सदस्य:प्रमोद कुमार चन्द्रवंशी

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!!अखिल भारतवर्षीय चन्द्रवंशी क्षत्रिय महासभा!

🔥इतिहास के अनुसार जरासंध राजा बृहद्रथ के पुत्र थे, जो चंद्रवंश से ताल्लुक रखते थे। अतः जरासंध के पूर्वज चन्द्रवंशी क्षत्रिय कहलाये।*_

🔥जरासंध को इतिहासकारों ने क्रूर और निर्दयी बताए, जवकि ऐसा नही है। जरासंध केवल और केवल वैसे 86 राजाओं को कैद किये जिन्होंने दिन दुःखियों का शोषण किया करते थे। जरासंध महाराज उपकारी एवं गरीवों के मसीहा थे।

🔥जरासंध के मृत्यु उपरान्त, जरासंध के पुत्र सहदेव मगध का राजा बने। जरासंध के मृत्यु के उपरांत धीरे-धीरे बृहद्रथ वंश का अंत हो गया। वे 86 राजा जो जरासंध के कैद में थे आजाद होते हीं चंद्रवंशियों पर कहर बरपाने लगे। और यही 86 राजा बृहद्रथ वंश के पतन का कारण बने।

🔥अपने प्राणों की रक्षा हेतु चन्द्रवंशी क्षत्रिय लोग भारत के विभिन्न भागों में रवाना हो गए, अतः इन्हें रवानी भी कहा जाता है।*_

🔥चंद्रवंश का पतन हो चुका था। अपनी जान बचाने के लिए, इन्हें अपनी पहचान छुपाना पड़ा। कर्म के आधार पर वर्गीकृत निम्न जातियों के पेशे धंधे करने लगे। यहीं से शुरुआत होता है,चंद्रवंशियों के पतन और पहचान छिपाने के कारण चंद्रवंशियों को धनानंद के अत्याचार से बचने के लिए मगध में रहे उन्होंने अपना पहचान क्षत्रिय ना बताकर अलग अलग बताते थे,पर उन्होंने अपने पूर्वजों द्वारा दिए गए रवानी को अपनी पहचान बनाई रखी और जो मगध से रवाना हुए रवानी कहलाए

🔥" रवानी" चन्द्रवंशी क्षत्रिय का बिगड़ा हुआ रूप है।

🔥 वंश का अस्तित्व बचाने के लिए इन्हे रावना होना पड़ा , (रवाना) के कारण रवानी कहलाये।

🔥मैं उम्मीद करता हूँ कि अब अंतर समझ मे आ गया होगा।

🔥हम चन्द्रवंशी क्षत्रिय थे, हैं और रहेंगें। हमें अपना अस्तित्व और सत्ता बापस चाहिए।

     *🔥चन्द्रवंशी चिंगारी🔥*