सदस्य:Akshaykeerti

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

कुछ विषयो पर मानव जाति ध्यान दे रही है या नहीं, किन्तु वातावरण में कुछ अंश ऐंसे है जिनसे लगता है कि मानव जाति प्रगति के लिए जागरूक हो रही है। इस विषय में मेरा भी कुछ आंकलन है, जो समय के साथ प्रबल होता जा रहा है।

          हम सभी जानते है कि आग का अविष्कार मनुष्य ने ही किया, और आज हम दूसरे ग्रहो की यात्रा की तैयारी कर रहे है। इन सारे घटनाक्रमों को देखकर एक बात तो साफ हो जाती है, कि मानव जाति निरंतर विकसित होती जा रही है। आज मानव जाति अपनी उपलब्धियों के साथ सबसे अच्छे समय में जीवन व्यतीत कर रही है। अच्छे समय से मेरा तात्पर्य है कि आज हम प्राकृतिक साधनो का भरपूर उपयोग कर रहे है । हमने अनेक विषयो में महारत हासिल की है, जैंसे- औद्योगिकी, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, विज्ञान आदि।
           इन सभी तथ्यों  से  एक अति साधारण निष्कर्ष निकलता है, मानव जाति की निरंतर विकास करने की प्रवृति अति प्रबल है । कल्पनाओ को वास्तविकता में बदलने की प्रवृति । आज हम एक ही स्थान पर बैठ कर अनेक घटनाओ के साक्षी बन सकते है । महाभारत में एक प्रसंग है, जब युद्ध आरम्भ हो रहा था तो व्यास ने संजय को दिव्य दृष्टि का वरदान दिया। जिसके फलस्वरूप संजय ने धृतराष्ट्र को सारे युद्ध का आँखों देखा विवरण दिया जिसे आज हम LIVE  TELECAST कहते है । मुझे फिर भी आश्चर्य होता अगर यह एक कल्पना मात्र भी होती, कल्पना भी बुद्धि और ज्ञान पर आधारित होती है । मानव जाति ने अपने इस ज्ञान का पूर्ण उपयोग किया है । किन्तु अब स्थिति यह है की हम इन उपलब्धियों पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है l जैंसे परमाणु बम का ही जिक्र किया जाये तो अनेक विचारधाराओ से अवगत होते है, कुछ विचारधाराओं के अनुसार यह एक उपलब्धि है, जो ऊर्जा का बहुमूल्य साधन है। वहीं दूसरी ओर यह एक विनाशक हथियार है। इन सभी संदर्भो से बोधा होता है की हमने विकास की प्रवृति को नहीं समझा और एक सीमित दृष्टिकोण में ही विकास किया है। सीमित दृष्टिकोण से मेरा अर्थ है कि आज हम प्रकृति की चिंता करने लगे है जबकि हमने ही अपनी विकास यात्रा में प्रकृति की दुर्दशा की है । शायद हम इस सिमित दृष्टिकोण में प्रकृति को भूल गए । अन्य प्राणियों को महत्व देना तो दूर हमने इन्हे प्रदर्शन मात्र और अपने उपयोग के लिए प्रयोग किया।
          "हमने अपने ज्ञान का पूर्ण प्रयोग किया, किन्तु ज्ञान का अनुभव न कर पाए"