सदस्य:Chitra iyer25/भारतीय व्यंजन

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भारतीय व्यंजन[संपादित करें]

भारतीय व्यंजन ऐसी कईं विविध क्षेत्रीय एव्ं परंपरागत व्यंजनों को घेरता है जो भारत देश को अनन्य है। मिट्टी के प्रकार,मौसम,संस्कृति,जातीय समूह और कब्जे में विविधता के कारण ये सारे व्यंजन एक दूस्रे से काफी भिन्न हैं और ऐसे मसालों,जडी बूटियों,सब्ज़ियों और फलों का प्रयोग करते हैं जो आसानी से स्थानीय स्थल पर उपलब्ध हो। भारतीय पकवान पर धार्मिक और संस्कृतिक पसंदों और परंपराओं का भी भारी प्रभाव पडा है।भारतीय व्यंजन की उद्विकासी वर्षों से होती आ रही है और आज भी दूसरे समाजों के साथ हो रहे सांस्कृतिक परस्पर क्रिया से यह विकास कर रही है।विदेशी आक्रमणों,व्यापारी संबंधों,और उपनिवेशवाद जैसी ऐतिहासिक घटनाओं का भी भारत में अनेक भोजनों के समावेश में महत्व्पूर्ण योगदान है। भारतीय भोजन विश्व के दूसरे व्यंजनों से न की सिर्फ स्वाद में पर खाना पकाने की विधी में भी अलग है।इस में अनेक संस्कृतियों और युगों का उत्तम मिश्रण है।यह अपनी चटपटाहट के लिये प्रसिधि से जाने जाते हैं।

उत्तर भारतीय व्यंजन[संपादित करें]

उत्तर भारतीय व्यंजन-बटर चिकन

उत्तर भारत के वासी ज्यादातर रोटी और उसके समान इंडियन ब्रेड्स पसंद करते हैं। चावल का सेवन यहाँ के राज्यों में कम होता है।तंदूरी रोटी,नान,कुल्चा और पराठे काफी मशहूर हैं और चावल में अधिकतर यहाँ अनेक प्रकार के बिरयानी और पुलाव बनते हैं।उत्तर भारत में आने वाले रज्य जम्मू कश्मीर,हिमाचल प्रदेश,पंजाब,उत्तरांचल,उत्तर प्रदेश,हर्याणा,बिहार,झारखंड,छत्तिसगड और मध्य प्रदेश हैं। व्यंजन का प्रकार यदि देखा जाए तो उत्तर भारतीय पकवान आमतौर पर गाढे,थोडे मसालेदार और मलाईदार रसे में बनते हैं।रोज़ के खाने में भी मेवा और नट्स का प्रयोग काफी साधारण है।दुग्ध उत्पाद स्वादयुक्त एवं मिठाई की तैयारी में बहुत महत्व रखते हैं। इन व्यंजनों की तैयारी में आमतौर पर इस्तमाल किये गये तेल वनस्पति तेल जैसे सूरजमुखी और कनोला हैं।धनिया,जीरा,सूखी लाल मिर्च,हल्दी,लाल मिर्च पाउडर,इलायची,दालचीनी,लौंग,गरम मसाला,सौंफ,आदि इन व्यंजनों की महत्वपूर्ण मसाले और सामग्रियाँ हैं। प्रसिद्ध व्यंजन: मटर पनीर,बिरयानी,पुलाव,दाल मखनी,दही गोश्ट,बटर चिकन,समोसा,फिश अमृतसरी,चिकन टिक्का,चाट,मोतीचूर लडू,आदि

पूर्व भारतीय व्यंजन[संपादित करें]

पूर्व भारतीय व्यंजन-मिश्टी दही(बंगाल)

पूर्व भारत के लोग बिल्कुल सादा खाना खाते हैं।तैयारी और सामग्रियाँ, दोनो ही ज़्यादा विस्तृत नहीं हैं।भाप से पकाना और फ्राय करना पकाने के प्रसिद्ध तकनीक हैं।पूर्व भारत में आने वाले रज्य हैं बंगाल,सिक्किम,असाम,अरुणाचल प्रदेश,मेघालया,मणिपुर,मिज़ोराम,नागालैंड,त्रिपुरा और ओडिशा। तटीय क्षेत्रों मे मछली सबसे प्रथम पसंदिदार खाना है जब की अंतरदेशीय जगहों में शूकर-मांस का काफी उपयोग होता है।चावल यहाँ सबसे अधिक मात्रा में खाया जाता है। सरसों के बीज और पेस्ट,लाल और हरी मिर्च,पाँच फोरन(जीरा,प्याज़ के बीज,सरसों के बीज,सौंफ और मेथी के बीज के मिश्रण से बना) महत्वपूर्ण सामग्रियाँ हैं।दही,नारियल,मकई और बेसन भी सामान्य है।दूध और उसके उत्पादों का यहाँ के मिठाइयों की तैयारी मे काफी महत्व है।सरसों का तेल यहाँ मशहूर है और ज़्यादातर सभी व्यंजनों को पकाने मे इस्तमाल किया जाता है।मोमोस,थुकपा,टमाटर का आचार,मच्छेर झोल,झाल-मुरी,संदेश,रसगुल्ला,आदि यहाँ के सबसे विख्यात व्यंजनों मे से है।

पश्चिमी भारतीय व्यंजन[संपादित करें]

पश्चिमी भारतीय व्यंजन-फरस्सान,ढोकला(गुजरात)

पश्चिमी भारत के राज्य राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र,और गोआ में जितनी सुंदर पर्यटन की सुविधाएँ हैं, उतनी ही अदभुत यहाँ के व्यंजन हैं।राजस्थान और गुजरात मे शुष्क जलवायु होने के कारण कम मिलने वाली सब्ज़ियों को चटनी और आचार के रूप मे ग्रहण किया जाता है।मूंगफली और नारियल प्रचुर रूप से उपलब्ध होने के कारण यह मूल्य सामग्रियों का काम करते हैं।गोआ में ताज़े मछली और अन्य समुद्री भोजन का भरमार है।विंदालू और शकुती जैसे स्थानीय व्यंजन इस बात का प्रमान है कि १९६०स में यह एक पुर्तगाली राज्य था। इस क्षेत्र में शायद भारत के सबसे विविध व्य्ंजन पये जाते हैं।राजस्थानी खाना तीखा और ज़्यादा हद तक शाकाहारी होता है मगर इस में लाल मास जैसे भी भोजन होता है जब की गुजराती खाना पारंपरिक रूप से शाकाहारी है और अपनी हल्कि मिठास के लिय जाना जाता है।थाली गुजरातियों के खाने का अंदाज़ है जिस में अन्य व्यंजन प्रस्तुत किये जाते हैं।महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र मालवानी व्यंजन के लिये प्रसिद्ध है और गोआ के पकवान प्रचुरता,चटपटाहट और मज़बूत स्वाद के लिये। गुजरात और राजस्थान में मकई, दालें और बेसन,सूखी लाल मिर्च,छाछ,दही,चीनी और नट्स;महाराष्ट्र में मछली,चावल,नारियल और मूंगफली;गोआ में मछली,चवल और शूकर मांस-यह प्रधान व्यंजन है।सूरजमुखी,कनोला,मूंगफली का तेल और घी पकाने में इस्तमाल किये जाते हैं।सूखी लाल मिर्च,चीनी,नारियल,नट्स,मछली,शूकर मांस,तिल,और सिरका महत्व्पूर्ण सामग्री है।भेल पूरी,थेपला,ढोकला,दाल भाटी चूर्मा,विंदालू,शकूती,घेवर,लाल मांस,आदि यहाँ के मशहूर व्यंजन हैं।

दक्षिण भारतीय व्यंजन[संपादित करें]

Dosa and ghee।दक्षिण भारतीय व्यंजन-दोसा

दक्षिण भारत में आने वाले राज्य हैं तमिल नाडु,केरला,कर्नाटका और आन्ध्र प्रदेश।विपुल वर्षा के कारण यहाँ फल,सब्ज़ी और चावल का भी रसद अधिक है।आंध्र प्रदेश में बने व्यंजनों की खासियत यह है कि इनको बनाने में तीक्षण पाक-प्रणाली का उपयोग किया जाता है।हालाँकि,यहाँ पर आमतौर पर शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है,परंतु समुद्री किनारे पर मात्रा में विभिन्न समुद्री भोजन भी पकाया जाता है।तमिलनाडु का चेट्टिनाड भोजन आंध्रा की तीक्ष्णना से ही कैइं कदम आगे है।हिंदुस्तान के सभी प्रदेशों की तुलना में मिर्ची का प्रयोग सबसे अधिक होता है।यहाँ पर भी निरामिष पदार्थ की शैली व्याप्त है।केरला की भोजन विधी मलबार प्रणाली से बनाई जाती है।यहाँ पर भी सागर संपदा की भरमार के कारण इन व्यंजनों की मानो नुमायश ही लग जाती है।हैदराबाद निज़ामों की कर्मभूमि रही है।अतः मीठे खट्टे से लेकर मसालेदार खाने में शाही स्वाद की भरमार होती है।हैदराबादी खाना सूखे मेवे,काजू,किशमिश,बादाम तथा लज़ीज़ एवं महंगे केसर से समृद्ध होता है। दक्षिण के व्यंजन भारत के सबसे चट्पटे व्य्ंजनों मे से है।लोग अधिअकतर चावल खाते हैं जिसे साम्भर,रसम,सूखी या गीली सब्ज़ियों,और पापड के साथ मिलाकर खाया जाता है।दक्षिण भारत के वासी फ़िल्टर कॉफ़ी के प्रेमी हैं।नारियल के तेल क यहाँ पकाने में ज़्यादातर प्रयोग किया जाता है परंतु कनोला और सूरजमुखी जैसे वनस्पति तेलों का भी उपयूग होता है।चावल के ऊपर घी डालकर खान यहाँ की एक अनोखी बात है।करी पत्ता,सरसों,हींग,काली मिर्च,इमली,मिर्ची,और मेथी यहाँ के व्यंजनों की महत्वपूर्ण सामग्रियाँ है।इडली,दोसा,वडा,साम्भर,रसम,पायसम,उपमा,अवियल,पऴम पोरी,आदि यहाँ के खास व्यंजन हैं।

संदर्भ[संपादित करें]

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  1. http://indianfood.about.com/od/thebasics/p/northindia.htm
  2. http://indianfood.about.com/od/thebasics/p/eastindia.htm
  3. http://indianfood.about.com/od/thebasics/p/westindia.htm
  4. http://www.culturalindia.net/indian-food/south-indian.html