सदस्य:Delisia.10/प्रयोगपृष्ठ

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मेरा नाम डेलिसिया ज्योत्सना मारटिस है और मे क्रैस्ट युनिवरसिटि कि छात्रा हूँ। मै बिए, पत्रकरता, मनोविज्ञान और अंग्रेज़ पढ रही हूँ। में अभी प्रथम वर्ष के प्रथम सेमिस्टर में पढ रहीं हूँ।

में अपने पृष्टभूमि, परिवार, शिक्षा, रुचियाँ, लक्ष्य और उपलब्धियों के बरे में लिखुगि।

पृष्टभूमि[संपादित करें]

  मेरा जन्म उडुपि जिला के शंकेरपुरा मे हुआ थ। मेरे माँ- बाप काम के खोज मे मैसूर आए थे और उन के साथ मे और मेरे बडे भाई भी मैसूर आ गए। मेने अपना सारा बचपन मैसूर् मे ही बिताया।

मैसूर[संपादित करें]

मैसूर कर्नाटक में है। मैसूर् में अनेक मेहेल हैं। दसरा मैसूर् का राज्या त्योहार है। दसरा को बहुत भव्य तरीके से मनाया जाता है।

परिवार[संपादित करें]

मेरे घर में चार लोग रेहेते हैं, मेरे पिता, मेरि माँ और मेरा बडा भाई। मेरे पिता का नाम मरियदास है। वह मैनेजर का काम करते हैं। वे मज़ाक बहुत करते हैं। मेरी माँ का नाम ज्यानेट हैं और वह एक नर्स हैं। उन्होने मुझे सब को समान रुप से सम्मान देना सिखाय। मेरा एक बडा भाई है। उस का नाम दिशान है। वह मुझ से तीन साल बडा है। में और मेरा भाई बचपन में बहुत शेतानिया कर ते थे। अभी वह नैशनल डिफेन्स अकादमि में पढाई कर रहा है।

शिक्षा[संपादित करें]

मेने अब तक चार पाठ्शाला बदले हैं ।

प्राथमिक शिक्षा[संपादित करें]

मेने अपनी प्राथमिक शिक्षा ऐडियल जावा रोटरि स्कुल में प्राप्त किया। यही पर मुझे पेहेली बार पढना और लिखना सिखाया गया था।

मघ्यमिक शिक्षा[संपादित करें]

मेने अपनी मध्यमिक शिक्षा क्रैस्ट दि किंग कान्वेंट में पूरा किया। इसी जगह में मुझे हिन्दि से प्यर हुआ थ।

कॉलेज[संपादित करें]

मेने कॉलेज कि शिक्षा गोपालस्वमि मे पूरी की। यहाँ पर पेहेली बार मेने नाटक किया थ।

रुचियाँ[संपादित करें]

मुरी रुचि अनेक चिज़ो पर है। मुझे किताब पडना, कहानियाँ लिखना, सिलाई करना, गाने सुनना, फिल्मे देखना, और नाचन पसंद है।

में ज़्यादअंग्रेज़ि किताब पढति हूँ और कभी कभी छोटे हिन्दि कहानियाँ भी पढति हूँ। मुझे आमिश त्रिपाठि, भिष्म सह्नि, हरिशंकर परसाई आदि लेखक पसंद है। मेने अपने प्राथमिक शाला में सिलाई सीखा थ। मुझे एसे गाने सुनने में मज़ा आता है जिस में अछे अर्थ हो। नाचने में मेने कोई ट्रेनिंग नही लिया है, पर मुझे गानों पर अपना पैर हिलान अछा लगता है।

लक्ष्यै[संपादित करें]

जीवन में लक्ष्य का होन बहुत ज़रूरी है। लक्ष्य हमे जीने का मकसत देता है। मुझे एक दिन भारत की बेहेतरीन पत्रकरता बनना है। इस मुख्य लक्ष्य के साथ मेरे और कई छोटे लक्ष्य हैं जैसे तंदरुस्त बनना, एक किताब लिखना आदि।

उपलाब्धियाँ[संपादित करें]

मुझे कक्षा के अंदर से ज़्यादा बाहर होना पसंद है। इसी लिये मेरे पास अनेक प्रतियोगिताओं का इनाम है। में अपने शाला के थ्रो बाल टीम की कापतान थी, स्कुल की लीडर थी अरे अनेक चरचा स्पर्दा में जीत चुकी हूँ।