सदस्य:Bhoomika Rao

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भूमिक

मेरा नाम भूमिका राव है। मै १८ साल की हूँ। मैने आपना सारा जीवन बेंगालूरू मे बिताया हैं। मैंने अपनी शिक्षा कार्मल कान्वेट, श्री भगवान महवीर जैन कालेज से पूरी की है। फिल हाल मै विज्ञान में बी.एससी. की शिक्षा प्राप्त कर रही हू। अभी मै क्राइस्ट विश्वविद्यालय में पढ रही हूँ। मुझे नृत्य, नाटक, स्ंगीत मै बहुत आसक्ती हैं। मै आगे जाके अपनी नृत्यशाला खोलना चाहती हू साथ ही ज़ूलॉजी भी पढाना चाहती हू। इसके अलावा मुझे गरीब बच्चों को पढाना बहुत अच्छा लगता है। मेरा मानना है की जब तब हम एक दूसरे के मदद नही करते, तब् तक नाही हमारा घर, ना ज़िला, नाही देश अच्छा हो पायेगा। इसलिए एक हमे हमेशा एक दूसरे का मदद करना चाहिए।

व्यक्तित्व[संपादित करें]

मै हर किसी इनसान की भावना को इज्जत करती हूँ और दूसरे इन्सान से भी यही अपेक्षा करती हू। मै हमेशा खुशी से रहने के लिए प्रयत्न करती हू। इसका मतलब यह नही कि मै दुःख का आदर नहीं करती ब्लकि, दुःख से सुख पाने की बहुत कोशिश करती हू। मै जिन्दगी को बहुत आशावादी रूप से देखती हूँ। मुझे दूसरों कि दुःख मै भी भाग मेले मै बहुत शान्ती मिलती है।

मुझे पशुओं-प्राणियों से बहुत प्यार है। मुझे मानवों से ज्याद प्राणियों से प्रेम है। यह इसलिये क्योंकि, मुक्षे लगता है कि, मानव किसी को भी धोखा दे सकता है, पर प्राणि-पशु किसी को भी धोखा नहीं देता है। इसलिये मै हमेशा मानव और पशुओं को समान मानती हू। यही नही मुझे लगता है की हम सब को, इस धरती पर हर जीव को समान मानना चाहिये। मेरे घर मै भी २ कुत्ते है, जो की बहुत वफादार है, जिससे मै बहुत प्यार करती हू। मेरे घर मै पहले से १३ कुत्ते रह चुके है। इसलिये मुजे मानवों से ज्यादा पशु-पक्षियों से लगाव है।

शिक्षा[संपादित करें]

मैं पढाई के साथ साथ नृत्य भी सीख रही हू। मै भरतनाट्यम, कथक, कॉन्ट्रेमप्ररी, और बेली फ्यूजन इत्यादी सीख रही हूं। मै करीबन १५ सालो से नृत्य सीख रही हू। मैने करीबन ४० कार्यक्रमों में प्रस्तुति दिया है, जो की बहुत लोगों को पसंद आया है। मुझे इस कला को आगे लेके जाने का बहुत मन है। पर फिलहाल मुझे मेरे पढाई पर ध्यान देना चाहिये।

मेरे घर मै मेरे अप्पा, अम्मा रहते है। मेरा कोइ भाई बहन नही है। इसलिये मै घर के बहुत प्यारी बच्ची हूँ। उन्होंने भी हर माता पिता के तरह मेरे लिये बहुत त्याग किया है। मेरे इच्छावों को पूरा करने ले लिए, पढाई के लिए, मेरी कला को बढाने मै, ऐसे बोले तो बहुत कुछ है। मेरी सिर्फ एक ही अंतिम आशा है कि मैं मेरे माता पिता को वो सब कुछ दूँ जिससे वह खुश हो जाये। मै उन्हे हमेशा खुश रखूँ।

मुझे इस देश के लिये कुछ अच्छा करना चाहिये जिससे सारे लोगों की भलाई हो, जिससे सब खुश हो जाये। जिससे सब को खुशी हो।