सदस्य:प्रशान्त शर्मा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

सभी पाठकों को सादर नमस्ते । मित्रो आजकल लोग कहते हैं कि यदि आपका मष्तिष्क तेज है तो आपको सुखी रह सकते हैं लेकिन यह सत्य नहीं सत्य तो यह हैं कि आपका ह्रदय कितना स्वच्छ हैं आपका जानते ही हे कितना जब परमात्मा ने चारों ऋषियों को जब ज्ञान प्रदत्त किया तो उनके ह्रदय में प्रकाशित किया ना कि तय्यार उनके मष्तिष्क में जिसका ह्रदय पवित्र हैं वही ईश्वर के अनमोल ज्ञान के खजाने को प्राप्त कर सकते है जिस प्रकार सोफ्टवेयर मात्र डाउनलोड करने से नहीं अपितु स्थापित करने पर कार्य करता हैं ऐसे ही हमारे द्वारा मष्तिष्क में अर्जित किया हुआ ज्ञान जब हमारी आत्मा में स्थापित हो जाता हैं तभी वह हमारे जीवन में शांति प्रदान करता हैं हमें यदि शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करना हैं तो मष्तिष्क को त्याग कर ह्रदय में जियें निश्चित रूप से हमारा जीवन पूर्ण शांति की ओर अग्रसर होगा ।