सदस्य:खेताराम कुकणा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

एक ऐसे चमत्कारी भगत जी की आत्मकथा, जिसकी आत्मा सिद्धि से ही निकलकर ब्रह्मांडों में चली जाती है, दीवार के आर-पार देखकर बता देते है,500 के ग्रुप में सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाले संत, बड़ी बड़ी दाढ़ी और लाल कपड़े पहने हुए जटा बनाई हुई गंगा के किनारे पर तपस्या करते हुए कैसे तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज के शिष्य बने, सुनिये उनके मुख से, ऐसी विडियो  मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं सुनी थी और आपको भी सुननी चाहिए जिन्होंने सुन रखी है वो फिर से सुने बहुत ही आनन्द आयेगा . #सम्पूर्ण_विश्व_में_कबीर_ज्ञान_फैलने_की_प्रक्रिया :-

"वाल्मीक तुलसी से कह गये, ऐसा कलियुग आयेगा,

         ब्राह्मण होके वेद ना जानै, मिथ्या जन्म गवायेगा !
             बेटा होके मात-पिता ना चीन्हें, त्रिया से नेह लगायेगा,
                  और त्रिया होके पति ना चीन्हें, आन पुरुष मन भायेगा !!"

"जब-जब बढ़े असुर और अभिमानी तब-तब धरू मनुष का देहा और हरू सकल देश की पीरा।

'पहले बोधू कोली चमारा पीछे जाए राजदरबारा फिर बोधू पंडित काजी फिर जाए सकल संसारा'।

कलियुग मध्य सतयुग ल्याऊँ, तातै सत्य कबीर कहाऊँ।

परमेश्वर ने कबीर सागर में वर्णन कर रखा है कि यह तत्वज्ञान पूरे विश्व में किस प्रकार फैलेगा.. परमेश्वर ने बताया है कि..

(पहले बोधू कोली चमारा)..

परमात्मा सबसे पहले अपना ज्ञान देकर कोली चमारा अर्थात् मध्यम वर्ग के लोगों को अपनी शरण में लेंगे जैसे आज मालिक की शरण में हम सब मध्यम वर्ग(middle class) के निर्धन लोग है। कोई भी higher class का भगत नहीं है सब मध्यम वर्ग के भगत है जी।

(पीछे जाए राजदरबारा)..

फिर परमात्मा राजदरबारा का नम्बर लेंगे अर्थात् राजनेता जज अफसर मीडिया इस चांडाल चौकड़ी को ठीक करेंगे। परमात्मा ने राजदरबारा को ठीक करने के लिए ही यह लीला रची है। भ्रष्ट राजदरबारा को ठीक करने के लिए ही मालिक यह लीला कर रहे है जी।

नास्त्रेदमस ने कहा है कि वह शायरण सताधारी चांडाल चौकड़ियों को परास्त कर अपने दम पर सता पे काबिज होगा। सताधारी चांडाल चौकड़ियों पर उसकी सता होगी।

जयगुरुदेव वाले तुलसी दास जी ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि जब उस संत का शासन आयेगा तब राजनेता(जो सन्त द्वारा नियुक्त होंगे) घर-घर जाकर लोगों से पूंछा करेंगे कि आपके पास राशन पानी है या नहीं तथा आपको कोई समस्या तो नहीं है। भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने कहा है कि भारत के एक दिव्य महापुरुष की विचारधारा से भारत में आध्यात्मिक लोग सत्ता में आयेंगे और उनकी विचारधारा को पूरे विश्व में फैलायेंगे।

(फिर बोधू पंडित काजी).. राजदरबारा के बाद पंडित काजी अर्थात् सभी धर्मों के धर्मगुरुओं का नम्बर आयेगा। परमात्मा इन सभी नकली धर्मगुरुओं को ठीक करेंगे क्योंकि परमात्मा के मार्ग में सबसे बडा रोडा यही अटकाये बैठे है। विश्वस्तरीय आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में इन्हें परास्त कर, इनके अज्ञान की पोल खोलकर जनता को जागृत किया जायेगा। जनता आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा को देखकर, ज्ञान और अज्ञान से परिचित होकर इन सभी नकलियों को छोड़कर मालिक की शरण में दौड़ी चली आयेगी।

(फिर जाए सकल संसारा).. नकली धर्मगुरुओं का ज्ञान चर्चा में परास्त होने के बाद परमात्मा का यह अमृत तत्वज्ञान फुल स्पीड से पूरे विश्व में फैलेगा। सारे संसार में यह ज्ञान निर्बाध फैलेगा। मालिक की आज्ञानुसार ही सर्व कार्य होंगे।

परमात्मा कहते है कि...

           'कलियुग मध्य सतयुग ल्याऊँ, तातै सत्य कबीर कहाऊँ'

"कलियुग बीते पचपन सौ पाँचा(5505), तब यह वचन मेरा होगा साँचा, कलियुग बीत जाये जब ऐता, सब जीव परम पुरुष पद चेता"

परमात्मा ने 600 वर्ष पहले धर्मदास जी से कहा था कि जब कलियुग 5505 वर्ष बीत जायेगा तब मेरा यह वचन सही साबित होगा। उस समय सभी जीवों को मेरे परमपद अर्थात् सतलोक का ज्ञान होगा और सभी भक्ति करके सतलोक जायेंगे। (ख) आदरणीय दादू साहेब जी (अमृत वाणी में प्रमाण) कबीर परमेश्वर के साक्षी - आदरणीय दादू साहेब जी जब सात वर्ष के बालक थे तब पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले तथा सत्यलोक ले गए। तीन दिन तक दादू जी बेहोश रहे। होश में आने के पश्चात् परमेश्वर की महिमा की आँखों देखी बहुत-सी अमृतवाणी उच्चारण की:

जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।

दादू नाम कबीर की, जै कोई लेवे ओट। उनको कबहू लागे नहीं, काल बज्र की चोट।।

दादू नाम कबीर का, सुनकर कांपे काल। नाम भरोसे जो नर चले, होवे न बंका बाल।।

जो जो शरण कबीर के, तरगए अनन्त अपार। दादू गुण कीता कहे, कहत न आवै पार।।

कबीर कर्ता आप है, दूजा नाहिं कोय। दादू पूरन जगत को, भक्ति दृढावत सोय।।

ठेका पूरन होय जब, सब कोई तजै शरीर। दादू काल गँजे नहीं, जपै जो नाम कबीर।।

आदमी की आयु घटै, तब यम घेरे आय। सुमिरन किया कबीर का, दादू लिया बचाय।।

मेटि दिया अपराध सब, आय मिले छनमाँह। दादू संग ले चले, कबीर चरण की छांह।।

सेवक देव निज चरण का, दादू अपना जान। भृंगी सत्य कबीर ने, कीन्हा आप समान।।

दादू अन्तरगत सदा, छिन-छिन सुमिरन ध्यान। वारु नाम कबीर पर, पल-पल मेरा प्रान।।

सुन-2 साखी कबीर की, काल नवावै माथ। धन्य-धन्य हो तिन लोक में, दादू जोड़े हाथ।।

केहरि नाम कबीर का, विषम काल गज राज। दादू भजन प्रतापते, भागे सुनत आवाज।।

पल एक नाम कबीर का, दादू मनचित लाय। हस्ती के अश्वार को, श्वान काल नहीं खाय।।

सुमरत नाम कबीर का, कटे काल की पीर। दादू दिन दिन ऊँचे, परमानन्द सुख सीर।।

दादू नाम कबीर की, जो कोई लेवे ओट। तिनको कबहुं ना लगई, काल बज्र की चोट।।

और संत सब कूप हैं, केते झरिता नीर। दादू अगम अपार है, दरिया सत्य कबीर।।

अबही तेरी सब मिटै, जन्म मरन की पीर। स्वांस उस्वांस सुमिरले, दादू नाम कबीर।।

कोई सर्गुन में रीझ रहा, कोई निर्गुण ठहराय। दादू गति कबीर की, मोते कही न जाय।।

जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।। जय हो बन्दी छोड़ की।

सत् साहिब जी बन्दीछोड़ सदगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो.....!