अधिक से अधिक पढ्ने का सहज करती थी । पति के फौज मै होने के बावजूद लेखिका खुद नौकरी कर घर चलाती थी और फौज की कई सुविधओ को छोडा भी था । उन्होने अपने लेखन की शुरुआत प्रेरणा द्विवेदी जी से ली । [2]उन्होने हमेशा अपने पति का साथ दिया । वह हिंदी के महान लेखिकाओ मे एक है । वह अपने परिवार के साथ मिल जुल के रहती थी । वह आधुनिक हिन्दी कि जानी मानी लेखिका है । वह पन्डित हरिप्रसाद द्विवेदी के परिवार से आती है । हिन्दी कथा साहित्य मै अल्पना मिश्रा जी प्रमुख हस्ताक्षर के रूप मै है ।