सदस्य:Amit kumar praswal

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मेरा नाम अमित कुमार परसवाल है। मेरा गाव भीमा है। मैं शेखावाटी विद्यालय में पढता हूँ। मैं क्लास ग्यारह में हूँ। मेरे पास में लोसल शहर है। मेरा जिला सीकर है। मेरा राज्य राजस्थान है। मुझे गणित पसंद है। मै मेरी पहचान के लिए यहाँ अपना खाता खोला है। My name is Amit Kumar Prswal. My village is Bhima. I read in school Shekhawati. I'm in class eleven. I Losal in town. My district is Sikar. My state is Rajasthan. I like maths. I opened my account here is my identity.


बोले हुए शब्द वापस नहीं आते


एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया.उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.

संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो .” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.

तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”

किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है,तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.


तीन प्रेरणादायक कहानियाँ


AUGUST 7, 2012 BY GOPAL MISHRA 36 COMMENTS



Dear friends,


आज मैं आपके साथ तीन प्रेरणात्मक incidents/ stories share करूँगा. इन कहानियों को Horain Fayyaz ने भेजा है. Horain जी कोचीन, केरला की रहने वाली हैं और Tourism Industry से जुडी हुई हैं. उन्हें लिखने, पढने के साथ साथ गाने सुनने और घूमने का भी शौक है. वह समाज कार्य से भी जुडी हुई हैं और ,”War on Dowry” नामक संस्था चलाती हैं. मैं इनके जज्बे की भी तारीफ करना चाहूँगा, इन्होने मुझे पिछले २ महीने में लगातार कई लेख भेजे पर किसी ना किसी वजह से लेख accept नहीं हुए, पर इन्होने हार नहीं मानी और आज मैं इन्ही के द्वारा संगृहीत की गयी कहानिया आपके साथ share कर रहा हूँ.


अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं ?




एक बार हजरत बायेजीद बुस्तामी अपने कुछ दोस्तों के साथ दरिया के किनारे बेठे थे, उनकी नज़र एक बिच्छू पर पड़ी जो पानी में डूब रहा था. हजरत ने उसे डूबने से बचाने के लिए पकड़ा तो उसने डंक मार दिया. कुछ देर बाद वो दोबारा पानी में जा गिरा , इस बार फिर हज़रत उसे बचने के लिए आगे बढे, पर उसने फिर डंक मार दिया . चार बार ऐसा ही हुआ, तब एक दोस्त से रहा न गया तो उसने पूछा हुजुर आपका ये काम हमारी समझ के बाहर है, ये डंक मार रहा है और आप इसे बचने से बाज़ नहीं आते. उन्होंने बहुत तकलीफ में मुस्कुराते हुए कहा कि जब ये बुराई से बाज़ नहीं आता तो मैं अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं!!!