सदस्य:Aishwarya Joji Mathew/WEP2018-19 dec

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प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

नोबेल पुरस्कार विजेता

फ्रांसिस हैमिलटन अर्नाल्ड का जन्म २५ जुलाई १९५६ को हुआ था जो की एक अमेरिकन केमिकल इंजीनियर और नोबेल पुरस्कार विजेता है | कैलिफ़ोर्निया इंस्टीटूट्स ऑफ़ टेक्नोलॉजी मे अर्नाल्ड केमिकल इंजीनियरिंग, जैव इंजीनियरिंग और जीव रसायन की लिनस पॉलिंग प्रोफेसर रही | २०१८ मे उन्हें रसायन के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया | अर्नाल्ड जोसफिन इमान और परमाणु भौतिक विज्ञानी विलियम होवार्ड अर्नाल्ड की पुत्री है | अर्नाल्ड लेफिटनेंट जनरल विलियम होवार्ड अर्नाल्ड की पोती है | वह पिट्सबर्ग मे पली बड़ी | अर्नाल्ड टेलर ऐल्डर्डिस हाई स्कूल से १९७४ को सनातक हुई |उन्होंने वितनाम युद्ध का विरोध किया | अर्नाल्ड १९७९ को प्रिंसटोन विश्विद्यालय से बी यस सी डिग्री के साथ यांत्रिक और अंतरिक्ष इंजीनियरिंग मे सनातक हुए | अर्नाल्ड, सौर ऊर्जा अनंसदान मे अपना ध्यान केंद्रित किया |

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

अर्नाल्ड लाकैनडा फिलिनट्रिड्ज , कैलिफ़ोर्निया मे रहते है | उनके पति का नाम जेम्स ई बैलिय है और उनका एक पुत्र है | कैंसर की वजह से २००१ मे उनके पति का निधन हो गया | २००५ मे अर्नाल्ड स्तन कैंसर से निदान रहे और १८ महीने तक उन्हें इलाज करना पड़ा | बाद मे अर्नाल्ड की शादी कैलटेक कघोल एंड्रू ई लैंगे से हुई और उनके दो बच्चे थे - विलियम और जोसफ | २०१० मे लैंगे ने आत्महत्या की और २०१६ मे उनके पुत्र विलियम लैंगे अर्नाल्ड का दुर्घटना मे मृत्यु हो गयी |

व्यवसाय और शिक्षा[संपादित करें]

१९७९ मे प्रिंसटोन से सनातक होने के बाद उन्होंने ब्राज़ील और दक्षिण कोरिया के कोलोराडूस और ऊर्जा अनुसधान संस्थान मे इंजीनियर के तौर पर काम किया और ऊर्जा अनुसधान संस्थान मे सौर ऊर्जा सुविधावो को दूरवर्ती स्थानों मे फैलाने का काम किया |अर्नोल्ड, ६२ , कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रसायन इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं। उनके काम ने जीवाश्म ईंधन जैसे जहरीले रसायनों को बदलने जैसी समस्याओं को हल करना संभव बना दिया है| तत्पश्चात उन्होंने कैलिफ़ोर्निया संस्थान बर्कली मे दाखिला लिया |वहां उन्होंने १९८५ केमिकल इंजीनियरिंग मे पि एच डी किया | उसके बाद उनके गहरी रुचि जीव रसायन मे हुई |डॉक्टर अर्नाल्ड एक अमेरिकन है और इस साल के नोबेल पुरस्कार का आधा भाग उन्हें पुरस्कृत किया गया है | १९९३ मे उन्हें एन्ज़ाइमों के पहले निर्देशित विकास का आयोजन किया उसमे उन्होंने प्रोटीन जो रासायनिक प्रतिक्रिया उत्प्रेरित करते है उसे बताया है | उन्होंने उन विधियों को परिष्कृत किया है जो अब नियमित रूप से नए उत्प्रेरक विकसित करने के लिए उपयोग किये जाते है | इस विधि का प्रयोग सैकड़ो प्रयोगशालाओं और कंपनियों मे किया जाता है जो कपडे धोने वाले से जैव ईडन तक दवाओं तक सबकुछ बनाते है |अर्नोल्ड ने एक समाचार सम्मेलन में कहा, "हम हजारों सालों से डीएनए के स्तर पर जैविक दुनिया को संशोधित कर रहे हैं," नए कुत्ते नस्लों जैसे उदाहरणों का हवाला देते हुए। किसी भी तरह से हम इस बात का नया डर है कि हम पहले से ही क्या कर रहे हैं और उस डर ने वास्तविक समाधान प्रदान करने की हमारी क्षमता सीमित कर दी है।रसायन विज्ञान में इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने विकास की शक्ति से प्रेरित किया है और समान सिद्धांतों का उपयोग किया है |

अनुसंधान केंद्र[संपादित करें]

जीवन की विविधता के माध्यम से विकास की शक्ति प्रकट होती है। रसायन विज्ञान में 2018 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने विकास पर नियंत्रण लिया है और इसे उन उद्देश्यों के लिए उपयोग किया है जो मानव जाति के लिए सबसे बड़ा लाभ लाते हैं। निर्देशित विकास के माध्यम से उत्पादित एंजाइम जैव ईंधन से लेकर फार्मास्यूटिकल्स तक सब कुछ बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। फेज डिस्प्ले नामक एक विधि का उपयोग करके विकसित एंटीबॉडी ऑटोम्यून्यून रोगों का मुकाबला कर सकते हैं और कुछ मामलों में मेटास्टैटिक कैंसर का इलाज कर सकते हैं।वांछित गुणों के साथ नए प्रोटीन बनाने की उनकी पद्धति का उपयोग अक्षय संसाधनों जैसे कि चीनी गन्ना जैव ईंधन में बदलने के लिए किया जा रहा है, और अधिक पर्यावरण के अनुकूल रासायनिक पदार्थ बनाने के लिए, कपड़े धोने और डिशवॉशिंग डिटर्जेंट जैसे हर रोज़ उत्पादों में सुधार करने के लिए ठंडे तापमान में अपना प्रदर्शन बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा रहा है।उन्हें एंजाइमों के पहले निर्देशित विकास के संचालन के लिए सम्मानित किया गया था| तकनीक के साथ बनाये गए एन्ज़ाइमों ने कई औधोगिक प्रक्रियाओं मे जहरीले रसायनों को बदल दिया है |

२०१८ मे उन्हें रसायन के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया

सम्मान और पुरुस्कार[संपादित करें]

अर्नाल्ड के काम उनके पुरुस्कारो से पहचाना जाता है- उनमे २०१८ मे रसायन मे नोबेल विजेता, २०११ मे नेशनल अकादमी ऑफ़ इंजीनियरिंग पुरस्कार आदि | वह ड्रेपर पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली महिला रही है | वह कला और विज्ञान की अमेरिका अकादमी मे चुनी गयी थी २०११ मे | वह ऐसी पहली महिला रही जो अमेरिका के तीन नेशनल अकादमी मे चुनी गयी थी | अर्नाल्ड विज्ञान की प्रगति के लिए अमेरिकन संघटन की साथी रही |वह १२ साल के इतिहास में प्रतिष्ठित बीनियल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली महिला बन गईं |२०१६ मे पहली महिला रही जिसने सहस्त्राब्दी प्रौद्योगिकी पुरस्कार की विजेता थी | अर्नाल्ड की अहम भूमिका इन क्षेत्रों मे रहा - रासायनिक अभियांत्रिकी , जैव इंजीनियरिंग , जैव रसायन शास्त्र | उनके डॉक्ट्रेट सलाहकार हारवे ब्लाच है और डॉक्ट्रेट के छात्र क्रिस्टोफर और हूमीन है |अर्नाल्ड प्रमुख रूप से एन्ज़यमू का विकास हेतु निर्देशन से जाने जाते है | वह बतक और बरबरा डिकिंसन प्रोफेसर से नामित की गयी थी |वह इंजीनियरिंग के लिए रानी एलिज़बेथ पुरुस्कार के लिए न्यायाधीश हेतु वर्तमान मे सेवा कर रहे है |

निष्कर्ष[संपादित करें]

अर्नाल्ड अमेरिका पेटेंट के सह अविष्कारक रहे |निर्देशित विकास पर उनका कार्य एक ऐसे उधम का एक सुन्दर उदाहरण है जिसमे गहरे वैज्ञानिक महत्त्व और भारी व्यावहारिक परिणाम दोनों है | एक शक्तिशाली विचार की खोज करने के दशकों की प्रतिबद्ता के माध्यम से फ्रांसिस ने प्रोटीन रसायन विज्ञान और जैव प्रोधोगिकी के क्षेत्रों को बदल दिया है |उसने चीजों के बारे मे सोचने के तरीके को बदल दिया है और जिस तरह से हम चीजे करते है |इस काम के माध्यम से उसने प्रकृति के उत्प्रेरक के प्रदर्शनों को बड़ा दिया है | अर्नाल्ड का कहना है "मैं सबसे अच्छा रसायन नहीं हो सकता लेकिन मैं विकास की सरहना करता हूँ "|

सन्दर्भ[संपादित करें]

[1][2][3]

  1. https://www.nobelprize.org/prizes/chemistry/2018/arnold/facts/
  2. https://www.britannica.com/biography/Frances-Arnold
  3. https://en.wikipedia.org/wiki/Frances_Arnold