सदस्य:Anisasyeda1313682/प्रयोगपृष्ठ

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एम.एन. श्रीनिवास की किताब 'रिम्मबर्ड वीलेज्' याद ग्राम स्मृति से लिखा है। यह कर्नाटक के दक्षिण राज्य के एक गांव की समाजशास्त्रीय मोनोग्राफ है। 1948 श्रीनिवास ने ग्यारह महीने राम्पुर गांव मे बिताया था और 1964 तक आपनी यात्रा जारी रखा। लेखक ने आपनी द्वारा कि गयी आवलोकन तीन प्रतिलिपियो मे लिखा था। 1960 के अंत में कार्यालय में लगी आग के कारन, तीन प्रतिलिपिया नष्ट हो गए। श्रीनिवास ने उन जले हूवे टुकडो और अनुस्मरण से इस कीताब के पुनर्निर्माण के लिए काम किया । 1978 में अपनी पहली प्रकाशन पर किताब एक आधुनिक क्लासिक के रूप में मनाया गया था और एक बौद्धिक विफलता के रूप में मज़ाक उड़ाया गया था। जिन लोगो को यह कीताब अच्छा लगा, वह केहते हे कि, यह कीताब दक्षिण राज्य के गुनो को बताता है और जिन्हे यह कीताब अच्छी नहि लगी, वह यह केह ते हे कि यह कीताब सामाजिक परिवर्तन के संरचनात्मक-कार्यात्मक सिद्धांतों की अपर्याप्तता पर खरा नही उतर पाया, जो इस कीताब का नींव था। १९४८ मे श्रीनिवास ३२ वर्श के थे, जब वह आपनी सामाजिक नृविज्ञान में एक डॉक्टरेट थीसिस खतम कर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्वतंत्र भारत लोटे। वह निर्धारित थे, वह भारतीय गांव की जाति संबंधों के एक अध्ययन पूरा करने के लिए और व्यवहार में 'प्रतिभागी अवलोकन' के प्रिंसिपल डालना चाहते थे। श्रीनिवास का केहना है की आगर भारतीय गांव की जाति संबंधों को जनना है तो व्याक्ती को शहरों और सरकार की केन्द्रों से दूर किसी जगह जान होगा। श्रीनिवास ने एक छोटा गांव छुना जो मैसूर शहर के पास है, रामपुरा, रामपुरा एक छोटा गांव है और बहु-जाति गांव भी है। यह गांव श्रीनिवास के पिता के पैतृक घर से सिर्फ ६किलोमीट्र्र की दुरी पर है। जब वह रामपुरा गाये तो वह अपने साथ एक रसोइया, २६ सामान के टुकड़े और एक मिट्टी का तेल लालटेन ले गये थे।

इस कीताब के पेहले अध्याय मे श्रीनिवास आपने अनुभवो से, रामपूरा गांव का परिचय देते है। श्रीनिवास रामपूरा गांव के निवासियों पर प्रकाश डालते है। श्रीनिवास और उनके साथी रामपूरा बैल घर मे पूरे ११ महिने रहे। गांव के मुखिया ने श्रीनिवास और उनके साथी का आवास उनके पांच मे से एक बैल घर मे कर दीया। इस गांव मे रेह कर श्रीनिवास ने काई सरे छीज़े देखी जो शहर मे नहि दिखाई पडती। श्रीनिवास ने सभी गांवालो का मन जीत लीया। एक गांवाला, पुट्टे गोडा नामक व्यक्ति ने श्रीनिवास से कहा की वह सिर्फ कुछ लोगो की बात न माने बल्की उसे पुरे गांव मे छकर लगाए और उसी का विशवास करे जो उसने देखा है। इस कीताब मे एसे काई और बाते है जो श्रीनिवास ने अनुभव की है।